बुंदेलखंड में हर घर नल से जल पहुंचने का सरकारी दावा खोखला साबित हुआ
केंद्र सरकार पिछले चार सालों से ‘जल जीवन मिशन’ के तहत पूरे देश में ‘हर घर नल से जल’ योजना को यूं प्रचारित कर रही है कि आज़ादी के बाद पहली बार सरकार ने आम आदमी के घर तक पेयजल पहुंचाने का प्रबंध किया है. हालांकि, ज़मीनी हक़ीक़त सरकार के दावों के विपरीत है.
राजेंद्र जोशी | रेहमत मंसूरी
छतरपुर (मध्य प्रदेश): पिछले चार सालों से केंद्र सरकार की योजना ‘जल जीवन मिशन’ के तहत पूरे देश में ‘हर घर नल से जल’ का जमकर प्रचार हो रहा है. ऐसा प्रचारित किया जा रहा है कि आज़ादी के बाद पहली बार सरकार ने आम आदमी के घर तक पेयजल पहुंचाने का प्रबंध किया है. लेकिन, क्रियान्वयन की तमाम खामियों से घिरे इस मिशन की जल प्रदाय योजनाओं का जमीन पर असर कम पड़ा है.
वर्ष 2019-20 से प्रारंभ हुई इस योजना का आरंभिक बजट साढ़े 3 लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान लगाया गया था. इस केंद्रीय योजना के लिए राज्यों को भी अपना वित्तीय अंशदान देना है. मैदानी और पहाड़ी राज्यों के लिए अंशदान क्रमश: 50 और 10 प्रतिशत निर्धारित है.
योजना का लक्ष्य इस साल यानी 2024 के अंत तक देश के हर घर में नल से जल प्रदाय करना है. निर्धारित लक्ष्य हासिल करने के लिए अंतिम वर्ष में इसका क्रियान्वयन युद्धस्तर पर होना चाहिए था, लेकिन हालिया महीनों – अप्रैल और मई – में देश, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में मिशन की प्रगति वैसी दिखाई नहीं दी.
सरकारी दावों के अनुसार, इस वर्ष मार्च के अंत तक देश के 76 प्रतिशत और मध्य प्रदेश के 62 प्रतिशत घरों में नलों से पेयजल प्रदाय शुरू किया जा चुका था. ये आंकड़े जून का आधा महीना बीत जाने तक भी जस के तस बने हुए हैं. इस अवधि में उत्तर प्रदेश में नाममात्र की प्रगति दर्ज हुई है.
मध्य प्रदेश में इस मिशन की छोटी योजनाओं की क्रियान्वयन एजेंसी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग है, जबकि कई गांवों को एक साथ जलप्रदाय करने वाली समूह जलप्रदाय योजनाओं का निर्माण मध्य प्रदेश जल निगम द्वारा किया जा रहा है.
जल जीवन मिशन की वेबसाइट पर प्रदर्शित आंकड़ों के अनुसार, तेलंगाना, गुजरात, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश में हर घर तक नल से पानी पहुंचाया जा चुका है. केंद्रशासित प्रदेशों में पुड्डुचेरी, दादर-नगर हवेली तथा अंडमान-निकोबार में योजना का पूर्ण लक्ष्य हासिल किया जा चुका है.
मध्य प्रदेश के दो अपेक्षाकृत छोटे ज़िले- बुरहानपुर और निवाड़ी – मार्च 2022 में ही ‘हर घर नल से जल’ प्राप्त करने वाले जिले घोषित किए जा चुके हैं. इस उपलब्धि पर बुरहानपुर ज़िले को राष्ट्रपति पुरस्कार भी मिल चुका है. लेकिन, मीडिया रिपोर्ट्स इस सरकारी दावे का खंडन करती हैं.
केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा पर्याप्त बजट आवंटन के बावजूद मध्य प्रदेश के अन्य जिलों में भी पेयजल की जमीनी हकीकत में कोई बड़ा बदलाव दिखाई नहीं दे रहा है.
निवाड़ी ज़िला
मध्य प्रदेश का निवाड़ी जिला दूसरा ऐसा जिला है जिसे 2 वर्ष पूर्व ‘हर घर नल’ जिला घोषित कर दिया गया. लेकिन, यहां भी स्थिति बुरहानपुर से अलग नहीं है. नया खेरा गांव (तहसील एवं जिला- निवाड़ी) जल निगम की निवाड़ी-पृथ्वीपुर-1 समूह जल प्रदाय योजना में शामिल है.
