दलित युवक के आत्मदाह मामले की जांच के लिए एक और एसआईटी
बलरामपुर। गैड़ास बुजुर्ग थाना क्षेत्र में दलित राम बुझारत के आत्मदाह मामले में शासन ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया है। बीते दिनों एडीजी रेलवे जय नारायण सिंह की अध्यक्षता में बनी दो सदस्यीय एसआईटी के साथ ही अब तीन सदस्यीय एक अन्य समिति भी पूरे मामले की जांच करेगी। हाईकोर्ट ने मामले में समिति से अगस्त में लिफाफा बंद रिपोर्ट मांगी है। माना जा रहा है जून व जुलाई में जांच पूरी होगी।
अपर मुख्य सचिव गृह की तरफ से अब पुलिस महानिरीक्षक सतर्कता अधिष्ठान मंजिल सैनी की अध्यक्षता में अपर पुलिस अधीक्षक गोंडा राधेश्याम राय व अपर जिलाधिकारी बहराइच गौरव रंजन श्रीवास्तव की जांच समिति बनाई गई है। आदेश में स्पष्ट किया गया है कि निजी व्यवसायिक भूमि पर पुलिस के द्वारा कब्जा करने के आरोपों की निष्पक्ष जांच की जानी है। प्रशासन व पुलिस की तरफ से पूर्व में हुई जांच से स्पष्ट हो चुका है कि पुलिस ने जमीन पर कब्जा किया था, इसी कारण से दलित राम बुझारत ने आत्मदाह किया है। इसके बाद भी प्रभावी कार्रवाई न होने से मृतक की पत्नी कुसुमा न्याय के लिए संघर्ष कर रही है। उसी की याचिका पर हाईकोर्ट ने जांच के आदेश दिए हैं।
पिलर गाड़कर किया कब्जा, पुलिस ने नहीं की सुनवाई
गैड़ास बुजुर्ग थाना भवन का निर्माण पूरा होने के बाद बाउंड्री के बाहर निजी व्यवसायिक भूमि पर पिलर गाड़कर कब्जा किया गया था। इसे लेकर हुई शिकायत की पुलिस ने सुनवाई नहीं की। इससे आहत होकर दलित राम बुझारत ने 24 अक्तूबर 2023 को फेसबुक पर लाइव होकर आत्मदाह कर लिया था। इलाज के दौरान 30 अक्तूबर को राम बुझारत की मौत हो गई। उस समय प्रशासन व पुलिस की जांच में तत्कालीन थानाध्यक्ष की भूमिका संदिग्ध मिली थी। यही नहीं डीएम ने पूरे मामले की जांच में पाया कि जमीन का सिविल वाद विचाराधीन था और कोर्ट से कमीशन हो गया था। इसके बाद भी पुलिस ने जमीन पर कब्जा कर लिया।
कार्रवाई के लिए रणनीति बनाता रहा विभाग
राम बुझारत के आत्मदाह मामले में जिम्मेदार पुलिसकर्मियों को बचाने के लिए खूब दांवपेंच अपनाए गए। जांच में मामला स्पष्ट होने के बाद भी विवेचना का स्थानांतरण बहराइच कर दिया गया। यही नहीं जिलाधिकारी की कार्रवाई को झुठलाने के लिए बेजा प्रचार किया गया। पीड़िता कुसुमा को फंसाने के लिए डीएम को एक रिपोर्ट भेजी गई, वह भी ऐन लोकसभा चुनाव से एक दिन पहले। जिस पर डीएम ने जांच कराकर एसपी को कड़ा पत्र लिखा। अब एसआईटी जांच के आदेश में स्पष्ट किया गया है कि व्यवसायिक भूमि पर कब्जा करने के कारण युवक आत्मदाह करने को मजबूर हुआ। इससे रेंज व जोन के अधिकारियों की अध्यक्षता में जांच टीम न बनाकर उच्चाधिकारियों को शामिल किया गया।
इस वजह से पड़ी दो एसआईटी जांच की जरूरत
एक ही मामले की जांच के लिए दो एसआईटी गठित करने कि जरूरत क्यों पड़ी, यह समझना होगा। सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी रामबहादुर कहते हैं यह प्रकरण ऐसा है जिसमें अनुसूचित जाति के व्यक्ति को आत्मदाह के लिए मजबूर करने के साथ ही जमीन कब्जाने का आरोप है। वहीं, सिविल कोर्ट में वाद विचाराधीन होने के कारण इसमें दखल देना न्यायालय की अवमानना है। इसमें एक फौजदारी जांच की जरूरत है। दूसरा पुलिस ने जिस तरह से काम किया है उसमें जिम्मेदारों पर विभागीय कार्रवाई तय करने के लिए भी जांच करानी है। इसलिए ऐसा किया जाना जरूरी है।
गैड़ास बुजुर्ग मामले की जांच शुरू होने पर प्रशासन पूरा सहयोग करेगा। पहले ही प्रकरण की पूरी रिपोर्ट शासन को भेजी जा चुकी है। शासन की प्राथमिकताओं को कड़ाई से लागू किया जा रहा है। अरविंद सिंह, जिलाधिकारी
सौजन्य :अमर उजाला
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