दलित, आदिवासी और अति पिछड़ों की आवाज: रोजगार संकट के दौर में आजीविका के लिए जमीन दे सरकार
सोनभद्र/चंदौली। पिछड़ेपन, पलायन सहित विभिन्न समस्याओं से जूझते आए उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में स्थित सोनभद्र और चंदौली जिलों के भूमिहीन गरीबों, दलित आदिवासी वनवासी समाज के लोगों ने अपनी आवाज बुलंद करते हुए रोजगार संकट के दौर में होने वाले पलायन को रोक आजीविका के लिए जमीन मुहैया कराए जाने की सरकार से मांग की है।
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की हुई बैठक में एजेंडा यूपी अभियान चलाने पर निर्णय लेते हुए हाशिए पर खड़े समाज के उन लोगों पर भी चर्चा हुई जो सरकार के विकसित भारत संकल्प यात्रा कार्यक्रम के बावजूद सरकारी योजनाओं से वंचित होकर लाभ पाने के लिए भटक रहे हैं। बिहार राज्य से लगा हुआ उत्तर प्रदेश का चंदौली जनपद और बिहार, झारखंड, छत्तीसगढ़ एवं मध्य प्रदेश से लगा हुआ सोनभद्र जनपद नक्सलवाद की पीड़ा झेलते हुए आज भी कई बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर बना हुआ है। यहां का आदिवासी वनवासी दलित पिछड़ा समाज पिछड़ेपन, विस्थापना, बेरोजगारी पलायन से जूझ रहा है।
आईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर कहते हैं, “रोजगार संकट के इस दौर में सोनभद्र जनपद के घोरावल में बड़े पैमाने में पलायन हो रहा है। इसे रोकने के लिए दलित, आदिवासी और अति पिछड़े भूमिहीन गरीबों को आजीविका चलाने हेतु एक एकड़ जमीन और आवासीय भूमि का प्रबंध सरकार को करना चाहिए। सरकार यदि कॉर्पोरेट घरानों को उद्योग लगाने, सड़क बनाने, रेलवे और हवाई अड्डे बनाने के लिए जमीन का अधिग्रहण कर दे सकती है तो उसे जमीन लेकर भूमिहीनों में वितरित करना चाहिए और वन अधिकार कानून में पट्टे का आवंटन होना चाहिए।”
मुख्यमंत्री के आदेश पर नहीं हुआ अमल
पिछले दिनों सोनभद्र जिले के घोरावल तहसील में हुई ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट की बैठक में बेरोज़गारी से जुझते लोगों के हो रहे पलायन पर आवाज उठाई गई। आईपीएफ के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि “सोनभद्र के चर्चित ‘उभ्भा कांड’ के बाद घोरावल में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का दौरा हुआ था और उन्होंने वादा किया था कि जितने भी पट्टे की जमीन है उस पर गरीबों को कब्जा दिलाया जाएगा। मठ, सोसाइटीज आदि के द्वारा जो अवैध रूप से भूमि कब्जा की गई है उसकी जांच कर कर गरीबों में वितरित किया जाएगा और वन अधिकार कानून में पट्टे मिलेंगे।
यही नहीं सोनभद्र के ही बभनी में आयोजित आदिवासी सम्मेलन में भी उन्होंने प्रशासन को निर्देश देते हुए वन अधिकार में जमीन आवंटन की बात कही थी। बावजूद इसके घोरावल में अभी तक वनाधिकार कानून में आदिवासियों और अन्य वनाश्रित जातियों को पट्टे का आवंटन नहीं हुआ।
उन्होंने कहा कि प्रदेश के विभिन्न लोकतांत्रिक विचार समूहों ने मिलकर एजेंडा यूपी का गठन किया है और यह मांग की है कि हर परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी, देश में रिक्त पड़े एक करोड़ सरकारी पदों पर तत्काल भर्ती और जमीन के अधिकार को दिया जाए। बैठक में घोरावल में एजेंडा यूपी अभियान चलाने का निर्णय हुआ।
ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के तहसील प्रवक्ता सदानंद कोल, श्रीकांत सिंह, सोहर लाल बैगा, दलवंती बैगा, मोहनलाल बैगा, मंसूर अली, युसूफ अली, अवध लाल बैगा, मैनेजर बैगा, मोहनलाल बैगा, रामकिशुन भारती एक स्वर में वनाधिकार कानून को लेकर अपनी राय रखते हुए आदिवासियों और अन्य वनाश्रित जातियों को पट्टे का आवंटन अतिशीघ्र करने की बात कही और कहा की सरकार पूंजीपतियों तथा कॉरपोरेट घरानों के दबाव में वनाधिकार कानून को लागू करने और वन अधिकार कानून के तहत पट्टा देने से बच रही है।
गौरतलब हो कि उत्तर प्रदेश का उर्जांचल कहा जाने वाला सोनभद्र जनपद भले ही राज्य को भारी भरकम राजस्व प्रदान करने वाला जिला है, लेकिन जिन मजदूरों के मजबूत कंधों की बदौलत यह राजस्व सरकार के खजाने में जाता है वह मजदूर कामगार बदहाल फटेहाल बना हुआ है।
जंगलों-पहाड़ों के बीच सुविधाओं से वंचित होता आया आदिवासी, वनवासी, दलित समाज योजनाओं के प्रचार पंपलेट में लाभार्थी नजर आता है, लेकिन धरातल पर वह बदहाल फटेहाल नज़र आता है। यही बदहाली पड़ोसी जनपद चंदौली की भी कमोवेश बनी हुई है। अपने नैसर्गिक सौंदर्य, जंगलों पहाड़ों, झरनों बाल से सुसज्जित होने के बाद भी समस्याओं से जूझ रहा है।
जमीन पर अधिकार दे सरकार
सरकारें अपने हर एक बजट को लोक कल्याणकारी बताते हुए दावा करती हैं कि बजट में हर वर्ग का ख्याल रखा गया है। खासकर गरीब, किसान, नौजवान, महिलाओं, बेरोजगारों की ज्यादा बात होती है। बावजूद इसके यह वर्ग हाशिए पर ही खड़ा दिखाई देता है।
मजदूर किसान मंच चंदौली के जिला संयोजक रामेश्वर प्रसाद कहते हैं “गरीब, किसान, युवा और महिलाओं के नाम पर बजट में मोदी सरकार की वित्तमंत्री द्वारा की गई बातें सच्चाई से परे हैं। असलियत यह है कि इन सभी तबकों के बेहतरी के लिए जो भी योजनाएं चलाई जा रही हैं उनके बजट में बड़े पैमाने पर कटौती की गई है।”
उन्होंने कहा कि महिला कल्याण के लिए चल रही बाल विकास पुष्टाहार के बजट को कम कर दिया गया, किसानों की सिंचाई और उर्वरक और खाद के लिए दिए जाने वाले धन में बड़ी कटौती की गई। मनरेगा का बजट घटा दिया गया। नौजवानों के रोजगार के सवाल पर कुछ नहीं कहा गया। यहां तक की जिस 5 किलो राशन की चर्चा प्रधानमंत्री करते नहीं अधाते हैं उसमें भी दिए जाने वाले धन को कम कर दिया गया है।”
मोदी सरकार के बजट को जन विरोधी और कॉर्पोरेट परस्त बताते हुए वह कहते हैं “कॉर्पोरेट घरानों के ऊपर लगाए जाने वाले टैक्स में भारी कमी की गई है और एक लाख करोड़ रूपया उनको बिना ब्याज के देने की घोषणा की गई है। यही नहीं जिस सौर ऊर्जा के जरिए मुफ्त बिजली देने की बात सरकार कर रही है उसका प्लांट भी अडानी के माध्यम से देश में लगाने की सरकार की योजना है। इसलिए इस सरकार को सत्ता से हटाना प्रमुख कार्य है।”
रामेश्वर प्रसाद कहते हैं सरकार गरीबों, दलितों आदिवासी वनवासी समाज के लोगों को अधिकार देने की बात करती हैं जो कल्पना से परे दिखाई देता है। उन्हें तो बोलने तक नहीं दिया जाता है तो भला अधिकार देने की बात का क्या? धरातल पर उतारते हुए जमीन पर अधिकार दे सरकार।”
हर गरीब को आवासीय भूमि और आवास का अधिकार सुनिश्चित हो
