अगर दलित ना होता तो SC मेंआज जज नहीं होता, क्यों बोलेजस्टिस गवई?
जस्टिस गवई कहा कि सुप्रीम कोर्ट मेंउनकी पदोन्नति 2 साल पहलेकी गई हैक्योंकि कॉलेजियम दलित समुदाय के जज को बेंच मेंरखना चाहता था। जस्टिस गवई, पहले बॉम्बेहाई कोर्ट में जज थे।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस बीआर गवई ने कहा हैकि अगर वह दलित समुदाय सेनहीं होते तो आज की तारीख में शीर्ष न्यायालय में जज नहीं होते। उन्होंनेकहा कि आरक्षण यानी सकारात्मक कार्रवाई की वजह सेही हाशिए पर रहने वाले समुदाय के लोग भी भारत में शीर्ष सरकारी पदों तक पहुंचने में कामयाब हो सके हैं। उन्होंने कहा, “यदि सुप्रीम कोर्ट मेंसामाजिक प्रतिनिधित्व के तहत अनुसूचित जाति के शख्स को इसका लाभ नहीं दिया गया होता तो शायद वह दो साल बाद पदोन्नत होकर इस पद पर पहुंचते।”
उन्होंने अपने को एक उदाहरण के तौर पर पेश करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट में उनकी पदोन्नति दो साल पहले की गई है क्योंकि कॉलेजियम दलित समुदाय के न्यायाधीशों को बेंच में रखना चाहता था। जस्टिस गवई, जो पहले बॉम्बेहाई कोर्ट में वकालत करते थे, नेकहा कि बॉम्बेहाई कोर्ट का जज बनने के पीछे भी यह एक कारक था। जस्टिस गवई नेकहा कि जब उन्हें 2003 में बॉम्बे हाई कोर्ट मेंजज के रूप में नियुक्त किया गया था, तब वह एक वकील थेऔर उस समय हाई कोर्ट में कोई दलित जज नहीं था। उन्होंनेकहा, “हाई कोर्ट के जज के रूप में मेरी नियुक्ति में दलित होना एक बड़ा कारक था।” जस्टिस गवई को 14 नवंबर 2003 को हाई कोर्ट का जज बनाया गया था। वह उस तारीख से 11 नवंबर 2005 तक बॉम्बेहाई कोर्ट मेंएडिशनल जज रहे। उसके बाद उन्हें 12 नवंबर 2005 को स्थायी जज बना दिया गया था। वह इस पद पर 24 मई 2019 तक रहे। इसके बाद उन्हेंपदोन्नति देकर सुप्रीम कोर्ट लाया गया। वह 23 नवंबर 2025 को रिटायर होंगे। फिलहाल वह भी सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम का हिस्सा हैं।
बार एंडएं बेंच की रिपोर्ट के मुकाबिक, जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने ये बातेंन्यूयॉर्क सिटी बार एसोसिएशन (NYCB) द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम मेंकहीं, जहां वह अपने जीवन पर विविधता, समानता और समावेशन के प्रभाव से जुड़े एक सवाल का उत्तर दे रहेथे। NYCB लॉ के छात्रों और वकीलों का एक स्वैच्छिक संगठन है।
रिपोर्ट के मुताहिक, इस कार्यक्रम में कानून के शासन को बनाए रखनेऔर व्यक्तिगत अधिकारों को आगे बढ़ाने में भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका मेंन्यायपालिका की भूमिका पर एक क्रॉस-सांस्कृतिक चर्चा हुई।
सौजन्य :लाइव हिंदुस्तान
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