मोदी सरकार के रोजगार के दावों के बीच आत्महत्या करते बेरोजगार नौजवान, इतनी ही नौकरियां तो सुसाइड क्यों कर रहे युवा
चुनावी मौसम में बेरोजगारी व अन्य समस्याओं का जवाब देने से बच रहे हैं पीएम मोदी और सीएम योगी। नौकरी की तलाश में लखनऊ के मड़ियांव में किराए के मकान में रह रहे सिद्धार्थनगर जिले के 28 वर्षीय युवक दुर्गेश यादव द्वारा रोजगार न मिलने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने की घटना के लिए मुख्यमंत्री योगी का कथित सुशासन जिम्मेवार
सरकारी आंकड़ों में बेरोजगारी घटने और बेरोजगार युवाओं द्वारा आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं के बीच भाकपा (माले) ने योगी सरकार से पूछा है कि यूपी में रोजगार कहां है? यदि नौकरी है तो बेरोजगार आत्महत्या क्यों कर रहे हैं? पार्टी के राज्य सचिव सुधाकर यादव ने आज 5 मार्च को जारी अपने बयान में कहा कि नौकरी की तलाश में लखनऊ के मड़ियांव में किराए के मकान में रह रहे सिद्धार्थनगर जिले के 28 वर्षीय युवक दुर्गेश यादव द्वारा रोजगार न मिलने पर फांसी लगाकर आत्महत्या कर लेने की घटना के लिए मुख्यमंत्री योगी का कथित सुशासन जिम्मेवार है। सिद्धार्थनगर के शोहरत गढ़ निवासी 28 वर्षीय दुर्गेश यादव भरत नगर में किराये के मकान में रहते थे। बेरोजगार दुर्गेश ने रविवार 3 मार्च को अपने भाई राजू को फोन किया। इस दौरान दुर्गेश काफी परेशान था। राजू ने जब परेशानी की वजह पूछी तो दुर्गेश ने कहा कि कुछ समझ नहीं आ रहा है। अब मैं जान देने जा रहा हूं। ये सुनकर राजू दंग रह गए। जब तक कुछ बातचीत कर पाते तब तक दुर्गेश ने कॉल डिस्कनेक्ट कर दी। फिर मोबाइल बंद कर लिया।
दुर्गेश की बात से घबराये परिजन तुरंत लखनऊ के लिए रवाना हुए। जब वह उसके किराये के मकान में पहुंचे तो दरवाजा भीतर से बंद मिला। पुलिस को सूचना दी। सभी ने मिलकर दरवाजा तोड़ा और भीतर गए। जहां पंखे में गमछे से बंधे फंदे पर दुर्गेश का शव लटका मिला। परिजनों के मुताबिक दुर्गेश पहले बंगलुरू में नौकरी करते थे। करीब छह महीने पहले नौकरी छूट गई थी। तब से वह लखनऊ में रहकर नौकरी की तलाश कर रहे थे। अंदेशा है कि इसी वजह से वह परेशान थे। इसलिए आत्मघाती कदम उठाया। बेरोजगारी से तंग आकर खुदकुशी कर लेने की यह अकेली घटना नहीं है। आये दिन इस तरह की घटनाएं हो रही हैं। हाल ही में कन्नौज जिले में एक स्नातक युवक ने अपनी डिग्रियों को जला देने के बाद खुदकुशी कर ली। यूपी में लाखों पद रिक्त हैं। कुछ हजार पदों पर बहाली की परीक्षाएं हो रही हैं, तो उनके भी पेपर लीक हो जा रहे हैं। युवाओं को भविष्य अंधकारमय दिखने लगा है, जिससे आत्महत्या की घटनाएं बढ़ रही हैं। बढ़ते निजीकरण से भी रोजगार के अवसर घट रहे हैं।भाजपा सरकार में युवा निराश हैं। प्रति वर्ष दो करोड़ रोजगार देने का वादा पूरा नहीं हुआ। एक समय युवाओं ने गुजरात मॉडल के झांसे में आकर मोदी को वोट किया था। अबकी बार युवा भाजपा के खिलाफ वोट करेगा, क्योंकि रोजगार के लिए भाजपा को हटाना जरुरी है।
गौरतलब है कि पिछले माह 22 फरवरी को कन्नौज के एक बेरोजगार युवा ने भी आत्महत्या का ली थी। बेरोजगार युवा बृजेश पाल ने पेपरलीक होने की खबर के बाद आत्महत्या कर ली थी। यह मामला कन्नौज जनपद के सदर कोतवाली क्षेत्र के भूड पुरवा गांव का था। बृजेश ने सुसाइड करने के से पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा है, जो बेहद ही मार्मिक है। युवक ने आत्महत्या से पहले अपनी सारी डिग्रियों को यह कहते हुए जला दिया है कि आखिर ऐसी डिग्री का क्या फायदा, जो एक नौकरी न दिला सकी। बृजेश पाल ने मौत से पहले जो सुसाइड नोट छोड़ा है वह लाखों-लाख नौकरियों का दावा करती मोदी-योगी सरकार की नाकामियों की पोल खोलकर रख देता है क्योंकि ‘सुसाइड नोट’ में ब्रजेश पाल ने अपनी आत्महत्या करने का कारण बेरोजगारी बताया है। युवक ने सुसाइड नोट में लिखा है कि ‘मेरे माता पिता मुझको माफ कर देना, मैं आपको धोखा देने जा रहा हूं। मेरी मौत के बाद किसी को परेशान न किया जाये। मैं अपनी मौत का खुद जिम्मेवार हूं। मैं अब और जीना नहीं चाहता हू्ं। हमें किसी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं थी। बस हमारा मन भर गया है और आज मैं सबका साथ न छोड़ने जा रहा हूं, हो सके तो हमको माफ कर देना।’ बृजेश ने आगे लिखा है, ‘आज का दिन हमारे लिए आखिरी है। आज हमने अपनी मां के साथ खाना खाया और हम अपने मां-बाप को धोखा देने जा रहे हैं। पापा का ख्याल रखना और बोल देना हमारा तुम्हारा इतना ही साथ था। संगीता की शादी अच्छे से करना भले ही हम नहीं हैं। हमने B.Sc. के सारे कागज जला दिये हैं। क्या फायदा ऐसी डिग्री का जो एक नौकरी न दिला सकी। हमारी आधी उम्र पढ़ते-पढ़ते निकल गई, इसलिए हमारा मन भर गया है।’
सौजन्य : जनज्वार
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