संघर्ष की गाथा, उद्योग व कारोबार में भी आगे बढ़ रहे बिहार के दलित
संविधन प्रारूप समिति के अध्यक्ष और देश के सर्वोच्च दलित नेता बाबा साहेब भीमराव अंबेदकर की आज जयंती है. उन्होंने दलितों के समर्ग विकास के लिए अपना जीवन समर्पित किया. आज बिहार के दलित उनके सपनों को पूरा कर रहे हैं. ऐसे ही कुछ दलितों से प्रभात खबर ने बात की है|
सुबोध कुमार नंदन, पटना. आज संविधान निर्माता बाबा साहेब डॉ भीमराव आंबेडकर का जन्मदिन है. बाबा साहेब का सपना दलितों की सामाजिक और आर्थिक बराबरी रहा है. उनके सपनों को साकार करने में बिहार के कई ऐसे दलित उद्यमी लगे हैं, जिन्होंने अपनी उद्यमिता और संघर्ष से उदाहरण पेश किया है. दलित उद्योग और कारोबार में भी तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. कारोबार और उद्योग की दुनिया में भी जगह बना रहे हैं. संपर्को, संसाधनों के मोर्चे पर पिछड़े दलितों को कारोबार की मजबूत किलेबंदी भेदने में दिक्कतें तो आ रही हैं, लेकिन वे हौसले के साथ इस काम में जुटे हैं और उन्हें सफलता भी मिल रही है.
कैसे मिला मुकाम
इसी क्रम में बिहार में दलित इंडियन चैंबर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (डिक्की) के बिहार चैप्टर के अलावा अन्य संगठन पिछले कई सालों से काम कर रही है. प्रभात खबर ने दलित उद्यमियों और कारोबारियों से उनके संघर्ष और सफलता के इस मुकाम पर कैसे पहुंचे और भविष्य में अपने उद्योग और कारोबार को कैसे देश-दुनिया में परचम लहरायेंगे. इस पर दलित उद्यमियों और कारोबारियों से बातचीत कर उनके अनुभव को जानने का प्रयास उन्हीं की जुबानी किया.
कठिनाइयों का सामना कर इन्होंने की तरक्की, मिल रहा सम्मान
राकेश कुमार- भेदभाव आज भी है, पर नजरिया बदल रहा है
उद्यमी राकेश कुमार ने कहा कि मैं बचपन से सोचता था की मेरे माता-पिता सुअर पालन का व्यवसाय करते हैं. व्यवसाय तो कोई खराब नहीं होता, पर सामाजिक दृष्टि से लोग अलग तरीके से देखते हैं. बाबा साहब की जीवनी को मैं जब भी पढ़ता था, मेरे भीतर एक खास ऊर्जा प्रवाहित होने लगती थी. मैं बड़ा-बड़ा सपना देखता था. पर हमें आज भी सामाजिक भेदभाव का सामना करना होता है, जो हमारी मस्तिष्क को हिला डालता है. काफी संघर्ष के बाद मैंने अपना व्यवसाय शुरू किया. मुख्यमंत्री उद्यमी योजना में अपना आवेदन डाला और 10 लाख लोन मुझे मिला गया. फिर मैंने एक नोट बुक की कंपनी बनायी और आज देखते-देखते 70 लाख की टर्नओवर वाली कंपनी बन गयी.
