थानेदार ने जबरन कब्जाई थी दलित की जमीन, प्रशासन के बाद अब हाईकोर्ट ने लिया सख्त एक्शन, पुलिस विभाग में मचा हड़कंप
थाने से सटी दलित की जमीन को थानेदार और पुलिस कर्मियों ने मिलकर जबरन कब्जा किये जाने से नाराज दलित ने थाने के सामने आत्मदाह कर लिया था। जिससे उसकी मौत हो गई थी। इस मामले में हाई कोर्ट ने सख्त एक्शन लिया है। जिससे पुलिस विभाग में खलबली मच गई है।
बलरामपुर जिले के थाना गैंडास बुजुर्ग में थाने से सटी दलित के व्यावसायिक भूखंड को थानाध्यक्ष ने जबरन कब्जा कर लिया। इससे नाराज दलित ने थाने के सामने आत्मादाह कर लिया था। जिससे उसकी मौत हो गई। हाई कोर्ट ने इस मामले में जिला प्रशासन से एफिडेविट मांगा था। डीएम अरविंद सिंह ने इस मामले में काउंटर एफिडेविट मजिस्टीरयिल जांच कमीशन रिपोर्ट हाई कोर्ट को सौपा था। इसके बाद हाई कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने सख्त रुख अख्तियार करते हुए एडीजी स्तर के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की दो सदस्यीय SIT टीम का गठन कर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। जिससे पुलिस विभाग में खलबली मच गई है।
बलरामपुर जिले के थाना गैंडास बुजुर्ग के रहने वाले दलित राम बुझारत की बेशकीमती जमीन पर थाने के अधिकारियों द्वारा कब्जा करने के कारण आत्महत्या के प्रकरण में हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खण्डपीठ ने बलरामपुर और बहराइच पुलिस की कार्यशैली पर गहरी नाराजगी जाहिर करते हुए आईजी स्तर के अधिकारियों वाली एसआईटी गठित करने का आदेश अपर मुख्य सचिव गृह को दिया था। आदेश के क्रम में आईपीएस अफसर जय नारायण सिंह, अपर पुलिस महानिदेशक रेलवे लखनऊ, अध्यक्ष और राम प्रकाश अपर आयुक्त प्रशासन देवीपाटन मण्डल SIT में सदस्य नामित हुए है। मृतक दलित राम बुझारत की पत्नी कुसुमा निवासी गैडास बुजुर्ग ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर तत्काीलन एसएचओ पवन कनौजिया एवं पुलिस के अधिकारियों को पार्टी बनाते हुए यह आरोप लगाया था कि उसकी निजी जमीन पर थाना पुलिस/एसएचओ पवन कनौजिया ने जबरन कब्जा कर लिया। पुलिस द्वारा अवैध कब्जे की शिकायत राम बुझारत ने थानाध्यक्ष गैंडास बुजुर्ग से लिखित तहरीर के द्वारा की गई थी। परन्तु थानाध्यक्ष ने सिविल कोर्ट में प्रकरण विचाराधीन होने का तथ्य जानते हुए अवैध कब्जे का प्रयास करते रहे। अपनी बेशकीमती जमीन थाने की पुलिस द्वारा ही कब्जा कर लिये जाने से क्षुब्ध होकर राम बुझारत ने विगत 24 अक्टूबर 2023 दशहरे के दिन विरोध स्वरूप थाने के सामने ही ज्वलनशील पदार्थ डालकर आत्मादाह कर लिया था। जिससे उसकी मृत्यु हो गई थी। मामले में थाना गैंडास बुजुर्ग में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। परन्तु मुकदमें में पुलिस ने निष्पक्ष विवेचना एवं कार्रवाई नहीं की। जिससे असंतुष्ट मृतक राम बुझारत की पत्नी ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर पुलिस के खिलाफ कार्रवाई एवं निष्पक्ष विवेचना की मांग की थी।
हाई कोर्ट की निगरानी में एसआईटी का गठन
हाईकोर्ट के निर्देश पर शासकीय अधिवक्ता ने जिला प्रशासन से प्रति शपथपत्र मांगा था। जिसमें जिला मजिस्ट्रेट अरविन्द सिंह ने काउन्टर एफिडेबिट दायर किया। जिसमें मजिस्टीरियल जांच की रिपोर्ट और सिविल न्यायालय कोर्ट कमीशन रिपोर्ट इत्यादि हाईकोर्ट के समक्ष योजित की गई थी। 30 मई 2024 को सुनवाई के वक्त इन समस्त दस्तावेजों काउन्टर एफिडेबिट के आलोक मे हाईकोर्ट ने यह निर्णय लिया कि रेन्ज के दोनों जनपदों की पुलिस से मामले की निष्पक्ष जांच संभव नहीं है। इसलिए वरिष्ठ अधिकारियों की अध्यक्षता में हाईकोर्ट की निगरानी वाली एसआईटी गठन करने का आदेश जारी कर दिया।
दलित की जमीन का वाद पहले से सिविल कोर्ट में विचाराधीन
राम बुझारत की भूमि का विवाद पहले से सिविल कोर्ट बलरामपुर में विचाराधीन है। सिविल कोर्ट के तकनीकी बिन्दुओं पर स्पष्टता आ जाये। इसके लिए कोर्ट कमीशन भी हुआ था। कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट में भी इस बात का उल्लेख है कि उक्त भूमि थाना गैंडास बुजुर्ग की नहीं है। मुकदमे में निजी पक्षकारों के मध्य वादग्रस्त भूमि है। सन 2018 में तत्कालीन एसडीएम उतरौला ने तत्कालीन एसपी को नवीन थाने के निर्माण हेतु थाने की जमीन आवंटित की गई थी। उसका समस्त नजरी नक्शा पुलिस को हैण्डओवर किया गया था। जिसमें थाने की आगे की जमीन थाने को कभी नहीं दी गई थी।
पुलिस को दांव पर गया उल्टा
हाईकोर्ट में जिला प्रशासन की रिपोर्ट, मजिस्टीरियल इन्क्वायरी रिपोर्ट, कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट को चैलेन्ज करने का प्रयास किया गया। शासन के प्रतिनिधि की कुर्सी को ही चैलेन्ज कर दिया गया। परन्तु इतना मंहगा खर्चा काम नहीं आया। नतीजतन यह दांव पुलिस को उल्टा पड़ गया। शासन ने एसपी बलरामपुर को निष्पक्ष जांच के लिए मामले से जुड़े समस्त अभिलेख साक्ष्य एसआईटी को तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं।
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