सेबी ने हिंडनबर्ग रिपोर्ट को लेकर कारण बताओ नोटिस भेजा, कंपनी ने बेवकूफ़ाना बताया
अडानी समूह की कथित गड़बड़ियों का ख़ुलासा करने वाली अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि सेबी का नोटिस भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है.
नई दिल्ली: अमेरिकी वित्तीय शोध कंपनी हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा है कि बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अडानी समूह से जुड़ी कंपनियों पर उसके रिपोर्ट जारी करने से पहले और बाद में उसे ‘कारण बताओ’ नोटिस भेजे थे.
बता दें कि पिछले साल जनवरी 2023 में हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी समूह पर ‘स्टॉक में हेरफेर’ और ‘लेखा धोखाधड़ी’ के आरोप लगाए थे, और कहा था कि कंपनी ‘कॉरपोरेट इतिहास की सबसे बड़ी धोखाधड़ी कर रही है.’ अडानी समूह ने इन सभी आरोपों को खारिज किया था.
रिपोर्ट के मुताबिक, अपनी वेबसाइट पर पोस्ट किए गए बयान में हिंडनबर्ग ने सेबी की ओर से दिया गया 46 पन्नों का कारण बताओ नोटिस शामिल किया है.
हिंडनबर्ग ने कहा है कि उसे पता था कि उसके द्वारा अडानी पर खुलासे के बाद सेबी इस बात को लेकर असमंजस में था कि एक ऐसी अमेरिकी कंपनी को वह कैसे प्रतिक्रिया दे जिसकी भारत में मौजूदगी नहीं है और न ही वह यहां काम करती है.
हिंडनबर्ग ने कहा है कि उसे 27 जून 2024 को दो ईमेल मिले. 27 जून 2024 की सुबह हमारी फर्म को एक विचित्र ईमेल मिला, जो जाहिर तौर पर सेबी की ओर से था, जिसमें हमें सचेत किया गया था. इसने आगे कहा, ‘पहले तो हमें लगा कि यह एक संभावित फ़िशिंग प्रयास है. उस दिन बाद में ही हमें एक और ईमेल मिला, जो फिर से सेबी से था, जिसमें ‘कारण बताओ’ नोटिस था. इस पत्र में भारतीय विनियमों के संदिग्ध उल्लंघनों की बात की गई थी.
हिंडनबर्ग ने नोटिस को ‘बकवास’ बताया और कहा कि यह ‘पूर्व-निर्धारित उद्देश्य को पूरा करने के लिए तैयार किया गया था: जो भारत में सबसे शक्तिशाली व्यक्तियों द्वारा किए गए भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी को उजागर करने वालों को चुप कराने और डराने का प्रयास है.’
सेबी के नोटिस में कहा गया है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के जारी होने से ठीक पहले और बाद की अवधि के दौरान ट्रेडिंग के विश्लेषण में पाया गया कि ‘के इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड लिमिटेड’ नामक एक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक ने रिपोर्ट प्रकाशित होने से कुछ दिन पहले ही ट्रेडिंग अकाउंट खोला और एईएल के शेयरों में खरीद शुरू कर दी.
इंडियन एक्सप्रेस के मुताबिक, इसके बाद इसने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के प्रकाशन के बाद अपने सभी शेयर बेच दिए, जिससे इसने 183.24 करोड़ रुपये मुनाफा कमाया.
हिंडनबर्ग के अनुसार, के इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड में ‘के’ का तात्पर्य कोटक बैंक से है, जिसकी स्थापना उदय कोटक ने की थी, जिसे सेबी संरक्षण देना चाहता था.
हिंडनबर्ग ने कहा है, ‘जहां सेबी हम पर अधिकार क्षेत्र का दावा करने में उलझा हुआ था, लेकिन वहीं इसका नोटिस उस पक्षकार का नाम नहीं बताया है जिसका वास्तव में भारत से संबंध हैं- कोटक बैंक. कोटक बैंक उदय कोटक द्वारा स्थापित भारत के सबसे बड़े बैंकों और ब्रोकरेज फर्मों में से एक है, जिसने हमारे निवेशक साझेदार द्वारा अडानी के खिलाफ दांव लगाने के लिए इस्तेमाल किए गए ऑफशोर फंड ढांचे का निर्माण किया और उसकी निगरानी की. इसके बजाय सेबी केवल के-इंडिया ऑपर्च्युनिटीज फंड का नाम लिया और ‘कोटक’ के नाम को ‘केएमआईएल’ के संक्षिप्त नाम से छिपा लिया.
हिंडनबर्ग ने आगे कहा है, ‘बैंक के संस्थापक उदय कोटक ने व्यक्तिगत रूप से सेबी की 2017 की कॉरपोरेट गवर्नेंस समिति का नेतृत्व किया था. हमें संदेह है कि सेबी द्वारा कोटक या कोटक बोर्ड के किसी अन्य सदस्य का उल्लेख न करना एक और शक्तिशाली भारतीय व्यवसायी को जांच के दायरे में आने से बचाने के लिए हो सकता है.’
रॉयटर्स, जिसने नोटिस की प्रामाणिकता की पुष्टि करने वाले सूत्रों से बात की है, ने कहा कि सेबी ने आरोप लगाया है कि हिंडनबर्ग ने अडानी समूह पर अपनी रिपोर्ट का मसौदा सार्वजनिक रूप से जारी होने से पहले अपने ग्राहक किंगडन कैपिटल मैनेजमेंट को उपलब्ध कराकर उसके साथ मिलीभगत की है.
सेबी का आरोप है कि इसके बाद किंगडन कैपिटल के मालिक मार्क किंगडन ने एक फंड की स्थापना की जो के इंडियन ऑपर्च्युनिटीज फंड के जैसे ही भारतीय शेयरों में व्यापार करने में सक्षम हो.
हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया है कि ऐसा प्रतीत होता है कि नोटिस यह इशारा करने के लिए तैयार किया गया था कि हमारा वैध और प्रकट निवेश रुख में कुछ गुप्त या छल-कपट था, या हमारे ऊपर अधिकार क्षेत्र का दावा करने वाले नए कानूनी तर्कों को आगे बढ़ाने के लिए तैयार किया गया था. ज्ञात हो कि कि हम एक अमेरिकी शोध कंपनी हैं, जिसमें भारतीय दखल शून्य है.
हिंडनबर्ग ने आगे आरोप लगाया है कि इनमें से कुछ तर्क सर्कुलर जैसे प्रतीत होते हैं. इसने कहा है, ‘उदाहरण के लिए, सेबी ने दावा किया है कि हमारी रिपोर्ट में अस्वीकरण भ्रामक थे क्योंकि हम ‘अप्रत्यक्ष रूप से भारतीय प्रतिभूति बाजार में भाग ले रहे थे’, और इसलिए अडानी को कमतर दिखा रहे थे. यह कोई रहस्य नहीं है – वस्तुतः पृथ्वी पर हर कोई जानता था कि हम अडानी को कम दिखा रहे थे क्योंकि हमने प्रमुखता से और बार-बार इसका खुलासा किया था.’
सौजन्य: द वायर
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