27 साल बाद जेएनयू को मिला दलित अध्यक्ष, जानें कौन हैं धनंजय?
नई दिल्ली: जेएनयू छात्रसंघ चुनाव में एबीवीपी ने लेफ्ट के सामने घुटने टेक दिए हैं. लेफ्ट ने फिर से जेएनयू में अपना दबदबा कायम कर लिया. छात्र संघ चुनाव में अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव का चुनाव हुआ, जिसमें बिहार के पीएचडी छात्र धनंजय को जेएनयू का नया अध्यक्ष चुना गया है.
आपको बता दें कि चार साल के लंबे अंतराल के बाद शुक्रवार को जेएनयू में चुनाव हुए. इस चुनाव में, ऑल इंडिया स्टूडेंट्स एसोसिएशन (एआईएसए), डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स फेडरेशन (डीएसएफ), स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (एसएफआई) और ऑल इंडिया स्टूडेंट्स फेडरेशन (एआईएसएफ) जैसे वाम समर्थित समूहों ने आरएसएस समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी के खिलाफ गठबंधन बनाया और चुनाव लड़ा जिसमें लेफ्ट की जीत हुई.
लेफ्ट ने पलट दिया पूरा गेम
जेएनयूएसयू के केंद्रीय पैनल में पदों के लिए कुल 19 उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा, जिसमें अध्यक्ष पद के लिए आठ उम्मीदवार मैदान में थे. धनंजय ने एबीवीपी के उमेश चंद्र अजमीरा को 922 वोटों से हराया. उपाध्यक्ष पद के लिए अविजीत घोष (लेफ्ट) ने दीपिका शर्मा (एबीवीपी) को 927 वोटों से हराया. महासचिव पद के लिए प्रियांशी आर्य (बिरसा अंबेडकर फुले स्टूडेंट्स एसोसिएशन, वाम दलों द्वारा समर्थित) ने अर्जुन आनंद (एबीवीपी) को 926 वोटों से हराया जबकि संयुक्त सचिव पद के लिए मोहम्मद साजिद (लेफ्ट) ने गोविंद डांगी (एबीवीपी) को 508 वोटों से हराया.
कौन हैं नए अध्यक्ष धनंजय?
इस चुनाव के बाद गूगल पर लोग सर्च करने लगे हैं कि आखिर ये धनंजय कौन हैं? स्कूल ऑफ आर्ट्स एंड एस्थेटिक्स से पीएचडी छात्र धनंजय बिहार के गया के मूल निवासी हैं. बत्ती लाल बैरवा के बाद धनंजय पहले दलित जेएनयूएसयू अध्यक्ष हैं, जिन्होंने 1996 में जीत हासिल की थी. धनंजय ने पीटीआई-भाषा से बात करते हुए कहा कि जेएनयूएसयू चुनावों में जीत नफरत और हिंसा की राजनीति के खिलाफ छात्रों का जनमत संग्रह है.
क्या होगा मेन एजेंडा?
उन्होंने कहा, “यह जीत जेएनयू के छात्रों द्वारा एक जनमत संग्रह है कि वे नफरत और हिंसा की राजनीति को खारिज करते हैं. छात्रों ने एक बार फिर हम पर अपना भरोसा दिखाया है. हम उनके अधिकारों के लिए लड़ना जारी रखेंगे और छात्रों से संबंधित मुद्दों पर काम करेंगे.” उन्होंने आगे कहा कि जेएनयू के छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में परिसर में महिलाओं की सुरक्षा, फंड में कटौती, छात्रवृत्ति वृद्धि, बुनियादी ढांचा और जल संकट उनका मुख्य एजेंडा होगा.
सौजन्य : News nationtv
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