लखनऊ: नियमित और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की इन मांगों पर कार्रवाई करे सरकार, इप्सेफ ने बुलंद की आवाज
लखनऊ, अमृत विचार। इंडियन पब्लिक सर्विस इंप्लाइज फेडरेशन (इप्सेफ) ने 5 करोड़ कर्मचारी परिवारों और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं का मुद्दा एक बार फिर उठाया है। इप्सेफ ने नई सरकार से मांग की है कि नियमित और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान के लिए जल्द जरूरी कदम उठाये। नहीं तो कर्मचारी आंदोलन करने पर मजबूर होंगे।
इप्सेप की तरफ से कहा गया है कि भारत सरकार के अनुसार देशभर की आबादी में से 80 करोड़ गरीबी रेखा से नीचे जिन्हें सरकार मुफ्त राशन दे रही है, मध्यम श्रेणी के 40 करोड़ है, शेष बचे 20 करोड़ लोग बड़ी कैटेगरी में आते हैं। सरकार कहती है कि देश में गरीबी समाप्त हो गई है, कैसे?
इप्सेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वीपी मिश्रा ने कहा कि भीषण महंगाई से मध्यम श्रेणी के लोगों का बुरा हाल है, ऐसे परिवार दो 2 जून की रोटी बच्चों की शिक्षा दीक्षा और अन्य घरेलू सामग्री की व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। मध्यम श्रेणी के लोगों में देश भर के लगभग 5 करोड़ कर्मचारी परिवार भी आते हैं।
उन्होंने कहा है कि पुरानी पेंशन बंद कर दी गई है, नियमित रिक्त पदों पर भर्ती करने की जगह आउटसोर्स के कर्मचारियों से सरकार काम चल रही है। आउटसोर्स कर्मचारियों का और बुरा हाल है क्योंकि उन्हें मात्र 8 से 10000 प्रति माह मिलता है। पता नहीं पर कैसे वह जीवन यापन कर रहे हैं।
इप्सेफ के राष्ट्रीय महासचिव प्रेमचंद और सचिव अतुल मिश्रा ने भारत सरकार से आग्रह किया है कि पुरानी पेंशन की बहाली, आउटसोर्स से भर्ती बंद कर के नियमित भर्ती तत्काल करने की कार्रवाई करें। साथ ही कार्यरत आउट सोर्स कर्मचारियों को नियमित किया जाये। इसके अलावा सरकार न्यूनतम वेतन देने के लिए तत्काल नियमावली बनाये। नहीं तो बड़ा आंदोलन करने के लिए कर्मचारी बाध्य हो जाएंगे।
इप्सेफ ने 4 जून के बाद आने वाली नई सरकार से आशा व्यक्त की है कि इन मुद्दों पर प्राथमिकता से फैसला करें। जिससे देश भर के मेहनतकश लोग मजबूरी में बड़ा आंदोलन करने को बाध्य ना हो जाएं। इप्सेफ की 6 – 7 जुलाई को होने वाली राष्ट्रीय बैठक में इस बिंदु पर भी विचार करके निर्णय होगा।
सौजन्य :अमृत विचार
नोट: यह समाचार मूल रूप सेamritvichar.com में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था|