राजस्थान के इस आदिवासी अंचल के गांव की बेटी पिनल ने बचपन में देखा सपना, गांव में पहली महिला डॉक्टर बनी
राजस्थान में सिरोही जिले के शिवगंज शहर से करीब बीस किलोमीटर दूर शिक्षा व स्वास्थ्य की दृष्टि से महरूम आदिवासी अंचल का प्रवेशद्वार कहा जाने वाला करीब पन्द्रह हजार की जनसंख्या वाले बेडा गांव की एक बेटी पिनल पंवार ने पहली महिला चिकित्सक बनने का सपना पूरा कर गांव और अपने परिवार को गौरवान्वित किया है।
बेडा गांव जहां पर शिक्षा और स्वास्थ्य सहित अन्य मुलभूत सुविधाओं का अभाव है। यह ऐसा क्षेत्र है, जहां से आदिवासी अंचल प्रारंभ होता है। गांव में शिक्षा के क्षेत्र में भी अभी तक कोई बडी उपलिब्ध हासिल नहीं हुई है। गांव व आसपास के इलाके में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी के चलते आमजन को परेशान देखकर गांव की एक बेटी पिनल पंवार ने चिकित्सक बनने की मन में ठानी और उस सपने को पूरा करने के लिए जी तोड़ मेहनत शुरू की।
हालांकि क्षेत्र में पढ़ाई का इतना अच्छा माहौल नहीं होने से पिनल को अपने सपने को पूरा करने के लिए कठिनाई भी हुई, लेकिन उसके इस सपने को पूरा करने में परिवार ने पूरा साथ दिया। पिनल के पिता महेंद्रसिंह पंवार जो की फार्मासिस्ट है, उनके दादा पूर्व सरपंच अर्जुनसिंह और माताजी संगीता पंवार, उनके भाई पिंकल सिंह पंवार और बहन ईशा राठौर ने उनके इस सपने को पूरा करने में पूरा सहयोग प्रदान किया। उसी का परिणाम है कि गांव की इस बेटी ने एमबीबीएस कर चिकित्सक बनने का सपना पूरा किया है।
ग्रामीणों को स्वास्थ्य सेवाओं के लिए परेशान देख चिकित्सक बनने की ठानी
पिनल ने स्कूली शिक्षा ननिहाल मुम्बई में रहकर प्राप्त की। इसके बाद चिकित्सक बनने का सपना पूरा करने के लिए राजस्थान आकर नीट की तैयारी में जुट गई। उसमें सफलता मिलने पर उदयपुर मेडिकल कॉलेज से 2019 में एमबीबीएस कम्पलीट किया। गांव व आसपास स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में लोग परेशान होते हैं। उनको देखकर ही उसने चिकित्सक बनकर गांव की सेवा करने की मन में ठानी और आज एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने के बाद एक अलग ही सुकून है। उसका सपना गांव व आसपास स्वास्थ्य सेवाओं से वंचित क्षेत्र में मरीजों को स्वास्थ्य के प्रति जागरुक करना और उनकी सेवा करना उसका लक्ष्य है।
सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं
पिनल का आज के युवाओं से कहना है कि आगे बढ़ने के लिए सपने देखना जरूरी है, सपने देखेंगे तभी आगे बढ़ेंगे। मन में कुछ करने का जज्बा हो विपरीत परिस्थितयों में भी सफलता आपके कदमों में होती है। इसके लिए युवाओं को सपने देखकर उसे पूरा करने के लिए जी ताेड़ मेहनत करनी चाहिए। सफलता का कोई शॉर्टकट नहीं होता, उसके लिए कठिन परिश्रम जरूरी है। एक दिन कामयाबी जरूर मिलेगी।
बेटियों को प्रोत्साहित करें परिजन, ताकि बढें आगे अब
डॉ पिनल अब आगे पैडिएट्रिक्स में पीजी करके गांव में बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहती है। डॉ पिनल का कहना है कि “हर लड़की की सफलता के पीछे विशेष रूप से उसके परिवार के सदस्यों का समर्पण भाव होता है। उनके परिवार ने उन्हें सही दिशा में मदद की है। उन्होंने सभी बेटियों के परिवाजनों से आग्रह करती है कि वे अपनी बेटियों पर भरोसा करें और उन्हें पढ़ाई को प्रोत्साहित करें, ताकि वे स्वतंत्र बन सकें और गांव की प्रगति में योगदान दे सकें और देश का भविष्य उज्ज्वल बन सके।
सौजन्य : Patrika
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