2 सेअधिक बच्चों वालेमाता-पिता को नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी, सुप्रीम कोर्ट नेभी लगा दी मुहर
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ नेपूर्वसैनिक राम लाल जाट द्वारा दायर अपील को खारिज कर
दिया। वह 2017 मेंसेवा सेरिटायर हो गए थे।
राजस्थान मेंपंचायत चुनाव लड़नेवालेउम्मीदवारों के साथ-साथ अब सरकारी नौकरी के लिए भी ‘दो बच्चों’ की नीति अनिवार्यकर दी गई है। सुप्रीम कोर्ट सेभी इसकी मंजूरी मिल चुकी है। दो अधिक बच्चों वालेकैंडिडेट जो सरकारी नौकरी की तलाश मेंहैं, उनके लिए यह झटका है। आपको बता दें कि करीब 21 साल पहलेसुप्रीम कोर्ट नेपंचायत चुनाव के लिए इस नीति को अनिवार्यकर दिया था।
न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की पीठ नेपूर्वसैनिक राम लाल जाट द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया। वह 2017 मेंसेवा सेरिटायर हो गए थेऔर उन्होंने 25 मई 2018 को राजस्थान पुलिस मेंकांस्टेबल पद के लिए आवेदन किया था। उनकी उम्मीदवारी को राजस्थान पुलिस अधीनस्थ सेवा नियम, 1989 के नियम 24(4) के तहत खारिज कर दिया गया था।
राजस्थान विभिन्न सेवा (संशोधन) नियम, 2001 के तहत यह प्रावधान हैकि 1 जून 2002 को या उसके बाद अगर किसी उम्मीदवार के दो सेअधिक बच्चेहैंतो वह सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं होंगे। आपको बता दें कि राम लाल जाट के दो से अधिक बच्चेहैं। उन्होंने इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट में सरकार के फैसले को चुनौती दी थी। अक्टूबर 2022 मेंफैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट नेकहा था कि इस मामलेमेंहस्तक्षेप करनेसेइनकार कर दिया था।
न्यायमूर्ति कांत की अगुवा गु ई वाली पीठ ने कहा, “कुछ इसी तरह का प्रावधान पंचायत चुनाव लड़नेके लिए पात्रता शर्तके रूप में पेश किया गया था। उसे सुप्रीम कोर्ट ने 2003 मेंजावेद और अन्य बनाम हरियाणा राज्य मामलेमेंबरकरार रखा है। इसके तहत दो से अधिक जीवित बच्चे होने पर उम्मीदवारों को अयोग्य घोषित करता है। इस प्रावधान का उद्देश्य परिवार नियोजन को बढ़ावा देना था।”
पीठ नेजाट की अपील यह कहतेहुए खारिज कर दी कि हाईकोर्ट के फैसलेमेंकिसी हस्तक्षेप की जरूरत नहीं है।
सौजन्य :लाइव हिंदुस्तान
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