6 साल बाद जेल से बाहर आएंगी दलित एक्टिविस्ट शोमा सेन, सुप्रीम कोर्ट ने दी जमानत
नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर शोमा सेन को सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने 6 साल बाद शोमा सेन को जमानत दी है। जमानत के दौरान वो महाराष्ट्र से बाहर नहीं जा सकेंगी।
हाइलाइट्स
दलित एक्टिविस्ट शोमा सेन को बड़ी राहत
सुप्रीम कोर्ट ने शोमा की दी जमानत
शोमा सेन 6 साल बाद जेल से आएंगी बाहर
नई दिल्ली\मुंबई: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को भीमा कोरेगांव केस की आरोपी प्रोफेसर शोमा सेन को जमानत दे दी है। वो 6 जून 2018 से जेल में बंद थे। शोमा सेन नागपुर विश्वविद्यालय की पूर्व प्रोफेसर हैं। उन पर भीमा कोरेगांव मामले के संबंध में कथित माओवादी संबंधों के लिए गैरकानूनी गतिविधि रोकथाम अधिनियम 1967 (यूएपीए) के तहत मामला दर्ज किया गया था। शोमा सेन जमानत की अवधि के दौरान स्पेशल कोर्ट को सूचना दिए बगैर महाराष्ट्र से बाहर नहीं जा सकेंगी। उन्हें अपने मोबाइल नंबर के बारे में जानकारी देनी होगी।
गौरतलब है कि साल 2018 मेंपुणे पुलिस ने भीमा-कोरेगांव जातीय हिंसा के मामले में कई गिरफ्तारियां की थीं। शोमा सेन के अलावा सुरेंद्र गाडलिंग, महेश राउत, सुधीर धावले और रोना विल्सन को अलग-अलग शहरों से गिरफ्तार किया गया था। बताया जाता है कि उनके माओवादियों से संबंध होने के शक में पहले से उन पर नजर रखी जा रही थी। नागपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें सस्पेंड कर दिया था।
दलित ऐक्टिविस्ट हैं शोमा सेन
शोमा सेन मानवाधिकार कार्यकर्ता और दलित ऐक्टिविस्ट हैं। उनकी गिरफ्तार के बाद बेटी कोमल सेनने आरोप लगाया ता कि इसस पहले कभी उन्हें न गिरफ्तार किया गया और न ही सवाल किए गए। उन्होंने दावा किया था कि धावले के अलावा गिरफ्तार किए लोगों में से किसी को शोमा नहीं जानती थीं। उन्होंने आरोप लगाया था कि उनकी गिरफ्तारियां दलितों के अधिकारों के लिए आवाज उठाने वाले लोगों को चुप कराने की लिए की गई। कोमल ने कहा था कि कि देश का राजनीतिक माहौल ऐसा हो गया है कि कथित निचले समुदाय के लोगों को सुनने के लिए कोई तैयार नहीं है और जब वे बोलते हैं ति उन्हें नीचे गिराना जरूरी हो जाता है।
सौजन्य : नवभारत टाइम्स
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