यूपी में अचानक हुई मौतों पर सबसे बड़ी पड़ताल:मरने वालों में 96% पुरुष; किसी को नहीं हुआ था कोरोना, लेकिन सभी ने लगवाई थी वैक्सीन
गाजियाबाद में आर्मी से रिटायर्ड हाजी हनीफ मस्जिद में नमाज पढ़ रहे थे। अचानक पीछे की तरफ फर्श पर गिरे। तड़पने लगे। कुछ सेकेंड में उनकी मौत हो गई।
मैनपुरी में रवि शर्मा रामलीला में हनुमान का रोल कर रहे थे। रामधुन पर थिरकते समय लड़खड़ाए और स्टेज पर गिरे। मौत हो गई। दर्शकों को लगा एक्टिंग कर रहे हैं।
वाराणसी में 32 साल का दीपक गुप्ता, पूरी तरह फिट। जिम में एक्सरसाइज करते समय सिरदर्द हुआ। जमीन पर गिरा, एक मिनट तड़पता रहा। अस्पताल ले गए, लेकिन सांसें थम चुकी थीं। बरेली में लैब टेक्नीशियन प्रभात कुमार दोस्त विशाल की बर्थडे पार्टी में डांस कर रहा था। अचानक वह फ्लोर पर गिरा। रिश्तेदारों ने उठाया, लेकिन तब तक धड़कनें बंद हो चुकी थीं।
यूपी में साइलेंट डेथ के ये चंद मामले हैं..। कोविड महामारी के बाद से 2 साल में ऐसी डेथ के मामले तेजी से बढ़े हैं। कुछ सामने आए तो कुछ गुमनाम रह गए। साइलेंट डेथ का सच जानने के लिए दैनिक भास्कर ने अब तक की सबसे बड़ी पड़ताल की। टीम उत्तर प्रदेश के 20 जिलों के ऐसे 25 परिवारों के पास पहुंची, जिनके परिवार में किसी न किसी की अचानक मौत हुई।
हमने 7 सवालों के जवाब तलाशे। जिनकी अचानक मौत हुई, क्या वह बीमार थे? कोई मेडिकल हिस्ट्री थी? कोरोना वैक्सीन लगी थी? कौन सी वैक्सीन लगी थी? क्या उन्हें कोरोना हुआ था? किस ऐज ग्रुप के ज्यादा लोगों की अचानक मौतें हुईं? महिलाएं ज्यादा हैं या पुरुष?
यूपी के 6 बड़े मेडिकल एक्सपर्ट्स से बात करके मौत के कारण भी तलाशने की कोशिश की।
पड़ताल के नतीजे चौंकाने वाले निकले। 25 केसेस में से 24 स्वस्थ थे, यानी उन्हें कोई बीमारी नहीं थी। 50% से ज्यादा की उम्र 20 से 40 साल के बीच थी। 75% ने कोविशील्ड की डोज ली थी, 25% ने कोवैक्सिन लगवाई थी। चिंताजनक ये है कि साइलेंट डेथ का शिकार ज्यादातर पुरुष हैं। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
सबसे पहले ये तीन केस स्टडी देखिए…
केस-1
जौनपुर: ‘मां, मैं जा रहा हूं…’ कानों में आज भी गूंजते हैं ये 5 शब्द
भदोही-मिर्जापुर मार्ग पर 10 किमी चलने पर उंचनी खुर्द गांव है। यहां रहने वाले राकेश यादव हॉस्पिटल के मालिक हैं।
मृतक अजीत के पिता राकेश यादव को अब भी विश्वास नहीं है कि उनका जवान बेटा नहीं रहा।
राकेश यादव बताते हैं- ईश्वर की कृपा से हमारे दोनों बेटे नवनीत और अजीत पढ़ने-लिखने में बहुत अच्छे थे। अजीत को 2018 में टीचर की सरकारी नौकरी मिल गई थी। घर से लगभग 5 किमी दूर स्कूल में पढ़ाता था। नेट एग्जाम की तैयारी भी कर रहा था। मैं भी खुश था। दोनों बेटे सेटल हो चुके थे।
