अंकिता भंडारी केस में ऐक्टिविस्ट SC-ST ऐक्ट में गिरफ्तार, विपक्ष का BJP पर आरोप- आंदोलन को दबा रही धामी सरकार
आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी पुराने मामले में एससी एसटी एक्ट में हुई हो लेकिन विपक्षी दल इसे अंकिता भंडारी हत्याकांड में मुखर होने और आंदोलन को दबाने का आरोप लगा रहा है। अंकिता भंडारी के माता-पिता और आशुतोष नेगी के समर्थन में पौड़ी, श्रीनगर में धरना प्रदर्शन भी किया जा रहा है।
रश्मि खत्री, देहरादून/पौड़ी: अंकिता भंडारी केस में न्याय के लिए लड़ रहे आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को अंकिता भंडारी केस को कमजोर करने के नजरिये से देखा जा रहा है। आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी और इस दौरान अंकिता की माता को धक्का देकर नीचे गिराने से आम जनता के साथ ही विपक्षी दल भी आक्रामक रूख अपनाये हुए हैं। कांग्रेस, वामपंथी दलों के साथ ही अन्य दलों ने सरकार की घेराबंदी की हुई है।
वही भाजपा की ओर से इस मामले में बयान आया है कि यह गिरफ्तारी पुराने मामले में हुई है और अंकिता भंडारी हत्याकांड से इस गिरफ्तारी का कोई सरकार नहीं है। उत्तराखंड के चर्चित अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में मुखर होने और अंकित के माता-पिता के साथ हर कदम पर साथ देने वाले आशुतोष नेगी को 5 मार्च को पौड़ी पुलिस ने पौड़ी आरटीओ ऑफिस के पास से गिरफ्तार किया था। जिसके बाद आशुतोष नेगी को बुधवार को कोर्ट में पेश किया गया था।
पेशी के बाद आशुतोष नेगी के कोर्ट से बाहर आने के दौरान पुलिस से धक्का-मुक्की हो गई और अंकिता की माता को भी धक्का लग गया। जिससे वे नीचे गिर गयीं। इस पूरे मामले की वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो रही है जिसको देखकर लोग पुलिस के इस व्यवहार पर नाराजगी जता रहे हैं। इसके विरोध में लोग सड़कों पर उतर आये हैं और धरने-प्रदर्शन के जरिए सरकार का विरोध कर रहे हैं।
अंकिता भंडारी हत्याकांड मामले में विपक्ष शुरू से ही राजनीतिक दबाव और आरोपियों को बचाने का आरोप लगा रहा है। वहीं अब आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को भी इस मामले को कमजोर करने के नजरिये से देखा जा रहा है। कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा का साफ कहना है कि जहां उत्तराखंड पुलिस अंकिता भंडारी हत्याकांड में वीआईपी के नाम का खुलासा करने में अब तक नाकाम रही है वहीं पुलिस द्वारा मामले को उलझाने के लिए कमरे का नाम ही वीआईपी बताया जा रहा है। जिससे साबित होता है कि उत्तराखंड पुलिस द्वारा अपराध और अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।
उनका कहना है कि अंकिता हत्याकांड में सरकार और पुलिस के संरक्षण में भाजपा नेता के रिजॉर्ट्स पर आनन-फानन में बुलडोजर चलाकर सारे साक्ष्य मिटा दिए गए। वर्तमान पुलिस महानिदेशक अभिनव कुमार को भी यह स्पष्ट करना चाहिए कि तत्कालीन पुलिस महानिदेशक और अंकित भंडारी के पिता के बीच दूरभाष पर हुई बातचीत को सोशल मीडिया में जानबूझकर क्यों वायरल किया गया।
पुलिस ने आशुतोष नेगी को गिरफ्तार करने में जो तत्परता दिखाई है उतनी ही तत्परता दोषियों को पकड़ने में दिखाई होती तो पीड़िता के माता-पिता को न्याय के लिए दर-दर भटकना नहीं पड़ता। करण महारा का कहना है कि अंकित भंडारी हत्याकांड में वीआईपी का नाम उजागर करने सहित सैकड़ों ऐसे सवाल हैं जिनके पुलिस के पास जवाब ही नहीं है। वहीं भाजपा प्रदेश मीडिया प्रभारी ने इस मामले में सफाई देते हुए कहा है कि आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी कानूनी विषय है और इस मामले में कांग्रेस के आरोप निराधार हैं। अंकिता हत्याकांड में कांग्रेस राजनीतिक रोटियां सेंकती रही है। अंकित हत्याकांड के आरोपी जेल में है और मामले की सुनवाई चल रही है। किसी को भी बचाया नहीं गया है बल्कि जांच में जो भी नाम सामने आए हैं उन पर कार्रवाई हुई है। चौहान का कहना है कि कांग्रेस हर मामले को राजनीतिक चश्मे से देख रही है।
