बिलकिस बानो केस के 3 दोषियों ने सुप्रीम कोर्ट में लगाई गुहार, ये कारण बताकर मांगी मोहलत
बिलकिस बानो केस के तीन दोषी सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। तीनों ने आत्मसमर्पण के लिए समय को बढ़ाने की मांग रखी है। गोविंदभाई नाई, रमेश रूपाभाई चंदना और मितेश चिमनलाल भट ने अलग-अलग कारणों से समय बढ़ाने की अपील की है। उनकी इस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा। तीनों ने समय बढ़ाने के लिए क्या कारण बताया है, आइए जानते हैं।
दोषियों ने क्या दी दलील
गोविंदभाई नाई ने बीमारी का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण का समय 4 हफ्ते बढ़ाए जाने की मांग की है। वहीं दूसरी ओर रमेश रूपाभाई चंदना ने बेटे की शादी का हवाला दिया। इधर मितेश चिमनलाल भट ने फसल की सीजन का हवाला देते हुए आत्मसमर्पण करने के लिए 6 हफ्ते बढ़ाए जाने की मांग की है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 8 जनवरी को फैसला देते हुए बिलकिस बानो रेप और उनके परिजनों की हत्या के मामले में समय से पहले बरी किए गए 11 दोषियों को दी गई रिहाई को रद्द कर दिया था। कोर्ट ने दोषियों को 2 हफ्ते मे जेल में आत्मसमर्पण करने के लिए आदेश जारी किया था।
बिलकिस बानो केस है क्या
CBI कोर्ट ने इस मामले में 11 को दोषी ठहराया था। सभी आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी। एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर रिमिशन पॉलिसी के तहत उसे रिहा करने की मांग की थी। गुजरात हाईकोर्ट ने इसे खारिज कर दिया। मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में गुजरात सरकार से फैसला लेने के लिए कहा था। गुजरात सरकार ने रिहाई पर फैसला करने के लिए कमेटी का गठन किया था। कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों जसवंत नाई, गोविंद नाई, शैलेश भट्ट, राधेश्याम शाह, बिपिन चंद्र जोशी, केसरभाई वोहनिया, प्रदीप मोर्दहिया, बकाभाई वोहनिया, राजूभाई सोनी, मितेश भट्ट और रमेश चंदना को रिहा किया गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई के फैसले को रद्द कर दिया है।
2002 में गुजरात में गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था। इसके बाद गुजरात में दंगे फैल गए थे। इन दंगों की चपेट में बिलकिस बानो का परिवार भी आ गया था। मार्च 2002 में भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ रेप किया तब बिलकिस 5 महीने की गर्भवती थीं। साथ ही भीड़ ने उनके परिवार के 7 सदस्यों की हत्या भी कर दी थी। बचे हुए 6 सदस्य वहां से भाग गए थे।
सौजन्य: पत्रिका
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