रोजाना की तरह बेटा अजीत सुबह तैयार होकर स्कूल चला गया। अचानक 9 बजे के आसपास स्कूल से फोन आया कि अजीत की तबीयत खराब है। हम भागकर स्कूल पहुंचे। वहां देखा कि वह बेसुध पड़ा है। डॉक्टर के पास ले गए, लेकिन उसे मृत बता दिया गया। मौत की वजह साइलेंट अटैक सामने आई।
हमने पूछा- क्या अजीत की तबीयत खराब थी या कोई बीमारी थी? राकेश ने कहा- अजीत एकदम फिट था। उसने कई साल से कोई दवा नहीं खाई। न ही कोई बीमारी थी। इस बात की तस्दीक उनकी मां गीता और भाई नवनीत ने भी की।
भाई नवनीत ने अजीत के वैक्सीनेशन का सर्टिफिकेट दिखाया। 25 जून 2021 को अजीत को कोवीशील्ड की पहली डोज और 17 सितंबर 2021 को दूसरी डोज लगी थी। अजीत के पिता कहते हैं- पहले कभी विश्वास तो नहीं किया, लेकिन अब लगता है कि वैक्सीन की वजह से हमारे बच्चे की जान गई।
मां गीता देवी की आंखों में आंसू हैं। कहती हैं- पिछले दो साल से कान में रोजाना मेरे बेटे के आखिरी शब्द ‘मां, मैं जा रहा हूं’ गूंजते रहते हैं। हर पल उसकी ही बातें याद आती हैं।
अजीत यादव ने इसी प्राइमरी स्कूल में अटेंडेंस लेते समय दम तोड़ा था।
हम अजीत के स्कूल अवरैला पहुंचे। स्कूल के हेड-मास्टर जय सिंह ने कहा- अजीत क्लास में अटेंडेंस ले रहे थे। अचानक बच्चे चिल्लाने लगे। हम लोग पहुंचे तो उनकी गर्दन झूल चुकी थी। अजीत की मौत के बाद तकरीबन 6 महीने तक उस कमरे में कोई क्लास नहीं लगाई गई।
केस-2
मऊ: लूडो खेला, खाना खाया.. 2 झटके आए और मौत
मऊ से लगभग 35 किमी दूर गोंठा के शिवम पाल की मौत हार्ट अटैक से 5 मई, 2024 को हुई। वह परिवार का इकलौता बेटा था। पिता राजेंद्र पाल की दोहरीघाट में फोटो कॉपी की दुकान है। उन्होंने बताया- शिवम गोरखपुर में रहकर कंप्यूटर की क्लास करता था। उसकी मौत देवरिया में मौसी के घर हुई। वह एक दम अच्छा था, कोई बीमारी नहीं थी। कोरोना भी नहीं हुआ था।
जमीन पर लेटकर रोती-बिलखतीं शिवम की मौसी शकुंतला देवी। शिवम की मौत मौसी के घर ही हुई थी।
हमने शिवम की बड़ी बहन स्नेहा से भी मुलाकात की। स्नेहा से शिवम 3 साल छोटा था। स्नेहा बताती हैं, उसको (शिवम) न बुरी आदतों की लत थी, न ही वह गलत सोहबत में रहता था। तीन साल पहले उसकी कुछ तबीयत खराब हुई थी, लेकिन इस समय वह बिल्कुल अच्छा था।
हमारी मुलाकात शिवम की मौसी शकुंतला देवी से भी हुई। शकुंतला बताती हैं, रविवार (5 मई) को कंप्यूटर क्लास में छुट्टी रहती थी। वह शनिवार शाम (4 मई) को ही घर आ गया। सब भाई बहनों के साथ लूडो खेला। फिर अपनी मां से बात की। शाम को अच्छे से खाना खाकर सोया था। अचानक तड़के 4 से 5 बजे के आसपास उसे दो झटके आए। सबकी आंख खुल गई। डॉक्टर के यहां ले गए। जहां उसे मृत घोषित कर दिया गया। अचानक पता नहीं क्या हो गया?
