गांधी-आंबेडकर और बिरसा की मूर्तियों को हटाने पर विपक्ष का विरोध, संसद परिसर में 50 मूर्तियों का स्थानांतरण
नई दिल्ली। संसद परिसर में स्थापित महापुरुषों और स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की मूर्तियों को उखाड़कर एक स्थान पर स्थापित कर दिया गया है। परिसर में जिस स्थान पर महापुरुषों की मूर्तियों को लगाया गया है, उसका नाम प्रेरणा स्थल रखा गया है। रविवार (16 जून) को उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने 17वीं लोकसभा के अध्यक्ष ओम बिड़़ला, राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू, अश्विनी वैष्णव, अर्जुन राम मेघवाल और एल मुरुगन की मौजूदगी में प्रेरणा स्थल का उद्घाटन किया। समारोह में लोकसभा सदस्य जगदंबिका पाल और राज्यसभा सदस्य राकेश सिन्हा भी मौजूद थे।
संसद परिसर के बाहरी लॉन में महात्मा गांधी, डॉ. बीआर अंबेडकर, महात्मा ज्योतिबा फुले, छत्रपति शिवाजी, महाराणा प्रताप, हेमू कालानी, महात्मा बसवेश्वर, कित्तूर रानी चन्नम्मा, मोतीलाल नेहरू, महाराजा रणजीत सिंह, दुर्गा मल्ल, बिरसा मुंडा, राजर्षि छत्रपति शाहू महाराज और चौधरी देवीलाल जैसे 50 राष्ट्रीय शख्सियतों की मूर्तियां हैं। अब संसद परिसर के विभिन्न स्थानों से हटाकर उन्हें एक स्थान पर लगा दिया गया है।
विपक्ष संसद परिसर में मूर्तियों के एक स्थान पर लगाने का विरोध कर रहा है। दरअसल, पहले महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां संसद परिसर में प्रमुख स्थानों पर थीं। यहां जरूरत पड़ने पर विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए इकट्ठा होते थे। अब सारी मूर्तियों को एक स्थान पर कर दिया गया है। जो किसी भी लिहाज से ठीक नहीं है।
कांग्रेस नेता जयराम रमेश का आरोप है कि मूर्तियां शिफ्ट करने का मुख्य कारण यह सुनिश्चित करना है कि महात्मा गांधी और डॉ. अंबेडकर की मूर्तियां संसद भवन के ठीक सामने किसी प्रमुख स्थान पर न हों। ताकि सांसद जरूरत पड़ने पर शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन ना कर सकें।
विपक्षी नेताओं का आरोप है कि विपक्षी सांसदों के विरोध-प्रदर्शन के साथ ही मोदी सरकार स्वतंत्रता सेनानियों और अन्य महापुरुषों की मूर्तियों को हटा कर आरएसएस के नेताओं की मूर्तियां लगाना चाहती है। अब वह सीधे तौर पर यह नहीं कर सकते हैं तो धीरे-धीरे वह देश के महापुरुषों और स्वतंत्रता सेनानियों को हटाने का षड्यंत्र कर रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि “संसद भवन परिसर में महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर समेत कई महान नेताओं की प्रतिमाओं को उनके प्रमुख स्थानों से हटाकर एक अलग कोने में स्थापित कर दिया गया है। बिना किसी परामर्श के मनमाने ढंग से इन मूर्तियों को हटाना हमारे लोकतंत्र की मूल भावना का उल्लंघन है। पूरे संसद भवन में लगभग 50 ऐसी मूर्तियां या आवक्ष प्रतिमाएं हैं। महात्मा गांधी और डॉ. बाबासाहेब अंबेडकर की प्रतिमाएं उचित स्थानों पर और अन्य प्रमुख नेताओं की प्रतिमाएं उचित विचार-विमर्श के बाद उचित स्थानों पर स्थापित की गईं। प्रत्येक प्रतिमा और संसद भवन परिसर में उसका स्थान अत्यधिक मूल्य और महत्व रखता है।”
खड़गे ने कहा कि पुराने संसद भवन के ठीक सामने स्थित ध्यान मुद्रा में महात्मा गांधी की प्रतिमा भारत की लोकतांत्रिक राजनीति के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। सदस्यों ने अपने भीतर महात्मा की भावना को आत्मसात करते हुए महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित की। यह वह स्थान है जहां सदस्य अक्सर अपनी उपस्थिति से शक्ति प्राप्त करते हुए शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक विरोध प्रदर्शन करते थे।