वैसे तो इस गांव में जल आपूर्ति करीब 2 वर्ष पूर्व शुरू हो चुकी थी, लेकिन ग्राम पंचायत ने पूर्ण कवरेज संबंधी प्रस्ताव अप्रैल 2023 में पारित किया था.
निवाड़ी का चुरारा गांव.
जल जीवन मिशन के अनुसार, 1,565 जनसंख्या वाले नया खेरा गांव में 201 परिवारों को नल से जल प्रदान किया जा रहा है. लेकिन, स्थानीय जल एवं स्वच्छता समिति से जुड़ी रजनी देवी ने अपने रिकॉर्ड के अनुसार नल कनेक्शनों की कुल संख्या 178 बताई. उनके अनुसार, करीब 10 प्रतिशत घरों में अभी तक नल नहीं पहुंचे हैं. दमानिया खिरक मोहल्ले में महीनों से टूटी लाइन के सुधार का कोई प्रयास नहीं हो रहा है. स्वच्छता समिति ने 100 रुपये महीने का मासिक बिल निर्धारित किया है, लेकिन बिल वसूली अभी तक शुरू नहीं हुई है.
उत्तर प्रदेश की सीमा से सटे गांव चुरारा के सभी 570 परिवारों तक नल से जल पहुंचाने का दावा किया गया है, लेकिन इस गांव के शंकरगढ़ मोहल्ला निवासी रामकुमार यादव, चंदन यादव, गिरण यादव, लखन यादव, मानसिंह यादव, थानसिंह यादव, मन्नू कुशवाह, सुपे कुशवाह, सुंदरलाल कुशवाह, हलवाई कुशवाह ने बताया कि उनके घर नल कनेक्शन नहीं है.
इसी मोहल्ले के छोटीलाल कुशवाह के घर नल कनेक्शन तो है, लेकिन उसमें पानी नहीं आता है. ये सारे परिवार कुएं/बोरवेल से जरूरत का पानी लेते हैं.
ये दोनों गांव निवाड़ी-पृथ्वीपुर-1 समूह जल प्रदाय योजना से जुड़े हैं. समूह जल प्रदाय योजनाओं का निर्माण (और अब संचालन भी) मध्य प्रदेश जल निगम द्वारा पिछले एक दशक से जारी है. अब जल निगम की योजनाओं को भी जल जीवन मिशन में समाहित कर लिया गया है.
निवाड़ी-पृथ्वीपुर-1 समूह जल प्रदाय योजना के लिए निवाड़ी जिले के पृथ्वीपुर के निकट बेतवा नदी से पानी लिया जा रहा है. योजना का लक्ष्य निवाड़ी और पृथ्वीपुर तहसीलों के 145 गांवों के 26,233 घरों तक नल से पानी पहुंचाना है, जिनमें से अब तक 25,789 घरों तक पानी पहुंचाने का दावा किया गया है.
एलएल तिवारी नोडल अधिकारी व मैनेजर, जल निगम छतरपुर (छतरपुर,निवाड़ी,टीकमगढ़) के बतौर तैनात हैं.
निवाड़ी और छतरपुर जिलों के कुछ गांव के मोहल्लों में जल प्रदाय नियमित न होने और कुछ मोहल्लों में नल कनेक्शन नहीं होने के बारे में जब उनसे पूछा गया तब उन्होंने कहा, ‘जल जीवन मिशन की योजना की गाइडलाइन में यह बात शामिल है कि 20 घरों से कम वाले मोहल्लों में पहले फेज में कनेक्शन नहीं दिए जाएंगे, इन्हें दूसरे फेज में शामिल किया जाएगा. पूरे बुंदेलखंड में पानी की कमी है, अभी गर्मी के चलते कुछ स्थानों पर जल प्रदाय अनियमित हो सकता है.’
छतरपुर ज़िला
छतरपुर जिले का खिरवा गांव (तहसील- नौगांव) हर घर नल से जल प्रदाय वाला गांव घोषित है. अक्टूबर 2021 में ग्राम पंचायत द्वारा पारित प्रस्ताव कहता है कि गांव के सभी 340 घरों तक नल से पानी पहुंच रहा है.
हालांकि, गांव में मुख्यमंत्री ग्राम पेयजल योजना के तहत पहले से बनी टंकी सूखी पड़ी है क्योंकि गांव में जल प्रदाय करीब ढाई सालों से बंद है. गांव में किराना दुकान चलाने वाले राहुल सिंह ठाकुर ने बताया कि यहां ज्यादातर घरों में बोरवेल हैं. आर्थिक दृष्टि से कमजोर दलित परिवार सार्वजनिक हैंडपंपों से पानी लेते हैं. गर्मी के दिनों में भूजल स्तर कम होने पर सबको परेशानी होती है.
