यूपी के इस शहर में दलित उत्पीड़न के मामले बढ़े, चौंकाने वाले हैं सात साल के आंकड़े
आज शून्य भेदभाव दिवस है। इसका मकसद इंसानियत, प्रेम और सम्मान से भेदभाव को मिटाना है। खासकर, जातिगत असमानता दूर हो सके, लेकिन समाज के जेहन में समाई यह बुराई कम नहीं हो रही है। कानपुर में इसका ग्राफ चिंताजनक है। बीते छह सालों में भेदभाव और उत्पीड़न के मामले काफी बढ़े हैं।
वर्ष 2017-18 के आंकड़ों की बात करें तो जिले में अनुसूचित जाति-जनजाति के उत्पीड़न के 172 मामले सामने आए। बीते साल 2022-23 में यह आंकड़ा बढ़कर 621 हो गया। इस साल 27 फरवरी तक अनुसूचित जाति उत्पीड़न के 582 मामले सामने आ चुके हैं। मार्च का आंकड़ा शामिल हुआ तो यह बीते साल के पार पहुंच सकता है। आंकड़े बता रहे कि भेदभाव को रुढ़िवादी सोच से लोग ऊबर नहीं पा रहे हैं।
भेदभाव रोकने के लिए आठ प्रकार के प्रावधान
देश में भेदभाव का सबसे बड़ा शिकार अनुसूचित जाति-जनजाति के लोग हैं भेदभाव को दूर करने के लिए सरकार आठ प्रकार के उपायों पर काम कर रही है। इसमें कानून के समक्ष समानता, भेदभाव का निषेध, अवसर की समानता, अस्पृश्यता उन्मूलन, शैक्षणिक और सामाजिक आर्थिक हितों को बढ़ावा देना, अनुसूचित जाति के दावे, विधानमंडल में आरक्षण और स्थानीय निकायों में आरक्षण देने का प्रावधान किया है। आठ उपायों में कमोबेश सभी में समानता का न्याय अनुसूचित जाति व पिछड़ा वर्ग को मिल रहा है, लेकिन अस्पृश्यता और भेदभाव के मामले कम नहीं हो रहे है।
समाज कल्याण विभाग को जागरूकता का जिम्मा
भेदभाव मिटाने के लिए जनता को जागरूक करने की जिम्मेदारी सरकार ने समाज कल्याण विभाग को दी है। कोचिंग संस्थान, आश्रम पद्धति विद्यालय, कोचिग सस्थान व वृद्धाश्रमों में सदाद गोष्टी कराई जाती है। गोष्ठी के जरिए लोगो समाज में व्याप्त इस बुराई से बचने के लिए प्रेरित करना है। इसके अलावा जो भी उत्पीड़ित परिवार होते हैं, उन्हें सरकार से तय धनराशि मदद के रूप में मुहैया कराता है।
जिला समाज कल्याण अधिकारी, त्रिनेत्र कुमार सिंह ने कहा कि भेदभाव एक सामाजिक बुराई है । यह आपसी सौहार्द की दुश्मन है। इससे बचने के लिए समाज कल्याण विभाग एक मार्च को शून्य भेदभाव दिवस मनाता है। इस अवसर पर लोगो को भेदभाव से दूर रहने के लिए प्रेरित किया जाता है।
सौजन्य : Live hindustan
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