दुमका में संताल समाज के लोगों ने निकाली आदिवासी एकता महारैली
दुमका। उपराजधानी दुमका में रविवार को हजारों की संख्या में लोग आदिवासी एकता मंच के बैनर तले सड़कों पर उतरे। आदिवासियों ने शहर के गांधी मैदान से एक रैली निकाली, जो पूरे शहर का भ्रमण करते हुए गांधी मैदान पहुंचकर सभा में तब्दील हो गई। रैली के माध्यम से आदिवासियों ने अपनी आवाज बुलंद की। लोगों ने कहा कि धर्म के नाम पर आदिवासियों को बांटना बंद करो। उन्होंने कहा कि हम सभी आदिवासी भारतवासी हैं।
हमारे बीच में जाति, धर्म और क्षेत्रीयता का जहर घोलकर हमें एक-दूसरे से जुदा मत करो लगभग डेढ़ माह पूर्व दुमका में डीलिस्टिंग के समर्थन में महारैली निकाली गई थी, जिसमें यह मांग की गई थी कि जिन अनुसूचित जनजाति के लोगों ने अपना धर्म बदल लिया है उन्हें एसटी आरक्षण श्रेणी से हटाया जाए और उन्हें अल्पसंख्यक श्रेणी में डाला जाए। इसके लिए दुमका के रसिकपुर मैदान में एक सभा आयोजित की गई थी, जिसमें हजारों की संख्या में पूरे झारखंड से लोग पहुंचे थे। इसका नेतृत्व पूर्व सांसद कड़िया मुंडा ने किया था। इस कार्यक्रम में दुमका के भाजपा सांसद सुनील सोरेन भी शामिल हुए थे।डीलिस्टिंग महारैली में एक स्वर में सभी लोगों ने केंद्र सरकार से यह मांग की थी कि आप ऐसा कानून लाइए कि धर्मांतरित व्यक्ति को एसटी आरक्षण का लाभ नहीं मिले। उन्हें एसटी आरक्षण की सूची से हटाया जाए।
वहीं डीलिस्टिंग महारैली के जवाब में रविवार को आदिवासी एकता मंच के बैनर तले हजारों की संख्या में संथाल समाज के लोगों ने आदिवासी एकता महारैली निकाली। यह महारैली शहर के गांधी मैदान से निकलकर अंबेडकर चौक और मेन रोड होते हुए फिर से गांधी मैदान पहुंची और आमसभा में तब्दील हो गई इस रैली में काफी संख्या में महिला, पुरुष, युवा और बुजुर्ग शामिल हुए। सभी ने एक स्वर में कहा कि धर्म के नाम पर आदिवासियों को बांटना बंद करो। पहले हम आदिवासी हैं, बाद में हमारा धर्म आता है। पहले हमारी माटी है, बाद में कोई पार्टी है।
सभी आदिवासी जागो. हम सब आदिवासी की पहचान सिर्फ भारतवासी हैं।जन-जन की एक ही पुकार है हम सभी आदिवासी एक हैं जैसे कई नारे लगाए। इस संबंध में आदिवासी एकता महारैली के संयोजक डॉ सुशील मरांडी ने कहा कि 2014 के बाद से पूरे देश में जाति, धर्म के नाम पर लोगों को बांटा जा रहा है। 2024 के चुनाव के पहले तक तो मामला और बिगड़ गया है। उन्होंने कहा कि हम सभी आदिवासी एक हैं। हमें धर्म, जाति, समाज के नाम पर बांटने का प्रयास किया जा रहा है। इस महारैली के माध्यम से हमलोग इसका पुरजोर विरोध करते हैं।
सौजन्य: Tarun mitra
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