छतरपुर जिले की पुरापट्टी पंचायत (ब्लॉक- बड़ा मलहरा) पूर्ण कवरेज वाली पंचायत है और इस गांव के सारे 364 घरों तक नल से जल प्रदाय का दावा किया गया है. ग्राम पंचायत के सरपंच परमलाल आदिवासी ने बताया कि पंचायत के अंतर्गत बगारा और बगीचन मोहल्ले के 30-40 घरों तक जल प्रदाय नहीं हो रहा है क्योंकि वहां पाइपलाइन नहीं डाली गई है. पंचायत ने प्रस्ताव पारित कर पूरे गांव में पाइपलाइन डालने की मांग की थी, लेकिन, ठेकेदार एल एंड टी कंपनी ने उनकी पंचायत की मांग नहीं मानी.
छतरपुर के सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह चौका ने बताया कि जल जीवन मिशन से संबंधित योजनाओं का बुंदेलखंड के गांवों में कोई खास प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है. बड़े- बड़े दावों के बावजूद ग्रामीण पेयजल के लिए हलाकान हैं. जिले के खिरवा, दलीपुर, डिकोली, देवपुर, पुरापट्टी जैसे जिन गांवों में पूर्ण कवरेज दिखाया गया है वहां भी सभी घरों तक पानी नहीं पहुंचा है. ग्रामीणों की दिक्कत है कि वे शिकायत करें तो किससे. पंचायत और ठेकेदार दोनों में से कोई भी समस्या हल करने की जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं है.
लगभग हर गांव में हमें बताया गया कि 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन का जलप्रदाय मानक किसान और पशुपालक ग्रामीणों के लिए ऊंट के मुंह में जीरे के समान है. जरूरत के अतिरिक्त पानी के लिए ग्रामीणों की अन्य उपलब्ध स्रोतों पर निर्भरता बनी हुई है.
मध्य प्रदेश के धार और बड़वानी जिले के करीब दर्जन भर गांवों का दौरा कर हमने पाया कि टेंडर की शर्तों के अनुसार 6 माह में पूरी होने वाली योजनाएं 4 वर्षों बाद भी अधूरी हैं. काम की गुणवत्ता से ग्रामीण और जनप्रतिनिधि असंतुष्ट हैं. वे योजनाओं की ऊंची लागत पर सवाल उठाते हुए इनमें भ्रष्टाचार की ओर भी इशारा कर रहे हैं.
जल जीवन मिशन संबंधी पेयजल योजनाओं की निर्णय प्रक्रिया में स्थानीय जनप्रतिनिधियों की भूमिका न होने को वे इनके दयनीय प्रदर्शन की मूल वजह बताते हैं.
ग्राम रणगांव (बड़वानी) की गृहिणी लक्ष्मीबाई की शिकायत है कि योजना से जल प्रदाय अनियमित और जरूरत से काफी कम होता है. 4 -5 दिनों में एक बार होने वाले जल प्रदाय से गर्मी के दिनों में बहुत दिक्कत होती है.
उत्तर प्रदेश का महोबा ज़िला
उत्तर प्रदेश के महोबा ज़िले के दलित बहुल बगरौनी गांव (ग्राम पंचायत बरेंडा बुजुर्ग, ब्लॉक- पनवाड़ी) के सभी 95 घरों तक नल से जल प्रदाय का दावा किया गया है, जबकि यहां जल जीवन मिशन से संबंधित कोई काम हुआ ही नहीं है.
ग्राम पंचायत के प्रधान देवेंद्र कुमार पटेल ने बताया कि गांव में करीब 10 साल पहले डाली गई जल प्रदाय पाइपलाइन बहुत अच्छी स्थिति में हैं. गांव के कंक्रीट खरंजे (आंतरिक सड़क) को नुकसान से बचाने के लिए ग्रामीणों ने जल जीवन मिशन की नई पाइपलाइन डालने का विरोध किया. उनकी मांग थी कि सिर्फ गांव के उन्हीं हिस्सों में नई लाइन डाली जाए जहां पुरानी लाइन क्षतिग्रस्त है.
ग्रामीण रविंद्र पटेल ने बताया कि उनके घर के आसपास पुरानी पाइपलाइन क्षतिग्रस्त है, इसलिए अभी उनके मोहल्ले में नल से जल प्रदाय नहीं हो रहा है.
सौजन्य: द वायर
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