मनरेगा का भुगतान नहीं होने से आक्रोशित जागृत आदिवासी:जिला पंचायत कार्यालय परिसर में किया प्रदर्शन, अधिकारियों पर लापरवाही का आरोप
मनरेगा में लंबे समय से लंबित मजदूरी के भुगतान को लेकर आदिवासी मजदूरों का आक्रोश सोमवार को भड़क उठा। जागृत आदिवासी दलित संगठन के बैनर तले पाटी विकासखंड के गांवों के मजदूर प्रदर्शन के लिए जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे।
जागृत आदिवासी दलित संगठन के कार्यकर्ता दोपहर 1 बजे जिला पंचायत कार्यालय पहुंचे थे। हर बार की तरह कार्यालय परिसर में डेरा डालकर बैठ गए। कार्यकर्ताओं ने संगठन और अन्य नारे लिखे बैनर भी मुख्य गेट व कार्यालय के अंदर बांध दिए।
संगठन के लोगों ने केंद्र सरकार के साथ ही स्थानीय अधिकारियों को भी आड़े हाथ लिया। कार्यकर्ताओं को कहना था कि सरकार मनरेगा का बजट नहीं बढ़ा रही है। मजदूरी भुगतान के लिए सरकार के पास नहीं है। 3 हजार करोड़ की मूर्ति बनवा रहे हैं। बुलेट ट्रेन चला रहे हैं लेकिन आदिवासी मजदूरों को देने के लिए नहीं है। काम नहीं मिलने से मजदूर पलायन कर रहे हैं।
आदिवासियों का बढ़ रहा आक्रोश
संगठन कार्यकर्ताओं का कहना था कि पाटी क्षेत्र के आदिवासी मजदूरों ने पिछले साल दिसंबर और इस साल जनवरी में मनरेगा के तहत मजदूरी की थी। नियमानुसार, 15 दिन में मजदूरी का भुगतान हो जाना था। हालांकि आज तक मजदूरी नहीं मिल पाई है। खास बात यह है कि पार्टी विकास खंड में मजदूरों की 4.5 करोड़ की भुगतान राशि बाकी है।
मनरेगा मजदूरी के भुगतान के लिए पूर्व में संगठन ने बड़वानी में बड़ा प्रदर्शन किया था। इसके बाद पाटी जनपद का भी 2 दिन तक घेराव किया था। अधिकारियों का कहना था कि 3-4 दिन में भुगतान हो जाएगा। जिसके बाद भी भुगतान नहीं हुआ तो संगठन कार्यकर्ता सोमवार को जिला पंचायत का घेराव करने पहुंचे थे।
माधुरी बहन ने बताया कि रोजगार की कमी और कर्ज में डूबे किसानों का फायदा उठाने अब ठेकेदार हमारे गांव में आकर 30-40 हजार में हमारे लोगों का सौदागर उन्हें बंधुआ मजदूर के लिए गुजरात, महाराष्ट्र व कर्नाटक ले जा रहे हैं। शासन-प्रशासन को इसकी कोई खबर ही नहीं है। अंतर्राज्यीय प्रवासी मजदूर कानून के तहत मजदूरों को दूसरे राज्यों में ले जा रहे ठेकेदारों का पंजीयन अनिवार्य है।
लेकिन इसका पालन कहां हो रहा है। बाहर जा रहे मजदूरों का पंचायत स्तर पर नियमित पंजीयन होना चाहिए। लेकिन वह भी पूरी तरह से फैल है। पंचायत स्तर पर आधे से ज्यादा पलायन कर रहे परिवारों की जानकारी ही नहीं है। जो पंचायत स्तर के आंकड़े हैं।
उससे 2-3 गुना ज्यादा परिवार पलायन कर रहे हैं। उन्होंने कहा- फसलों का भाव नहीं मिलने के कारण देशभर के किसान कर्ज में डूबे हैं। पिछले 9 सालों में देशभर में कर्ज में डूबे 1 लाख 474 किसान आत्महत्या करने को मजबूर है।
