विशाखापटनम की ‘दशरथ मांझी’, आदिवासी महिला ने बदली गांव की तस्वीर, सड़क बनान के लिए लगा दी जमापूंजी
विशाखापट्टनम: आंध्र प्रदेश के अल्लूरी सीतारमा राजू जिले के थोटागोडीपुट गांव की 28 वर्षीय आदिवासी महिला बुरीडी जेम्मा की कहानी सुन आपकी आंखे नम हो जाएंगी। जेम्मा की कहानी दशरथ मांझी से मिलती जुलती है। जेम्मा जब गर्भवती थी तो उसके गांव से मुख्य मार्ग तक सड़क न होने के कारण उसे अस्पताल तक पहुंचने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कंटीली झाड़ियों और बाधाओं से भरे खतरनाक रास्तों से गुजरते हुए अस्पताल तक उसकी यात्रा जोखिम से भरी थी। दूसरों को इस तरह की कठिनाइयों से बचाने के लिए उसने एक फैसला लिया। उसने अपने गांव को निकटतम मुख्य सड़क से जोड़ने के लिए 3 किमी तक फैली एक कच्ची सड़क बनाने के लिए अपनी मेहनत की कमाई लगा दी। उसने दो लाख रुपये खर्च कर कच्ची सड़क निर्माण करवाया।
जेम्मा के इस प्रयासों की बदौलत अब थोटागोडिपुट तक बाइक और ऑटो-रिक्शा द्वारा पहुंचा जा सकता है। ये सड़क बनने से चिकित्सा सुविधाओं तक पहुंचने के लिए पैदल या अस्थायी स्ट्रेचर पर कठिन यात्रा की आवश्यकता समाप्त हो गई है। स्थानीय लोगों का मानना है कि सड़क को कोलतार से पक्का करने से 10 परिवारों के गांव तक एम्बुलेंस पहुंच सकेगी।
अधिकारियों ने नहीं सुनी बात
दो बच्चों की मां जेम्मा ने अपने संघर्षों के बारे में बताया कि मैं अराकू के पास एक छोटे से गांव अंजोदा में पैदा हुई और पली-बढ़ी। डोरा वेंकट राव से शादी के बाद मैं थोटागोडिपुट गांव आ गई। यहां कोई सड़क नहीं थी और हमें संकरे रास्तों से होकर गुजरना पड़ा। पक्की सड़क के लिए अधिकारियों से गुहार लगाने के बावजूद उनकी बात अनसुनी कर दी गई। ऐसे में उन्होंने खुद सड़क बनाने का फैसला किया। जेम्मा ने बताया कि वो एक आशा कार्यकर्ता के रूप में काम करती है जो प्रति माह केवल 4,000 रुपये कमाती थ। मैंने चार वर्षों में लगन से पैसे बचाए थे।
किराए पर ली जेसीबी
कुछ महीने पहले हमने सड़क निर्माण शुरू करने के लिए एक जेसीबी किराए पर ली थी। उनके पति, किसान और साथी ग्रामीणों ने शारीरिक श्रम करके अपना समर्थन दिया। जिससे इस सड़क का निर्माण हो सका। जेम्मा ने बताया कि कच्ची सड़क एक लंबे समय से चली आ रही समस्या का अस्थायी समाधान है। इस कच्ची सड़क का बरसात के मौसम में क्षतिग्रस्त होने की आशंका है। उसका अंतिम सपना गांव तक जाने वाली पक्की सड़क देखना है।
सौजन्य: नवभारत टाइम्स
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