नौगढ़, चंदौली में एजेंडा यूपी 2024 की बैठक में मुख्य वक्ता ऑल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के प्रदेश महासचिव दिनकर कपूर ने कहा कि हर परिवार के एक सदस्य को नौकरी सुनिश्चित की जा सकती है, यदि सरकार कॉर्पोरेट घरानों पर एक प्रतिशत संपदा कर लगाने को तैयार हो। देश में रिक्त पड़े एक करोड़ों पदों और उत्तर प्रदेश के 6 लाख सरकारी पदों को तत्काल भरने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि अनुसूचित जाति-जनजाति सब प्लान से जमीन खरीद कर पलायन करने वाले नौजवानों और भूमिहीन किसानों और गरीबों को आजीविका के लिए एक एकड़ जमीन दी जानी चाहिए। साथ ही हर गरीब को आवासीय भूमि और आवास का अधिकार सुनिश्चित किया जाना चाहिए। नौगढ़ में वनाधिकार कानून में लोगों को जमीन का अधिकार न देने और वन विभाग द्वारा किए जा रहे उत्पीड़न पर गहरी चिंता जताते हुए सरकार से जमीन आवंटन की मांग की गई।
वक्ताओं ने कहा कि नौगढ़ की बड़ी दुर्दशा है। सरकारी अस्पताल में डॉक्टर बैठते नहीं और सरकारी विद्यालयों में अध्यापकों की भारी कमी है। टमाटर और मिर्च के किसान सरकारी खरीद और इसके लिए लगाए जाने वाले उद्योगों न होने के कारण बहुत ही सस्ते दर पर अपनी उपज को बेचने और घाटा उठाने के लिए मजबूर है।
बैठक में रोजगार और जमीन पर अधिकार के लिए नौगढ़ में हर गांव में जन अभियान चलाने का निर्णय हुआ। आदिवासी, वनवासी महासभा के संयोजक गंगा प्रसाद चेरो, मजदूर किसान मंच के जिला संयोजक रामेश्वर प्रसाद, आईपीएफ के जिला संयोजक अखिलेश दूबे, मजदूर किसान मंच के प्रभारी अजय राय, रहमुद्दीन, बचाऊ राम, विद्यावती देवी, ईश्वर दयाल, फेकू राम, विनोद राम, राम सकल, राम दुलारे, पांचू राम, विनय कुमार इत्यादि ने भी हर गरीब को आवासीय भूमि और आवास का अधिकार सुनिश्चित हो, कि पुरजोर वकालत करते हुए गरीबों, भूमिहीनों की विभिन्न समस्याओं को सलीके से रखते हुए आवाज बुलंद की।
आजीविका के लिए जमीन दे सरकार
आजीविका की गंभीर समस्या से जूझते वंचित समुदायों की दशा में सुधार की बातें कोरा कागज़ साबित हो रही है। आश्चर्य तो तब और होता है कि इन्हीं समाज के बीच से शासन सत्ता में पहुंचने वाले वह नेता भी इनकी नुमाइंदगी करने के बजाए अपनी झोली भरने और परिवार को ही उपकृत करने में जुट जाते हैं जिससे यह समाज उपेक्षित और ठगा सा महसूस करता रह जाता है।
कोन, सोनभद्र के जीतनराम का कहना है कि “जब तक गरीब और वंचित समुदायों के लोगों को आजीविका संचालन के लिए जमीन का अधिकार उन्हें धरातल पर नहीं मिलता है तब तक इनके कल्याण की बात बेमानी ही कही जाएगी।”
वह सोनभद्र, चंदौली जनपद के पिछड़ेपन, विस्थापना इत्यादि की चर्चा करते हुए कहते हैं जब तक गरीब आदिवासी वनवासी समाज को आजीविका के लिए जमीन देते हुए सरकार इनके जीवन स्तर को सुधारने का कार्य धरातल पर नहीं करती है तब तक इनके जीवन में आमूलचूल परिवर्तन हो पाना संभव नहीं है। क्योंकि ज्यादातर योजनाएं आज भी इनकी पहुंच से दूर हैं या तो भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी, बिचौलिए की भेंट चढ़ कर रह जा रही हैं।”
सौजन्य : Jan chowk
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