जानें क्या है मामला
आशुतोष नेगी को पौड़ी पुलिस ने 2022 के पुराने मामले में एससी एसटी एक्ट के तहत गिरफ्तार किया है। आशुतोष नेगी से पहले एक और पत्रकार की गिरफ्तारी भी हो चुकी है। जो फिलहाल पौड़ी जेल में है। पौड़ी के विकासखंड कल्जीखाल के पयासू गांव निवासी राजेश सिंह कोली राजा ने मई 2022 में एसपी और डीएम पौड़ी को एक शिकायत भेजी थी। जिसमें शिकायतकर्ता ने चार लोगों पर मारपीट, गाली गलौज, जान से मारने की धमकी और सोशल मीडिया में जाति सूचक शब्दों के उपयोग का आरोप लगाया था।
मामले में मुकदमा दर्ज नहीं होने पर शिकायतकर्ता ने 2 जनवरी 2024 को एसपी कार्यालय परिसर पौड़ी और 4 जनवरी को डीएम कार्यालय परिसर हेमवती नंदन बहुगुणा मूर्ति स्थल पर सांकेतिक धरना भी दिया था।
बाद में पुलिस ने सीओ सदर की जांच के बाद 5 जनवरी को उत्तम नेगी, आशुतोष नेगी, अंकित बिष्ट और दीप मैठाणी के खिलाफ एससीएसटी, आईटी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया था। कोली की लिखित तहरीर के आधार पर 5 जनवरी 2024 को कोतवाली पौड़ी पर 01/24, धारा 504/506 IPC, धारा 66 (C) सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम 2000 और धारा 3(1) (घ) SC/ST Act एक्ट बनाम आशुतोष एवं अन्य के विरुद्ध नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था। जिसकी विवेचना क्षेत्राधिकारी कोटद्वार वैभव सैनी द्वारा की जा रही है।
विवेचना में पर्याप्त साक्ष्यों के आधार पर एक आरोपी दीप मैठाणी को 3 मार्च को देहरादून से गिरफ्तार किया गया था। वहीं 5 मार्च को आशुतोष नेगी को भी गिरफ्तार किया गया। आशुतोष नेगी को न्यायालय में पेश किया गया। न्यायालय के आदेश के बाद आशुतोष नेगी को 15 मार्च तक के लिए न्यायिक अभिरक्षा में जिला कारागार पौड़ी भेज दिया गया है। इस दौरान न्यायालय से बाहर आते ही अंकिता के परिजनों ने जमकर हंगामा किया। अंकिता की मां बेहोश हो गईं, जिन्हें जिला अस्पताल उपचार के लिए ले जाया गया।
सरकार पर आरोप लगाना गलत है
आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को अंकिता भंडारी हत्याकांड प्रकरण से जोड़े जाने पर डीजीपी अभिनव कुमार ने कहा कि अंकिता भंडारी हत्याकांड की जांच के दौरान उत्तराखंड पुलिस किसी भी तरह के दबाव में नहीं थी। हमें सरकार और मुख्यमंत्री का पूरा सहयोग मिला। राज्य पुलिस ने निष्पक्ष और साहसिक जांच की है। ऐसे में आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी को लेकर सरकार पर आरोप लगाना पूरी तरह गलत है।
वहीं सीओ कोटद्वार वैभव सैनी का कहना है कि कोतवाली पौड़ी में SC/ST ऐक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया। जिसके बाद दो लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। यह मामला अलग पंजीकृत किया गया है। किसी अन्य मामले को इस मामलों से न जोड़ें।
आशुतोष की गिरफ्तारी पर पौड़ी पहुंचे थे परिजन
अंकिता के माता-पिता श्रीनगर में ही धरने पर बैठे हुए हैं। आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी की जानकारी मिलने पर बुधवार को वे लोग पौड़ी पहुंचे। जहां धक्का-मुक्की के दौरान वे बेहोश हो कर गिर गईं थीं। बीते रोज आशुतोष नेगी की गिरफ्तारी के विरोध और अंकिता हत्याकांड में वीआईपी की गिरफ्तारी, तत्कालीन एसडीएम और यमकेश्वर विधायक पर कार्रवाई की मांग को लेकर लोगों का हुजूर सड़कों पर उतर आया और सरकार के खिलाफ जमकर प्रदर्शन किया।
इस दौरान बड़ी संख्या में छात्र सामाजिक कार्यकर्ता और कांग्रेस कार्यकर्ता सहित अंकिता के परिजन भी मौजूद रहे। इस दौरान अंकित के पिता ने स्पष्ट कहा है कि सरकार अंकित भंडारी को न्याय दिलाने वाले लोगों को फर्जी मुकदमे में फंसा रही है। उन्होंने कहा कि आशुतोष की गिरफ्तारी के बाद भी आंदोलन जारी रहेगा।
सौजन्य: नवभारत टाइम्स
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