10 न्याय, 25 गारंटी, खत्म होंगे MSP कानून और अग्निपथ स्कीम, जानिए कांग्रेस के ‘न्यायपत्र’ में क्या-क्या
Congress Manifesto: कांग्रेस ने शुक्रवार को अपना घोषणापत्र जारी किया। इस दौरान पार्टी अध्यक्ष खरगे, सोनिया, राहुल, मेनिफेस्टो कमिटी के अध्यक्ष पी. चिदंबरम मौजूद रहे। कांग्रेस के घोषणापत्र में दस न्याय और 25 गारंटी का जिक्र है।
हाइलाइट्स
लोकसभा चुनाव के लिए कांग्रेस ने जारी किया घोषणापत्र
कांग्रेस ने दस न्याय और 25 गारंटी को दी मेनिफेस्टो में जगह
युवाओं के रोजगार और महिलाओं के मुद्दों पर भी फोकस
नई दिल्ली: कांग्रेस ने शुक्रवार को दस न्याय और 25 गारंटी वाला ‘न्यायपत्र’ नाम से अपना मेनिफेस्टो जारी किया। इसमें कांग्रेस मुख्य रूप से दो बिंदुओं पर बात करती नजर आई। एक तरफ कांग्रेस ने अपने भारतीय संविधान के उन बुनियादी मुद्दों पर बात की, जिन्हें लेकर वह लगातार अपने सरोकार और चिंताएं जाहिर करती रही है। तो वहीं दूसरी ओर वह जनकल्याण से जुड़े कार्यक्रमों और योजनाओं की रूपरेखा सामने रखने की कोशिश करती दिखी। कांग्रेस संवैधानिक अधिकारों के मुद्दे पर मोदी सरकार में लगातार हमले होने का आरोप लगाती रही है।
संविधान के अनुच्छेद 15-16 में करेगी विस्तार
दरअसल, कांग्रेस का दावा रहा है कि आजादी के बाद उसके राज में संवैधानिक मूल्यों और ढांचे का यथावत रखने की कोशिश होती रही है, लेकिन इस दौर में अब उन पर खतरा मंडरा रहा है। मसलन समानता के अधिकार को लेकर वह किसी भी तरह के भेदभाव को रोकने के लिए संविधान की अनुच्छेद 15-16 में विस्तार करेगी। वह संघवाद के जरिए संविधान में दिए राज्यों के अधिकारों के पक्ष में भी दिखी। दरअसल, पार्टी एनडीए सरकार पर सुव्यवस्थित तरीके से संघवाद के ताने-बाने को नष्ट करने का आरोप लगाती रही है। इसे दुरुस्त करने के लिए वह संविधान की 7वीं अनुसूची में विधायी क्षेत्रों के वितरण की समीक्षा की बात करती है। इसी तरह से कांग्रेस देश में हमारी संवैधानिक संस्थाओं की स्वायत्तता पर जोर देती दिखी।
जन कल्याणकारी राज पर जोर
वहीं, कांग्रेस एक बार फिर जन कल्याणकारी राज पर जोर देती दिखी। कांग्रेस ने जिस तरह से आरटीआई, मनेरगा, फूड सिक्योरिटी और शिक्षा के अधिकार जैसे कार्यक्रमों और योजनाओं के जरिए यूपीए सरकार चलाई थी, अपने न्यायपत्र में कांग्रेस उसी दिशा में आगे बढ़ती दिखी। जहां वह महिला, युवा, किसान, श्रमिक, भागीदारी न्याय के जरिए समाज के हर वर्ग के जीवन को बेहतर बनाने के लिए कुछ न कुछ रोडमैप सामने रखने की कोशिश करती दिखी। रोजगार को लेकर मोदी सरकार की कड़ी आलोचक कांग्रेस ने बेरोजगारी दूर करने और रोजगार मुहैया कराने को लेकर एक विस्तृत खाका रखा। वहीं, कांग्रेस ने सामाजिक न्याय के साथ आर्थिक न्याय की बात भी कही। कांग्रेस ने मोदी सरकार की विदेश और रक्षा नीति को लेकर आड़े हाथों लिया और जिन मुद्दों पर वह सरकार की आलोचना करती रही है, उस मुद्दे वह आलोचना के साथ एक विकल्प के साथ सामने आई। फिर चाहे अग्निवीर योजना हो या फिर किसानों की एमएसपी और कर्जमाफी को लेकर की जा रही मांगें- पार्टी के दस्तावेज में इन सभी पर एक विकल्प देने की कोशिश नजर आई। दरअसल, कांग्रेस इस न्यायपत्र के जरिए समाज के अलग-अलग वर्गों तक पहुंचने की कोशिश में है।
‘पीएम ने पॉलिटिकल फाइनैंस का एकाधिकार बना लिया’
कांग्रेस का न्यायपत्र जारी होने के दौरान कांग्रेस ने मोदी सरकार पर हमला बोला। उनका कहना था कि हमें समझना होगा कि आज हिंदुस्तान के राजनीतिक ढांचे में क्या हो रहा है। आरएसएस, बीजेपी और खासकर पीएम मोदी क्या बुनियाद बना रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि जैसे विभिन्न कारोबारी क्षेत्रों में अडानी का एकाधिकार है, उसी तरह पीएम मोदी ने ‘पॉलिटिकल फाइनैंस’ का एकाधिकार बना लिया है। उनका कहना था कि पीएम ने यह एकाधिकार ईडी, इनकम टैक्स और सीबीआई जैसी संस्थाओं के जरिए बनाया है।
