दलित परिवारों ने बासगीत पर्चा के लिए किया प्रदर्शन
रेलवे विभाग का काम शुरू होते ही इन परिवारों के घर तोड़ दिए गए, जिससे वे बेघर हो गए हैं
किशनपुर (बिहार) . एक तरफ सरकार दलित महादलित परिवारों के कल्याण की बात करती है, वहीं दूसरी तरफ स्थानीय अधिकारियों द्वारा उनका शोषण चरम पर है. अंदौली पंचायत के वार्ड नंबर एक स्थित बैजनाथपुर गांव में 40 भूमिहीन महादलित परिवार वर्षों से रेलवे किनारे रह रहे थे. रेलवे विभाग का काम शुरू होते ही इन परिवारों के घर तोड़ दिए गए, जिससे वे बेघर हो गए हैं.
इन परिवारों ने कई बार स्थानीय अंचलाधिकारी और डीएम से बासगीत पर्चा (आवासीय प्रमाण पत्र) की मांग की, लेकिन अब तक उनकी मांग अनसुनी रही. बुधवार को करीब पांच दर्जन महिला-पुरुषों ने अंचलाधिकारी कार्यालय के बाहर प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने अधिकारियों से तत्काल जमीन मुहैया कराने और सभी परिवारों को प्लास्टिक शीट मुहैया कराने का आग्रह किया.
प्रदर्शन में शामिल रिंकू देवी, राजकुमार सदा, रंजन देवी, सुरेश सदा, ज्योति देवी, हितलाल सदा, दुर्गा देवी, शंकर सदा, खुशबू देवी समेत अन्य ने बताया कि उनके पूर्वज 60-70 वर्षों से रेलवे की जमीन पर मकान बनाकर रह रहे थे। लेकिन कुछ माह पूर्व रेलवे ने पटरी बिछाने के दौरान उनके मकानों को तोड़ दिया। अब वे सड़क किनारे झोपड़ी बनाकर रहने को मजबूर हैं।
प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया कि उन्होंने कई बार अंचलाधिकारी और डीएम को लिखित आवेदन देकर जमीन की मांग की, लेकिन सिर्फ आश्वासन ही मिला। उन्होंने बताया कि जिस जगह वे रह रहे हैं, उसके बगल में कई एकड़ सरकारी जमीन है, जिस पर गांव के दबंगों ने कब्जा कर रखा है। प्रदर्शनकारियों ने चेतावनी दी कि अगर उन्हें तत्काल जमीन मुहैया नहीं कराई गई, तो वे अंचल कार्यालय पर धरना देंगे। अंचलाधिकारी सुशीला कुमारी ने कहा कि बहुत जल्द हम स्थल का निरीक्षण कर जमीन उपलब्ध कराने का काम करेंगे।
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सौजन्य: हिंदी समाचार