पीएम मोदी के ‘परीक्षा पे चर्चा’ पर सरकारी ख़र्च 6 वर्षों में क़रीब 175% बढ़ा: आरटीआई
साल 2018 में शुरू हुआ ‘परीक्षा पे चर्चा’ सालाना कार्यक्रम है, जहां प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोर्ड परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के साथ बातचीत करते हैं. रिपोर्ट के अनुसार, साल 2023 में कार्यक्रम में होने वाला ख़र्च साल 2019 के 4.92 करोड़ रुपये से बढ़कर 10.04 करोड़ रुपये हुआ है.
द वायर
नई दिल्ली: देश में विभिन्न प्रतियोगी परीक्षाएं देने वाले छात्रों के राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) और शिक्षा मंत्रालय के खिलाफ प्रदर्शन के बीच एक सूचना के अधिकार अधिनियम (आरटीआई) आवेदन के जवाब से पता चला है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के परीक्षा देने वाले छात्रों के साथ होने वाले बातचीत सत्र ‘परीक्षा पे चर्चा’ पर केंद्र सरकार का खर्च पिछले छह वर्षों में लगभग 175% बढ़ा है.
रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग ने कार्यक्रम पर खर्च के बारे में कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के सवालों का जवाब दिया है. विभाग ने कार्यक्रम पर किए गए कुल खर्च की जानकारी दी है, लेकिन यह नहीं बताया कि इस पर कितना खर्च हुआ.
विभाग द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, कार्यक्रम में होने वाला खर्च साल 2019 के 4.92 करोड़ रुपये से बढ़कर साल 2023 में 10.04 करोड़ रुपये हो गया है, जो लगभग 175% की वृद्धि है.
कार्यक्रम के प्रबंधन का जिम्मा सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम एडसिल (EdCIL) पर है, जिसके टैक्स इनवॉइस में विज्ञापन फिल्मों, सोशल मीडिया और अन्य पर खर्च दिखाते हैं.
‘परीक्षा पे चर्चा’ एक वार्षिक कार्यक्रम है, जिसके तहत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बोर्ड परीक्षाओं में बैठने वाले छात्रों के साथ बातचीत करते हैं. छात्रों के साथ प्रधानमंत्री का यह कार्यक्रम पहली बार 16 फरवरी, 2018 को आयोजित किया गया था. कार्यक्रम में शिक्षक और अभिभावक भी शामिल रहते हैं.
साल 2023 की एक खबर के मुताबिक, ‘परीक्षा पे चर्चा’ के पहले पांच कार्यक्रमों पर 28 करोड़ रुपये से अधिक खर्च हुए थे.
इस कार्यक्रम का सातवां संस्करण इस साल 29 जनवरी को दिल्ली के भारत मंडपम में आयोजित हुआ था जिसके लिए 2.26 करोड़ से अधिक विद्यार्थियों, 14.93 लाख से अधिक शिक्षक और 5.69 लाख से अधिक अभिभावकों ने पंजीकरण कराया था.
यह संवाद सत्र पीएम मोदी के ‘एग्जाम वॉरियर’ कार्यक्रम का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ‘युवाओं के लिए तनाव मुक्त माहौल बनाना’ है.
हालांकि, आज के वर्तमान में देश में पढ़ाई या नौकरी की तलाश कर रहे युवाओं के लिए तनाव मुक्त रहना बहुत मुश्किल हो रहा है.
पेपर लीक और अन्य अनियमितताओं ने प्रतियोगी परीक्षाओं के आयोजन के तरीके पर गंभीर असर डाला है. इसी महीने पहले नीट-यूजी और फिर यूजीसी नेट पर गंभीर अनियमितता के आरोप लगे हैं, जिसके बाद यूजीसी-नेट को रद्द कर दिया गया.
इन इम्तिहानों में हुई अनियमितताओं को लेकर विपक्षी नेताओं ने ‘परीक्षा पे चर्चा’ के प्रचार पर करोड़ों खर्च करने के लिए मोदी सरकार पर सवाल उठाया है.
नेट का पेपर रद्द होने के बाद कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए एक्स (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा था कि प्रधानमंत्री हर साल ‘परीक्षा पे चर्चा’ नाम से एक भव्य तमाशा करते हैं. मगर, उनकी सरकार लीक और फ्रॉड के बिना कोई परीक्षा आयोजित नहीं कर सकती.
उन्होंने पिछले सालों में विभिन्न परीक्षाओं में हुई गड़बड़ियों का हवाला देते हुए शिक्षा व्यवस्था और नीति पर सवाल उठाया था. उन्होंने लिखा, ‘2020 की नई शिक्षा नीति, भारत की शिक्षा प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करने के बजाय केवल नागपुर शिक्षा नीति 2020 के रूप में कार्य करती है. यही ‘एंटायर पॉलीटिकल साइंस’ में एमए की विरासत है. क्या वह कभी ‘लीक पे चर्चा करेंगे?’
सौजन्य: द वायर
नोट: यह समाचार मूल रूप से www.thewier.com में प्रकाशित हुआ है और इसका उपयोग केवल गैर-लाभकारी/गैर-वाणिज्यिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानवाधिकारों के लिए किया गया था।