जंगल में साधू का आश्रम, कुटिया में चारपाई पर भैरव बाबा मंदिर के पुजारी की लाश, बंधे हाथ और आंखों से बहते खून का राज़
आम तौर पर साधू संत अपनी तपस्या पहाड़ों और दूर दराज़ जंगलों में करते हैं जहां आम लोगों को आने की इजाज़त कम ही होती है। यूपी के बहराइच में साधू भी जंगलों में कुटिया बनाकर रहा करते थे। रोज की तरह यहां आज कुछ ज्यादा ही शांति थी। गांव का ही रामकुमार जब कुटिया के बाबर से गुजरा तो दरवाजे पर खून के निशान देखकर उसकी चीखें निकल गईं।
कुटिया के दरवाजे पर खून के निशान
रामकुमार ने कुटिया में झांककर देखा तो अंदर का मंजर दिल दहला देने वाला था। कुटिया में चारपाई पर साधू काशी राम आर्या की लाश पड़ी थी। साधू बाबा की लाश देखकर रामकुमार चीखता हुआ गांव की तरफ भागा। एक एक कर लोग इकट्टठा हो गए इसी बीच किसी गांव वाले ने पुलिस को खबर कर दी। गांव के मुखिया के साथ पुलिस टीम गांव के दूसरे छोर वर मौजूद काशी राम की कुटिया में पहुंची।
चारपाई पर साधू काशी राम आर्या की लाश
कुटिया में काशीराम की लाश चारपाई पर पड़ी थी। काशी राम के दोनों हाथ बंधे हुए थे। काशीराम की आंखों और नाक से खून बह रहा था। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिया है। दरअसल खैरीघाट क्षेत्र के मकरंदपुर गांव के बाहर बने भैरोदास कुटी में अज्ञात लोगों ने काशी राम आर्या नाम के दलित साधू की गला दबा कर निर्मम हत्या कर दी। साधू काशीराम थाना रामगांव क्षेत्र अंतर्गत रेहुआ मंसूर गांव के निवासी थे। पिछले पांच वर्षों से मकरंदपुर गांव में गांव के बाहर कुटी बनाकर रह रहे थे।
बंधे हाथ और आंखों से बहते खून का राज़
खैरीघाट थाना क्षेत्र के ग्राम पंचायत मकरंदपुर स्थित प्राचीन भैरव बाबा मंदिर पर रामगांव थाना क्षेत्र के रेहुआ मंसूर निवासी काशीराम आर्य (70) पूजा पाठ करते थे। बुधवार दोपहर उनका शव कुटी में बिस्तर पर पड़ा देखा गया इस दौरान उनका हाथ बंधा हुआ था। घटना की सूचना मिलने पर स्थानीय थाना खैरीघाट के थाना प्रभारी संजय सिंह ने घटना स्थल पर पहुंचकर मुआयना किया। जिसके बाद जिले फरेंसिक टीम भी मौके पर पहुंची। इस दौरान जिले के अपर पुलिस अधीक्षक डाक्टर पवित्र मोहन त्रिपाठी ने घटना स्थल का मुआयना करने के बाद पुलिस टीम से घटना स्थल का शीघ्र अनावरण करने की बात कही है।
सौजन्य : Crime tak
नोट: यह समाचार मूल रूप से crimetak.in में प्रकाशित हुआ है|और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था।