यूपीः दलित दुल्हन घर आई तो ससुरालवालों ने कहा-“हमारा धर्म भ्रष्ट हो गया!”
प्रेम विवाह के बाद विवाहिता के साथ जातिगत उत्पीड़न, पुलिस ने पति, ससुर, सास व जेठ के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व एससी/एसटी एक्ट में दर्ज किया मामला।
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में एक विवाहिता ने अपने ससुराल वालों के खिलाफ एससी/एसटी एक्ट और दहेज प्रताड़ना का मामला दर्ज कराया है। शहर के जनकपुरी में रहने वाले युवक-युवती ने 2020 में घर वालों की मर्जी के खिलाफ शादी की थी। दलित समुदाय की युवती से प्रेम विवाह के बाद, ससुराल वालों ने दहेज मांग करके युवती को परेशान करना शुरू कर दिया और उत्पीड़न भी किया।
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार युवती का कहना है कि उसने बीटेक और एमबीए किया है। नौकरी भी करती है। वह अनुसूचित जाति से है। परिवार वालों के खिलाफ जाकर उन्होंने 26 जून 2020 में सौरभ नाम के युवक से शादी की थी। मगर ससुराल वाले उनकी इस शादी के खिलाफ थे। धर्म भ्रष्ट करने के लिए उसको प्रताड़ित किया जाता था।
आरोप है कि दहेज की मांग भी रखी जाती थी, जबकि युवती ने अपनी कमाई से, लाखों रुपए के जेवर अपने ससुराल वालों के लिए बनवाए थे। इसके बाद युवती के पिता से मकान खरीदने के लिए रुपए देने का दबाव बनाने लगे। सारी तनख्वाह उसका पति ही लेता था। 1 फरवरी को उसके पति ने उसके पेट पर लात मार कर घर से निकाल दिया, जिसके चलते उसका गर्भपात भी हो गया। ससुराल वालों ने भी उसे पीटा। इसके बाद वह एक परिचित के यहां चली गई।
इसके बाद विवाहिता के पति सौरभ ने विवाह निरस्त करने के लिए हिंदू विवाह अधिनियम के तहत मुकदमा दाखिल कर दिया। पारिवारिक न्यायालय में बातचीत हुई। 22 अप्रैल को विवाहिता ससुराल गई तो उसे घर में घुसने नहीं दिया। शिकायत पर प्रेमनगर पुलिस ने पति सौरभ नागपाल, ससुर सुशील नागपाल, सास ललिता नागपाल व जेठ गौरव के खिलाफ दहेज उत्पीड़न व एससी/एसटी एक्ट में रिपोर्ट दर्ज कर ली है।
मानसिकता बदलने की जरूरत
महिलाओं के उत्थान के लिए काम कर रही स्वयंसेवी संगठन ‘समा’ की सदस्य सुशीला देवी ने द मूकनायक से कहा- “यह बहुत ही संवेदनशील मामला है। देश के हर कोने में अंतर जातीय विवाह के लिए जागरूकता फैलानी होगी। सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी इन चीजों में शिकार होते हैं। दूसरी जाति में विवाह करना आज भी आसान नहीं है। बस थोड़ा समय बदल गया है। कितने ऑनर किलिंग, कितनी हिंसा इसी वजह से हो जाती है। इसके लिए परिवार और समाज की सोच बदलनी होगी।”
अंतर जातीय विवाह को लेकर डॉ.भीमराव अंबेडकर के विचार
जात-पात को खत्म करने की दिशा में बेहद महत्वपूर्ण कदम उठाने वाले देश के संविधान निर्माता डॉ.भीमराव अंबेडकर कहा करते थे कि “अगर इस देश से जाति व्यवस्था खत्म करनी है तो अंतरजातीय विवाह और अंतरजातीय खान-पान को बढ़ावा देना होगा। आजादी के 70 साल बाद भी भारत जैसे घोर जातीवादी समाज में दो अलग-अलग जातियों के बीच शादी करना एक बेहद चुनौतीपूर्ण काम है।
सरकार देती है सहायता राशि
अंतर जातीय विवाह को बढ़ावा देने के लिए सरकार की ओर से सहयोग योजना चलाई जा रही है। इस योजना के तहत अगर कोई युवक या युवती किसी दलित से अंतर जातीय विवाह करता या करती है तो सरकार उस नवदंपत्ति को 2.5 लाख रुपये देती है।
योजना का मकसद समाज से जाति व्यवस्था की बुराई को खत्म करना है। साथ ही इस कुरीति के खिलाफ साहसिक कदम उठाने वाले युवाओं को प्रोत्साहित करना भी है। हालांकि, दूसरी शादी करने पर इस योजना का लाभ नहीं मिल पाता है।
क्या कहते हैं आंकड़े
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 2005-06 के राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़ों पर आधारित 2011 के एक अध्ययन में पाया गया कि लगभग दो प्रतिशत विवाह अंतरधार्मिक हैं। और 2011 की जनगणना के अनुसार छह प्रतिशत से भी कम भारतीय विवाह अंतरजातीय थे, यह दर पिछले चार दशकों से समान ही रही है।
सौजन्य :द मूकनायक
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