दिल्ली: एएनआई ने विकीपीडिया के ख़िलाफ़ मानहानि का केस किया, दो करोड़ हर्जाने की मांग
विकीपीडिया के पेज पर एएनआई के बारे में लिखा है कि एजेंसी की ‘मौजूदा केंद्र सरकार के लिए प्रोपगैंडा माध्यम के रूप में काम करने, फ़र्ज़ी न्यूज़ वेबसाइट के विशाल नेटवर्क के कंटेंट को फैलाने और घटनाओं की ग़लत रिपोर्टिंग करने के लिए आलोचना होती रही है|
नई दिल्ली: समाचार एजेंसी एएनआई मीडिया प्राइवेट लिमिटेड ने दिल्ली हाईकोर्ट में विकीपीडिया के खिलाफ दो करोड़ रुपये की मानहानि का मुकदमा दायर किया है. न्यूज़ एजेंसी ने आरोप लगाया है कि विकीपीडिया द्वारा एजेंसी का ‘अपमानजनक’ विवरण दिखाया गया है| लाइव लॉ की रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस नवीन चावला ने मुकदमे में अंतरिम राहत की मांग करने वाली एएनआई की याचिका पर विकीपीडिया को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई 20 अगस्त को तय की है|
रिपोर्ट के अनुसार, एएनआई ने अदालत से विकीपीडिया को ऐसी सामग्री प्रकाशित करने से रोकने की मांग की है, जो कथित तौर पर समाचार एजेंसी के पेज के बारे में अपमानजनक है. इसके अलावा समाचार एजेंसी ने अब तक प्रकाशित सामग्री को हटाने और एएनआई को हुए नुकसान के लिए दो करोड़ के हर्जाने की भी मांग की है|
लाइव लॉ की खबर में कहा गया है कि विकीपीडिया के पेज पर एएनआई की ‘मौजूदा केंद्र सरकार के लिए प्रोपगैंडा माध्यम के रूप में काम करने, फर्जी समाचार वेबसाइटों के विशाल नेटवर्क से ली गई सामग्री फैलाने और घटनाओं की गलत रिपोर्टिंग करने के लिए’ आलोचना की गई है|
एएनआई की ओर से पेश हुए वकील सिद्धार्थ कुमार ने कोर्ट को बताया कि विवरण में जिस कंटेंट का जिक्र किया गया है, वह मानहानिकारक है|
जस्टिस चावला ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि विकीपीडिया राय रखने का हकदार है और वह अदालत के समक्ष अपने काम की व्याख्या करेगा|
अदालत ने कहा, ‘आखिर उन्हें (विकीपीडिया) भी राय रखने का हक है… वे आएंगे और समझाएंगे. यह पूरी तरह से मानहानि का मामला है|
एएनआई ने विकीमीडिया फाउंडेशन और उसके अधिकारियों के खिलाफ अपने मुकदमे में कहा है कि विकीपीडिया ने कथित तौर पर एएनआई की प्रतिष्ठा को धूमिल करने और उसकी सद्भावना को धूमिल करने के दुर्भावनापूर्ण इरादे से स्पष्ट रूप से झूठी और अपमानजनक सामग्री प्रकाशित की है|
सौजन्य :द वायर
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