सावित्री फुले ने दलित महिलाओं को शिक्षित बनाने अपना योगदान दिया
डॉ. बाबा साहेब भीमराव अम्बेडकर स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोंगरगांव के रासेयो इकाई के स्वयंसेवियों ने विगत दिनों ग्राम पंचायत बड़गांव चारभांठा के शासकीय हाई स्कूल में सावित्री बाई फुले की जयंती मनाई।
इस अवसर पर स्वयं सेवियों ने छात्र-छात्राओं को बताया कि सावित्रीबाई फुले भारत के पहले बालिका विद्यालय की पहली प्रिंसिपल और पहले किसान स्कूल की संस्थापक थीं। महात्मा ज्योतिराव को महाराष्ट्र और भारत में सामाजिक सुधार आंदोलन में एक सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति के रूप में माना जाता है। उनको महिलाओं और दलित जातियों का शिक्षित करने के प्रयासों के लिए जाना जाता है। ज्योतिराव जो बाद में ज्योतिबा के नाम से जाने गए सावित्रीबाई के संरक्षक, गुरु और समर्थक थे।
सावित्रीबाई ने अपने जीवन को एक मिशन की तरह से जी जिसका उद्देश्य था विधवा विवाह करवाना, छुआछूत मिटाना, महिलाओं की मुक्ति और दलित महिलाओं को शिक्षित बनाना। कार्यक्रम में शाला परिवार के प्राचार्य रतिराम राणा व शिक्षिका रीता गुप्ता साथ ही स्कूल के अध्यापक व स्वयं सेवक दानेश्वर साहू,सत्यम वैष्णव, आकाश बोरकर, देवनारायण माली, केवल पटेल, यशवंत साहू, राहुल देवांगन व ईश्वर लाटिया उपस्थित थे।
सौजन्य:दैनिक भास्कर
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