जागृत आदिवासी दलित संगठन ने बोकराटा भगोरिया में किया दारूबंदी:रोजगार दो, पलायन रोको के नारे लगाए
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ताओं ने आज (शुक्रवार) बोकराटा के हाट भगोरिया में दारूबंदी की। शासकीय ठेके की शराब दुकान पर पहुंचकर महिला कार्यकर्ताओं ने उसे बंद करवाया। कार्यकर्ताओं ने बताया कि शराब एक सामाजिक बुराई है। भगोरिया में शराब पीने से झगड़े और विवाद की स्थिति पैदा होती है। इसलिए संगठन पिछले 20 वर्षों से लगातार भगोरिया के मौके पर शराबबंदी करवाता है।
संगठन कार्यकर्ताओं ने हाट में पेय और खाद्य पदार्थों की भी जांच करवाई। कुछ दुकानों पर गड़बड़ी पाई गई। जिसके बाद खराब खाद्य और पेय पदार्थों को तुरंत नष्ट किया गया। सम्बन्धित दुकानदारों को कार्रवाई करने की चेतावनी देकर छोड़ा गया। इसके अलावा हाट में लगी दुकानों और ठेलों पर तोल कांटे की जांच करके दुकानदारों को गड़बड़ी न करने की समझाइश दी।
संगठन के कार्यकर्ता सेलसिंग रावत ने बताया कि इस बार बोकराटा क्षेत्र के भगोरिया में लोगों की संख्या काफी कम है। हमारे लोग गुजरात और महाराष्ट्र पलायन पर है। साल में एक बार लगने वाले भगोरिया मेले में भी लोग अपने गांव नहीं आ पा रहे हैं। ये कैसा विकास है? कार्यकर्ता हरसिंह जमरे ने बताया कि भगोरिया पर्व आदिवासी समाज में आपसी मेलजोल बढ़ाने का एक जरिया है। लेकिन पिछले कई वर्षों से भगोरिया में लोगों की संख्या लगातार कम हो रही है। हमारे समाज के अधिकतर लोग पलायन कर गुजरात और महाराष्ट्र जा रहे हैं। हमारे नेता केवल नाचने और गाने ही भगोरिया में आते हैं। लोगों की समस्याओं और पलायन पर उनका कोई ध्यान नही हैं।
भगोरिया हाट के खत्म होने तक कार्यकर्ताओं द्वारा पूरे हाट में दारूबंदी जारी रखी। कई दुकानों पर संगठन कार्यकर्ताओं ने स्वयं जाकर भी शराब की जांच की। जिसकी वजह से बोकराटा भगोरिया हाट बिना किसी विवाद के संपन्न हुआ।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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