किसान आत्महत्या करने को मजबूर ना हो इसके लिए भारत रत्न MS स्वामीनाथन के नेतृत्व में कृषि आयोग ने सिफारिश दी थी। की फसलों का दाम किसानों को होने वाले कुल खर्च का डेढ़ गुना होना चाहिए। प्रधानमंत्री शायद भूल गए हैं।
उन्होंने साल 2014 में चुनाव के पहले किसानों से फसलों की लागत का डेढ़ गुना भाव देने का वादा किया था। हालांकि, हम सरकार के खोखले वादे भूले नहीं है। आज फसलों का दम नहीं बढ़ रहा है। लेकिन खेती में खर्च बढ़ता जा रहा है।
खाद बीज और दवाइयां का दाम तीन से चार गुना बढ़ चुका है। देश के किसानों ने ठान लिया है। हमारी मेहनत की लूट अब और नहीं। फसलों के कुल खर्च का डेढ़ गुना भाव तय करने के लिए कानून बनाने अपनी फसलों का सही भाव का अधिकार लेने के लिए किसान संवैधानिक संघर्ष कर रहे हैं।
केंद्र सरकार उनसे मारपीट कर ड्रोन से आंसू बम गिराकर और छर्रा से फायरिंग कर रही है। जिसके चलते एक युवा किसान शाहिद भी हो चुका है। किसानों पर हो रहे। इस तरह के हमले का हम पुरजोर विरोध करते हैं और मांग करते हैं कि सभी 24 फसलों की कुल लागत पर डेढ़ गुना दाम की कानूनी गारंटी के लिए कानून पारित किया जाए।
यह मुख्य मांगे है
पर्याप्त बजट की तुरंत व्यवस्था कर, बड़वानी में रोजगार गारंटी की बकाया मजदूरी का तुरंत भुगतान हो।
सभी पंचायतों में पलायन कर रहे मजदूरों का युद्ध स्तर पर पंजीयन हो। पंजीयन न करने पर अधिकारियों पर कार्रवाई हो। अंतर्राजीय प्रवासी मजदूर कानून अनुसार श्रम विभाग सभी ठेकेदारों का पंजीयन करें। सभी फसलों का न्यूनतम समर्थन मूल्य सरकारी रेट (एमएसपी) फसलों की लागत का डेढ़ गुना (सी2+50%) हो.लागत के डेढ़ गुना भाव पर खरीदी की गारंटी का कानून बने।
बड़वानी में युद्ध स्तर पर वन मित्र पोर्टल के अंतर्गत दावों को दर्ज करने के लिए ग्राम सभा के नेतृत्व में सत्यापन का काम शुरू किया जाए। बड़वानी में वन मित्र पोर्टल के अंतर्गत विशेष कर नायक
समाज के छूटे हुए दावेदारों के दावों का पंजीयन दोबारा शुरू करने की व्यवस्था की जाए। नायक समाज के दावेदार के लिए विशेष रूप से वन अधिकार अधिनियम की कार्रवाई का अभियान चलाया जाए।
मध्य प्रदेश सरकार नायक समाज को आदिवासी सूची में जोड़ने के लिए तुरंत कदम उठाए।
पैसा कानून के नियमों के अनुसार ग्राम सभा की अनुशंसा पर भूमि अभिलेख में सुधार करने की कार्रवाई की जाए।
2023-24 सत्र के सभी छात्रों की छात्रवृत्ति और आवास राशि का भुगतान 1 महीने के अंदर पूरा किया जाए।
2 साल से रुकी स्कूली छात्रों की छात्रवृत्ति का भुगतान एक सप्ताह के भीतर किया जाए।
2023-24 सत्र पूरा होने से पहले ही मध्य प्रदेश सरकार कक्षा पहली से 12वीं की छात्रवृत्ति का भुगतान करें।
15 दिन के भीतर कर ई-लर्निंग सेंटर को छात्रों के उपयोग और भर्ती परीक्षाओं के लिए खोला जाए।
सौजन्य : दैनिक भास्कर
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