UP Madrasa Act: 17 लाख मदरसा स्टूडेंट्स को ‘सुप्रीम’ राहत, 2004 के कानून से चलती रहेगी पढ़ाई, इलाहाबाद HC के आदेश पर रोक
UP Madrasa Act: उत्तर प्रदेश में लगभग 16,000 मदरसे हैं। जिन्हें मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता मिला है। उनमें से 560 मदरसों को सरकार से अनुदान मिलता है। इसके अलावा प्रदेश में साढ़े 8 हजार गैर मान्यता प्राप्त मदरसे हैं।
UP Madrasa Act: उत्तर प्रदेश के लगभग 17 लाख मदरसा छात्रों को बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार, 5 अप्रैल को यूपी मदरसा अधिनियम को रद्द करने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश पर रोक लगा दी। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि हाईकोर्ट ने मदरसा एक्ट के प्रावधानों को समझने की भूल की है। हाईकोर्ट का यह मानना गलत है कि यह एक्ट धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है।
सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार, उत्तर प्रदेश की योगी सरकार, यूपी मदरसा एजुकेशन बोर्ड को नोटिस जारी किया है। सभी से 31 मई तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है। अब जुलाई के दूसरे हफ्ते में इस मामले पर सुनवाई होगी। तब तक हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगी रहेगी।
क्या गुरुकुल को बंद कर देना चाहिए?
मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायाधीश जेबी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की बेंच ने इस मामले की सुनवाई की। अदालत में मदरसा बोर्ड की तरफ से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आज गुरुकुल लोकप्रिय हैं। क्योंकि वे अच्छा काम कर रहे हैं। हरिद्वार, ऋषिकेश में कई गुरुकुल हैं। यहां तक कि मेरे पिता के पास भी उनमें से एक की डिग्री है। तो क्या हमें उन्हें बंद कर देना चाहिए और कहना चाहिए कि यह हिंदू धार्मिक शिक्षा है? क्या यह 100 साल पुराने कानून को खत्म करने का आधार हो सकता है?
सिंघवी ने कहा कि हाईकोर्ट का अधिकार नहीं बनता कि वह मदरसा एक्ट को खत्म करे। 17 लाख छात्र प्रभावित हुए हैं। यह एक्ट 125 साल पुराना है। 1908 से मदरसा रजिस्टर हो रहे हैं।
पिछले महीने हाईकोर्ट ने रद्द किया था एक्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च में धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करने के लिए यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट, 2004 को असंवैधानिक घोषित किया था और राज्य सरकार को औपचारिक शिक्षा प्रणाली में मदरसा छात्रों को समायोजित करने का निर्देश दिया था।
सौजन्य :हरिभूमि
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