मुकेश कुमार दास- मेरे लिए बिजनेस में सफलता आसान नहीं थी
कोरोबारी मुकेश कुमार दास ने कहा कि बैंक में परीक्षा देने के बाद मेरा रिजल्ट आने लगा, पर मेरिट लिस्ट में बार-बार छंटता रहा. उधर दिन पर दिन मेरे घर की आर्थिक स्थिति कमजोर पड़ने लगी. घर की हालत को देखकर मैंने छोटो-मोटा कारोबार शुरू किया. 2017 में आंध्र बैंक से मुझे लोन मिला. फिर मैंने एलोरा फुटवियर इंडस्ट्री जूता फैक्ट्री का निर्माण किया. तब से मैं बिजनेस चलाने लगा. हालांकि, इस दौरान कई बार परेशानियों का सामना करना पड़ा. कुछ समय के बाद काफी घाटा होने लगा, फिर भी मैंने बिजनेस को नहीं छोड़ा. मेहनत रंग लायी और आज प्रति वर्ष 60-70 लाख रुपये मेरी कंपनी का टर्नओवर है
पायल कुमारी- मैं आज कई लोगों को रोजगार दे रही हूं
Payal Kumari 1
महिला दलित उद्यमी पायल कुमारी ने कहा कि मेरा जन्म मुजफ्फरपुर जिले में एक रजक परिवार में हुआ था. मुझे बचपन से ही सिलाई और कटाई में रूचि रही है. अतः मेरे इस इच्छा को व्यापार में बदलने की ऊर्जा मुझे तब मिली जब इंटर के बाद मेरी शादी हो गयी. मेरे पति ने इसे एक रोजगार के रूप में स्थापित करने के लिए काफी सहयोग किया. मैं जीविका समूह में शामिल हो गयी. मुझे खुद का व्यवसाय खड़ा करना था, ऐसे में जीविका और उद्योग विभाग ने इसे सच करने में अहम भूमिका निभायी. मेरी यूनिट 2000 हजार स्क्वायर फिट की है, जो राज्य सरकार बियाडा के द्वारा मिला है. हमारे यूनिट में 24 मशीन हैं जिसमे 16 महिलाएं व आठ पुरुष काम करते हैं. आज मैं कई लोगों को रोजगार दे रही हूं.
नीतीश कुमार- दिन रात मेहनत कर खुद का व्यवसाय खड़ा किया
Nitish Kumar
दलित उद्यमी नीतीश कुमार कहते हैं कि मेरा जन्म भागलपुर जिले में दलित समुदाय में हुआ. मैं हमेशा से अपना खुद का व्यापार करना चाहता था, लेकिन बैंक के चक्कर काट- काट परेशान हो गया, सफलता नहीं मिली. फिर मैंने दलित इंडियन चैम्बर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री द्वारा संचालित एक उद्यमी विकास कार्यक्रम में भाग लिया, जहां मुझे बिहार सरकार द्वारा चलाई जा रही मुख्यमंत्री अनुसूचित जाति अनुसूचित जनजाति उद्यमी योजना की जानकारी मिली. दिन रात मेहनत कर विजय ट्रेडर्स नामक एक फर्म बनाई और अपना एलुमिनियम फेब्रिकेशन का बिजनेस खड़ा किया. देखते देखते मेरी कंपनी एक करोड़ की टर्नओवर वाली फर्म बना गयी.
कैप्टन सत्य प्रकाश- दलित समाज के लोग आज दूसरे को दे रहे रोजगार
Captain Satya Prakash
डिक्की (बिहार चैप्टर) के स्टेट अध्यक्ष कैप्टन सत्य प्रकाश कहते हैं कि बाबा साहेब और पद्मश्री मिलिंद कांबले के विचारों से प्रभावित होकर दलित समाज के लोग आज दूसरे को रोजगार दे रहे हैं. कोई भी सरकारी बैंक एससी-एसटी समाज को लोन देने के लिए आरबीआइ
के गाइडलाइंस को पूरा नहीं कर रही है. दलित इंडियन चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज (डिक्की) जो निम्न वर्ग के उद्यमियों के हित के लिए नीतियां बनाने में सरकार को मदद करती हैं. अभी भी राज्य सरकार के बहुत सारे उद्योग विभाग के कमिटियों में डिक्की को प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया है, जिससे उन विभाग के कार्यों की समीक्षा नहीं हो पाती है.
डॉ ए के मेहरा- नौकरी देने वाली सोच विकसित कर रहे दलित
आईटी के प्रमुख डिक्की डॉ ए के मेहरा कहते हैं कि बाबा साहेब ने आर्थिक सुदृढ़ीकरण पर काफी जोर दिया है और इसी मिशन के साथ डिक्की (बिहार चैप्टर) दलित समुदाय को नौकरी करने वाली सोच को बदल कर नौकरी देने वाली सोच विकसित कर रही है. डिक्की दलितों को राज्य और देश की विकास में आर्थिक बोझ नहीं, आर्थिक योगदान के लिए तैयार कर रही है. लेकिन बिहार में केंद्र सरकार और राज्य सरकार दोनों नाकाम है पर दलित समुदायों को सरकार द्वारा उद्यमिता से जोड़ने का प्रयास नहीं हो रहा है. दलित उद्यमिता विकास और जागरूकता के लिए जहां केंद्र सरकार की एससी एसटी कार्य करती है, जिसका बिहार में एक कार्यालय तक नहीं है.
सौजन्य:प्रभात खबर
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