उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ में हत्या के दोषी दो लोगों को आजीवन कारावास
आजमगढ़ (उप्र), 29 जनवरी: आजमगढ़ की एक अदालत ने एक दलित व्यक्ति की हत्या के मामले में दो लोगों को सोमवार को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास और जुर्माने की सजा सुनायी. अभियोजन पक्ष के मुताबिक तरवा थाना क्षेत्र के महौली गांव के सुरक्षागार्ड सुदर्शन प्रजापति ने 17 जून 2002 को स्थानीय थाने में गांव के कुएं में एक शव मिलने की सूचना दी थी.
पुलिस की ओर से शव की पहचान गांव के ही मूलचंद राम के रूप की गई. विवेचना के दौरान यह तथ्य प्रकाश में आया कि मूलचंद की हत्या उसकी पत्नी फेंकनी उर्फ कुसुमी देवी ने गांव के करिया सिंह उर्फ राम समुझ सिंह के साथ मिलकर कराई थी. जांच के अनुसार, ‘‘करिया सिंह का फेंकनी के साथ विवाहोत्तर संबंध थे, जिसका विरोध करने पर मूलचंद की हत्या कर दी गई.’’
अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति अदालत के विशेष सत्र न्यायाधीश जैनेंद्र कुमार पांडेय ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आरोपी करिया सिंह को आजीवन कारावास और 35 हजार रुपये जुर्माने तथा फेंकनी को उम्रकैद और 45 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई.
सौजन्य: Latestly
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