ऐसे अपराधी को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा, हाईकोर्ट ने बेहद सख्त रुख अपनाया
ग्वालियर: मध्य प्रदेश हाइकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने अब अपराधियों के दोबारा अपराध करने पर ऐसी लगाम कस दी है जो अपराधों को बढ़ने से रोकेगा। यानी आजीवन कारावास की सजा काट रहे किसी भी अपराधी ने दोबारा हत्या या जघन्य अपराध किया और उसे आजीवन कारवास की सजा मिली तो अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा। सरकार अब उसे सजा माफी भी नही दे सकेगी।
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ की बैंच ने आजीवन कारावास की सजा काट रहे ऐसे अपराधियों पर पर शिकंजा कस दिया है जो दो बार हत्या के अपराध में शामिल रहे हैं और उन्हें सिर्फ एक ही बार कारावास काटना पड़े। ग्वालियर हाई कोर्ट की डबल बेंच ने सिंगल बेंच के उस आदेश को निरस्त कर दिया जिसमें शासन के नियम के आधार पर दो बार हत्या करने के बावजूद अपराधी को सिर्फ एक ही बार आजीवन कारावास की सजा मिलती थी। यानी अब किसी अपराधी को दो बार आजीवन कारावास की सजा मिली तो उसे मध्य प्रदेश शासन माफ नहीं कर सकता ऐसे अपराधी को अब अंतिम सांस तक जेल में रहना होगा।
दरअसल ग्वालियर हाई कोर्ट की डबल बेंच का ये आदेश गिर्राज घुरैया नाम के अपराधी के उस आदेश के पक्ष में आये सिंगल बैंच के उस आदेश पर आया है जिसमें उसे रहा करने का आदेश सिंगल बेंच ने दिया था.अतिरिक्त महाधिवक्ता एमपीएस रघुवंशी ने बताया कि गिर्राज को 25 मार्च 2004 को हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी।उसके बाद अन्य हत्या के केस में 9 अप्रैल 2009 को फिर उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई हुई। 2023 में गिर्राज की ओर से एक याचिका दायर की गई जिसमें बताया गया कि वह 15 साल से ज्यादा सजा काट चुका है।शासन की 2008 की पॉलिसी के अनुसार उम्र कैद वाले अपराधी 14 साल की सजा पूरी करने के बाद रिहाई के पात्र हो जाते हैं जबकि शासन की तरफ से यह तर्क दिया गया की 2008 की कोई पॉलिसी नहीं बल्कि सरकार की योजना थी। गौरतलब है कि कई बार यह देखा जाता रहा है कि आजीवन की सजा काट रहे अपराधी जमानत पर जेल से बाहर आ जाते थे। कई बार अपराधी अपने राजनीतिक रसूख का इस्तेमाल करके राज्य सरकार से समय पूर्व रिहाई भी करवा लेते थे और हत्या की वारदात को अंजाम दे देते थे क्योंकि उन्हें शासन की इस योजना का लाभ मिल जाता था। अब ऐसा नहीं हो सकेगा।
सौजन्य : जनता से रिश्ता
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