2009 से पहले की नाबालिग रेप पीड़िताओं को मिलेगा मुआवजा:हाई कोर्ट का रिपोर्टेबल जज़मेंट, जज़ ने मनु स्मृति के श्लोक से शुरू किया फैसला
मनु स्मृति के इस श्लोक से हाई कोर्ट जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने रेप के बाद नाबालिग बच्चियों को उचित मुआवज़ा नहीं मिलने के मामले में दिए गए अपने फैसले की शुरुआत की।
उन्होने फैसले में लिखा, मनुस्मृति का श्लोक कहता है कि जहां नारियों की पूज़ा होती है, वहा देवताओं का निवास होता है। वहीं जहां नारियों का सम्मान नहीं होता हैं, वहां सभी अच्छी क्रियाए भी निष्फल साबित होती हैं।
दरअसल जस्टिस अनूप कुमार ढंड ने करीब 20 साल पुराने मामलें में फैसला देते हुए कहा कि 2009 में सीआरपीसी की धारा-357 के संशोधन से पहले की भी सभी नाबालिग दुष्कर्म पीडिताएं 3 लाख रुपए का मुआवजा पाने की हकदार हैं। हालांकि हाई कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट किया है कि यह फैसला सिर्फ उन मामलों में ही लागू होगा, जिनमें संशोधन से पहले मुआवजे के लिए प्रार्थना पत्र पेश कर दिया गया हो और मामला लंबित चल रहा हो।
बलात्कार सबसे बड़ा टॉर्चर
जस्टिस अनूप कुमार ढ़ंड ने अपने फैसले में लिखा नारी के साथ बलात्कार उसके लिए सबसे बड़ा टॉर्चर हैं। रेप केवल शारीरिक अत्याचार नहीं है। यह पीड़िता की मानिसक, मनौवैज्ञानिक और भावनात्मक संवेदनशीलता पर भी विपरीत असर डालता हैं।
इसलिए रेप को गंभीर अपराध की श्रेणी में रखा गया हैं। यह महिला के मूलभूत अधिकारों का उल्लंखन करता हैं। इसलिए अदालतों को आवश्यकता है कि इस तरह के मामलों को गंभीर संवेदनशीलता और अत्यधिक जिम्मेदारी के साथ लें।
यह था पूरा मामला
याचिकाकर्ता की अधिवक्ता नैना सराफ ने बताया कि नाबालिग रेप पीड़िता की ओर से 2006 में हाई कोर्ट में याचिका पेश करके कहा गया था कि उसकी 2 साल की बेटी के साथ 19 जुलाई, 2004 को रेप हुआ था। सोडाला पुलिस ने अभियुक्त को गिरफ्तार कर चालान पेश किया। फास्ट ट्रैक कोर्ट ने 31 मई 2005 को अभियुक्त को 10 साल की जेल व 500 रुपए का जुर्माना लगाया।
लेकिन मुआवजे देने के कोई आदेश नहीं दिए। पिता ने कलेक्टर के समक्ष अर्जी पेश कर 3 लाख रुपए का मुआवजा मांगा था। लेकिन मुआवज़ा नहीं मिला। केवल मुख्यमंत्री राहत कोष से 10 हजार रुपए दिए गए। याचिका के लंबित रहने के दौरान सीआरपीसी में संशोधन हुआ और पीडित प्रतिकर स्कीम-2011 लागू हुई। जिसमें 3 लाख रुपए देने का प्रावधान किया गया। लेकिन उसके बाद भी मुआवज़ा नहीं दिया गया।
क्या है पीडित प्रतिकर स्कीम 2011
दरअसल साल 2009 से पहले नाबालिग से रेप के मामले में अगर अदालत मुआवज़ा देने के आदेश देती थी। तभी पीड़िता मुआवज़े के लिए आवेदन कर सकती थी। लेकिन 31 दिसम्बर 2009 को सीआरपीसी की धारा 357 में संशोधन किया गया। जिसमें कहा गया कि नाबालिग रेप पीड़िता को मुआवज़ा देने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की होगी।
इसके बाद सभी प्रदेशों में इसे लेकर स्कीम बनाई गई। राजस्थान में राजस्थान पीड़ित प्रतिकर स्कीम 2011 लागू हुई। जिसमें नाबालिग रेप पीड़िताओं को 3 लाख रुपए का मुआवज़ा देने का प्रावधान रखा गया। लेकिन इस स्कीम के तहत 2009 के बाद हुई घटनाओं में ही मुआवज़ा दिया जा रहा था।
सौजन्य: दैनिक भास्कर
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