एसबीआई ने चुनाव आयोग को सौंपा चुनावी बॉन्ड का डेटा आरटीआई के तहत देने से इनकार किया
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद बीते माह भारतीय स्टेट बैंक ने चुनावी बॉन्ड से जुड़ा डेटा चुनाव आयोग को सौंपा था, लेकिन अब वही डेटा जब सूचना के अधिकार के तहत मांगा गया तो बैंक ने इसे आरटीआई अधिनियम के तहत छूट प्राप्ट जानकारी बताकर देने से इनकार कर दिया|
नई दिल्ली: आरटीआई अधिनियम के तहत छूट का हवाला देते हुए भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने कहा है कि वह 21 मार्च को भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को सौंपा गया चुनावी बॉन्ड का डेटा सेवानिवृत्त कमोडोर लोकेश बत्रा को प्रदान नहीं कर सकता है|
रिपोर्ट के मुताबिक, एसबीआई ने बत्रा को यह जानकारी देने से भी इनकार कर दिया कि 11 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में बैंक का प्रतिनिधित्व करने के लिए वकील हरीश साल्वे को कितना भुगतान किया गया था| बता दें कि जब एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के डेटा का खुलासा करने के लिए तीने महीने का अतिरिक्त समय मांगा था तब साल्वे ही बैंक की ओर से वकील थे. उक्त आवेदन शीर्ष अदालत ने खारिज कर दिया था|
एसबीआई ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों के बाद 21 मार्च को ईसीआई को अप्रैल 2019 और फरवरी 2024 के बीच खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का डेटा सौंप दिया था, जिसमें प्रत्येक बॉन्ड से जुड़े विशिष्ट नंबर थे जो बॉन्ड प्राप्तकर्ता राजनीतिक दलों के साथ बॉन्ड दाताओं के मिलान में मदद करते.
ईसीआई ने उसी दिन अपनी वेबसाइट पर डेटा सार्वजनिक कर दिया था. लेकिन जब इसी डेटा की मांग बत्रा ने बैंक से की तो उसने कहा कि उक्त जानकारी आरटीआई नियम के तहत छूट प्राप्त है|
एसबीआई ने बत्रा को बुधवार (10 अप्रैल) को लिखा, ‘आपके द्वारा मांगी गई जानकारी में खरीद और राजनीतिक दलों का विवरण शामिल है और इसलिए इसका खुलासा नहीं किया जा सकता है क्योंकि यह प्रत्ययी (विश्वास संबंधी) क्षमता की जानकारी है, जिसका खुलासा आरटीआई अधिनियम की धारा 8(1)(ई) और (जे) के तहत छूट प्राप्त है.’बता दें कि प्रत्ययी जिम्मेदारियों में विश्वास शामिल होता है, विशेष रूप से दूसरों के धन या संपत्ति पर नियंत्रण से जुड़ी स्थितियों में. बत्रा ने कहा कि बैंक द्वारा इस जानकारी से इनकार करना ‘अजीब’ है क्योंकि यह डेटा ‘पहले से ही (आयोग की) वेबसाइट पर सार्वजनिक डोमेन में है.’
एसबीआई के मामले का प्रतिनिधित्व करने के लिए हरीश साल्वे को भुगतान की गई ‘कुल राशि’ संबंधी उनके प्रश्न पर बैंक ने फिर से आरटीआई अधिनियम में छूट का हवाला दिया और अधिनियम की समान धाराओं का उल्लेख किया.साथ ही, कहा गया कि ‘जानकारी का स्वभाव वाणिज्यिक विश्वास वाला है, इसलिए इसे अस्वीकार किया जाता है क्योंकि इसे आरटीआई अधिनियम की धारा 8 (1) (डी) के तहत छूट दी गई है.’
उपधारा (1) (डी) ऐसी जानकारियों को छूट प्रदान करती है जिसमें ‘वाणिज्यिक विश्वास, व्यापारिक गोपनीयता या बौद्धिक संपदा की जानकारी होती है, जिसके खुलासे से तीसरे पक्ष की प्रतिस्पर्धी स्थिति को नुकसान हो.’ ‘बत्रा ने कहा कि एसबीआई ने ‘उस जानकारी से इनकार किया है जिसमें शीर्ष अदालत में बैंक का बचाव करने के लिए (वरिष्ठ वकील) हरीश साल्वे को भुगतान किए गए करदाताओं के पैसे शामिल थे|
सौजन्य: द वायर
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