मां गंगोत्री कहती हैं- 5 मई को बहन के घर से फोन आया कि शिवम की तबीयत खराब है। हम लोग बोले कि डॉक्टर के यहां ले जाओ। हम लोग वहां जाने की तैयारी कर ही रहे थे। फिर फोन आया, शिवम खत्म हो गया। घर से आखिरी बार 25 अप्रैल को गया था। रोजाना हमसे फोन पर बातचीत करता रहता था। आखिरी बार जल्द घर आने का वादा किया था। लेकिन आई तो उसकी लाश…।
केस-3
मिर्जापुर: बैंक से घर लौटा, औंधे मुंह गिरा, फिर नहीं उठा
मिर्जापुर जिले के धुंधी कटरा मोहल्ले में राजेश का घर है। 19 अप्रैल को उनकी मौत हुई। हम परिवार से मिलने उनके घर पहुंचे। यहां उनके पिता द्वारिका प्रसाद मिले। बुझे मन से हमसे बातचीत को तैयार हुए।
द्वारिका प्रसाद बताते हैं, राजेश नगरपालिका में ठेकेदारी करते थे। सुबह नाश्ता करने के बाद वह नगरपालिका और फिर बैंक गए। वहां से लौटे और आकर घर में बैठे ही थे कि अचानक तड़पने लगे और बेसुध हो गए। पानी देने का भी मौका नहीं मिला। डॉक्टर के यहां ले गए तो हार्ट अटैक बताया गया। अभी मेरे बेटे की उम्र 45 साल थी। यह भी कोई जाने की उम्र होती है?
राजेश की पत्नी विजय लक्ष्मी पर सास-ससुर और दो बच्चों की जिम्मेदारी आ गई है।राजेश की पत्नी विजय लक्ष्मी पर सास-ससुर
राजेश की पत्नी विजय लक्ष्मी भी पास में बैठी थीं। वह बताती हैं, घर के बगल में ही हमारा स्कूल है। घर का खर्च चलाने के लिए हम स्कूल में बैठते हैं। 18 अप्रैल को हम लोग परिवार सहित बनारस गए थे। सभी लोग रात में लौटे तो सोने में काफी देर हो गई। सुबह 4 बजे सोए। सुबह उठने में देर हुई तो वह (राजेश) स्कूल में जाकर बैठ गए। जल्दी-जल्दी अपना काम निपटाकर मैं भी आ गई। इसके बाद राजेश बोले, मैं बैंक जा रहा हूं। खाना आकर खाएंगे। वह घर तो आए, लेकिन खाना नहीं खा पाए। उनकी मौत हो गई।
हमने सवाल किया- किसी तरह के नशे की लत या कोई गलत आदत रही हो? विजय लक्ष्मी बताती हैं, ठेकेदारी करते थे तो पान वगैरह खाते थे, लेकिन कोई बीमारी नहीं थी। कोरोना महामारी में भी उनको संक्रमण नहीं हुआ था। इसके बावजूद वैक्सीन की डोज लगवाई थी। अब परिवार में सास-ससुर हैं और दो बच्चे हैं। जिनकी देखभाल करनी है।
उम्र के हिसाब से 5 ग्रुपों में बांटकर मौतों की स्टडी की
पड़ताल में हमने जाना कि किस उम्र के लोग साइलेंट डेथ का सर्वाधिक शिकार हो रहे…। 25 मृतकों को 5 ग्रुप में बांटा है। 5-20, 20-30, 30-40, 40-50 और 50 से 60 साल। सबसे ज्यादा 20 से 40 साल के बीच के 14 लोगों की मौत हुई है।
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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