पीएम ने चुनावी बॉण्ड के जरिए विपक्ष को चार्जशीट पकड़ा दी’
चुनावी बॉण्ड के जरिए राहुल ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी ने चुनावी बॉण्ड के जरिए पूरे विपक्ष को एक ‘चार्जशीट’ पकड़ा दी है, इसलिए उन्हें थोड़ा डर लग रहा है। राहुल ने तंज कसते हुए कहा कि वह 400 पार की बात कर रहे हैं, लेकिन ये सब सामने आने के बाद उन्हें लग रहा है कि यह नंबर कहीं 180 या 160 हुआ तो नैया डूब जाएगी। वहीं, राहुल ने कहा कि यह चुनावी लड़ाई संविधान और लोकतंत्र पर हमला करने और संस्थाओं पर कब्जा करने वालों और लोकतंत्र व संविधान की रक्षा करने, उसे बचाने वालों के बीच है।
भ्रष्ट लोग बीजेपी के साथ: खरगे
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने बीजेपी पर निशाना साधते हुए कहा कि पीएम मोदी और बीजेपी अकसर यूपीए सरकार के दस सालों के कामकाज की आलोचना करते थे, लेकिन यूपीए के समय में मनरेगा, आरटीआई, खाद्य सुरक्षा और रेहड़ी पटरी जैसे कानून लेकर आए। उन्होंने बीजेपी को चुनौती देते हुए कहा कि हमने तेलंगाना, कर्नाटक और राजस्थान में गांरटी दी, वो करके दिखाएं। दरअसल, बीजेपी भी मोदी की गारंटी की बात कर रही है। उन्होंने कांग्रेस पर भ्रष्टाचार पर का आरोप लगाने वाली बीजेपी पर पलटवार करते हुए कहा कि भ्रष्ट लोग आपके साथ हैं और बदनाम आप हमें कर रहे हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पहले एजेंसियों की मदद से बीजेपी डराती है, फिर सभी चोरों को अपने साथ ले जाती है। भ्रष्टाचारियों को साथ लेने वाली पार्टी हमें चोर कैसे कह सकती है।
LGBTQIA+ समुदाय पर रखी बात
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में LGBTQIA+ को लेकर भी नागरिक भागीदारी की बात कही है। यह पहला मौका होगा कि जब किसी राजनैतिक दल ने समाज के एक बंद दरवाजे पर अपने मेनिफेस्टो के जरिए दस्तक देने का जोखिम उठाया हो। दरअसल, यह समुदाय संविधान के अनुच्छेद 15 और 16 के तहत सिविल यूनियन के जरिए देश की सुप्रीम कोर्ट से अपने अधिकारों की मांग कर रहा था और उसे अब तक वहां से कोई राहत नहीं मिली थी, लेकिन कांग्रेस के मेनिफेस्टो से उसे कहीं न कहीं एक उम्मीद की किरण दिखेगी। कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहा है कि वह विकलांगता, क्षति या यौन रुझान के आधार पर भेदभाव को प्रतिबंधित करने के लिए अनुच्छेद 15 और 16 का विस्तार करेगी। वहीं उसका कहना था कि कांग्रेस विस्तृत परामर्श के बाद ऐसा कानून लाएगी, जो इस समुदाय की नागरिक भागीदारी को सामाजिक मान्यता देगा।
विवादित मुद्दों से बचने की कोशिश?
कांग्रेस ने इस बार अपने मेनिफेस्टो में ऐसे कुछ मुद्दों पर बचने की कोशिश की, जिसपर किसी तरह का कोई विवाद हो। 2019 में उसने ASFA हटाने की बात कही थी, जिसे लेकर सत्तारूढ़ बीजेपी ने उसपर जमकर हमला बोला था। इस बार पार्टी इस मुद्दे पर खामोश दिखी। इसी तरह से कई राज्यों के चुनाव में ओपीएस को मुद्दा बनाने वाली कांग्रेस ने अपने चुनावों घोषणा पत्र में इस पर चुप्पी बनाए रखी। दरअसल, इसे लेकर पार्टी के भीतर ही दोराय बन रही थी। EVM को लेकर सवाल उठाने वाली कांग्रेस ने इसे हटाने की बात करने की बजाय इसे 100 फीसदी वीवीपैट से मिलान की बात कही। वहीं, मुस्लिम तुष्टिकरण का आरोप झेलती रही कांग्रेस ने इस बार अपने मेनिफेस्टों में अल्पसंख्यकों की बात तो की, लेकिन ऐसा कोई भी संकेत देती नजर नहीं आई, जिससे उसपर तुष्टिकरण का आरोप लगे। वैसे कांग्रेस का न्यायपत्र सामने आने के बाद बीजेपी ने एक फोटो को लेकर यह मुद्दा बनाने की कोशिश की कि यह फोटो अपने देश की न होकर विदेशी है।
सौजन्य : नवभारत टाइम्स
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