विपक्ष के आरोप पर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने रविवार को कहा कि संसद परिसर में फैली स्वतंत्रता सेनानियों और राष्ट्रीय प्रतीकों की मूर्तियों को इसके परिसर में एक नए परिसर, प्रेरणा स्थल में स्थानांतरित कर दिया गया है। मूर्तियों का स्थानांतरण सौंदर्यीकरण के हिस्से के रूप में किया गया था।
संवाददाताओं से बात करते हुए ओम बिड़ला ने यह भी कहा कि मूर्तियों के स्थानांतरण पर विभिन्न हितधारकों के साथ समय-समय पर चर्चा की गई क्योंकि ऐसे निर्णय लोकसभा अध्यक्ष के कार्यालय के दायरे में थे।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा “किसी भी मूर्ति को हटाया नहीं गया है, उन्हें स्थानांतरित कर दिया गया है। इस पर राजनीति करने की कोई जरूरत नहीं है।”
ओम बिड़ला ने कहा कि “समय-समय पर, मैं विभिन्न हितधारकों के साथ इन मुद्दों पर चर्चा करता रहा हूं। लोगों का विचार था कि इन मूर्तियों के एक ही स्थान पर होने से उनके जीवन और उपलब्धियों के बारे में जानकारी बेहतर तरीके से प्रसारित करने में मदद मिलेगी।”
जबकि कांग्रेस अध्यक्ष एवं सांसद मल्लिकार्जुन खड़गे का कहना है कि “संसद परिसर में मूर्तियों के लगाने और रख-रखाव के लिए संसद की एक समिति है, जिसमें सत्तापक्ष और विपक्ष के सांसद है। कई वर्षों से उसकी बैठक ही नहीं हुई है। ऐसे में यह कहना कि सभी हितधारकों से बात हुई है, गलत है।”
महात्मा गांधी और बी आर अंबेडकर की प्रतिमाएं पहले संसद परिसर में प्रमुख स्थानों पर स्थित थीं, जहां विपक्षी नेता सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने के लिए एकत्र होते थे।
बिड़ला ने कहा कि पुराने संसद भवन और संसद पुस्तकालय भवन के बीच लॉन पर स्थित प्रेरणा स्थल पूरे साल आगंतुकों के लिए खुला रहेगा और राष्ट्र निर्माण में नेताओं के योगदान का सम्मान करने के लिए स्मृति दिवस की मेजबानी करेगा।
लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, “इन महान भारतीयों की जीवन गाथाओं और संदेशों को नई तकनीक के माध्यम से आगंतुकों तक पहुंचाने के लिए एक कार्य योजना बनाई गई है।”
बिड़ला ने कहा कि प्रेरणा स्थल पर मूर्तियों के चारों ओर लॉन और उद्यान बनाए गए हैं ताकि आगंतुक आसानी से उन्हें श्रद्धांजलि दे सकें और क्यूआर कोड का उपयोग करके जानकारी प्राप्त करके उनके जीवन से प्रेरणा ले सकें।
पूरे संसद परिसर की सुरक्षा केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा संभालने के बारे में पूछे जाने पर बिड़ला ने कहा कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि एक एजेंसी पर जवाबदेही तय की जा सके।
उन्होंने कहा, इससे पहले, संसद सुरक्षा सेवा, दिल्ली पुलिस और केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल संसद परिसर की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे और जिम्मेदारियों में कुछ ओवरलैप था। लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि सीआईएसएफ कर्मियों को सांसदों से निपटने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है क्योंकि संसद की सुरक्षा प्रणाली अन्य परिसरों की सुरक्षा से अलग है। (जनचौक की रिपोर्ट)
सौजन्य :जनचौक
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