Himachal: अधिसूचना जारी होने के बाद हाटियों समुदाय का 56 साल बाद खत्म हुआ इंतजार, खुशी में पटाखे फोड़े, बांटे लड्डू
हिमाचल प्रदेश के सिरमौर के गिरिपार के हाटी समुदाय का 56 साल बाद लंबा इंतजार आखिर खत्म हो गया। केंद्र से स्पष्टीकरण मिलने के बाद प्रदेश सरकार ने भी नए साल में एसटी अधिसूचना को जारी कर दिया है। बीते साल 4 अगस्त को राष्ट्रपति के हस्ताक्षर से हाटी को जनजाति की गजट अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन प्रदेश सरकार ने इस मामले को स्पष्टीकरण के लिए केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय को भेजा, जिसका उत्तर केंद्र सरकार ने 30 दिसंबर को प्रदेश सरकार को भेजा। इसके बाद प्रदेश सरकार ने नववर्ष पर संबंधित विभागों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
ये रहा संघर्ष का इतिहास
सिरमौर रियासत के हिस्सा रहे जौनसार बाबर क्षेत्र को वर्ष 1967 में जनजातीय दर्जा मिल गया था, लेकिन गिरिपार क्षेत्र इस अधिकार से वंचित रहा। 70 के दशक में गिरिपार क्षेत्र के हाटी समुदाय ने यह मांग उठाई कि उनके और जौनसार बाबर क्षेत्र की संस्कृति, रहन सहन, रीति रिवाज और देव परंपराएं समान हैं और भौगोलिक स्थिति भी एक जैसी है। ऐसे में उन्हें भी जौनसार बाबर की तर्ज पर जनजातीय दर्जा मिलना चाहिए।
वर्ष 1979 में प्रदेश सरकार की संस्तुति के बाद केंद्रीय अनुसूचित जाति एवं जनजातीय आयोग के अध्यक्ष भोला पासवान शास्त्री और सदस्य टीएस नेगी ने गिरिपार क्षेत्र का दौरा कर हाटी समुदाय को जनजाति और समूचे गिरिपार क्षेत्र को जनजातीय क्षेत्र घोषित किए जाने की सिफारिश की। वर्ष 1995 में पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने यह मामला सांसद रहते संसद में उठाया। वर्ष 2002 में पूर्व केंद्रीय मंत्री और वर्तमान में भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने हिमाचल विधानसभा में इस मामले में संकल्प प्रस्ताव रखा।
भाजपा ने 2002 में इसे अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल किया, जिसमें भाजपा नेता चंद्रमोहन ठाकुर ने अहम भूमिका निभाई। वर्ष 2011 में हाटी समुदाय का एक प्रतिनिधिमंडल सांसद वीरेंद्र कश्यप के नेतृत्व में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मिला। तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने हाटी समुदाय की एथनोग्राफिक रिपोर्ट के लिए प्रदेश सरकार को धनराशि दी। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2013 में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय में जनजातीय अनुसंधान केंद्र स्थापित किया। उसने हाटी समुदाय के दबाव के बाद वर्ष 2016 में अपनी रिपोर्ट प्रदेश सरकार को दी।
तत्कालीन मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश मंत्रिमंडल की संस्तुति सहित मामला केंद्र सरकार को भेजी, लेकिन आरजीआई ने इस पर आपत्तियां करते हुए अपनी सहमति नहीं दी। वर्ष 2017 में हाटी का प्रतिनिधिमंडल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री राजनाथ सिंह से मिला। वर्ष 2018 में केंद्रीय जनजातीय मंत्री ने हाटी को जनजातीय दर्जा देने की घोषणा की। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2018 में जनजातीय अनुसंधान एवं प्रशिक्षण संस्थान बनाया। इस संस्थान ने वर्ष 2021 में अपनी रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय और जनजातीय विभाग और आरजीआई को टिप्पणी वार भेजी।
13 अप्रैल 2022 को आरजीआई ने प्रदेश सरकार की संस्तुति को सही ठहराते हुए हाटी समुदाय को जनजातीय दर्जा देने की सिफारिश की। मई 2022 को जनजातीय मंत्रालय ने कैबिनेट में ले जाने को स्वीकृति दी और अंतत: 14 सितंबर को कैबिनेट ने अपनी मंजूरी प्रदान की। इसी साल नौ दिसंबर को केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने यह बिल लोकसभा में प्रस्तुत किया। जिसे 16 दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनिमत से पारित किया। यह बिल पांच बार राज्यसभा की कार्यसूची में सम्मलित हुआ, लेकिन संसद सुचारू न चलने से यह पारित नहीं हो पाया था। 26 जुलाई 2023 को राज्यसभा में बिल पास हुआ। इसके बाद 4 अगस्त 2023 को राष्ट्रपति ने गजट नोटिफिकेशन जारी की।
22 अगस्त को केंद्रीय जनजाति मंत्रालय ने प्रदेश सरकार को पत्र लिखकर इसे लागू करने को भेजा। 23 सितंबर को प्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति इसमें शामिल है या नहीं, इस बारे स्पष्टीकरण के लिए पत्र लिखा। 6 नवंबर को प्रदेश सरकार ने दूसरा पत्र लिखा, जिसमें लागू करने की तिथि बारे अवगत करवाने का आग्रह किया गया। 30 दिसंबर को केंद्रीय जनजातीय मंत्रालय ने पत्र भेजा, जिसमें स्पष्ट किया गया कि प्रदेश सरकार की संस्तुति के बाद अनुसूचित जाति को हाटी जनजाति से बाहर रखा गया और कानून लागू करने की तिथि बारे वर्ष 1977 के पत्र में पहले ही उल्लेख है, यानी वर्ष 1950 से पूर्व के स्थाई निवासी होंगे। 1 जनवरी को प्रधान सचिव जनजाति विभाग ओंकार शर्मा ने पत्र जारी किया, जिसमें 11वें स्थान पर सिरमौर जिले के गिरिपार क्षेत्र के हाटी जनजाति को सम्मलित किया गया है।
अब मिलेंगे ये लाभ
विधेयक के कानून बनने के बाद अनुसूचित जनजातियों की संशोधित सूची में नए सूचीबद्ध समुदाय के सदस्य भी सरकार की मौजूदा योजनाओं के तहत अनुसूचित जनजातियों के लिए निर्धारित लाभ प्राप्त कर सकेंगे। सरकारी नीति के अनुसार सरकारी नौकरी और शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश के लिए आरक्षण का लाभ मिलेगा। इसके अलावा पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय विदेशी छात्रवृत्ति, राष्ट्रीय फैलोशिप, उच्च श्रेणी की शिक्षा, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति वित्त एवं विकास निगम से रियायती ऋ ण, अनुसूचित जनजाति के लड़कों और लड़कियों के लिए छात्रावास आदि का भी लाभ मिलेगा। जबकि पंचायतों, नगर निकायों व विधानसभा में भी आरक्षण मिलेगा।
कितनी पंचायतें आएंगी
इसमें जिले के चार विधानसभा क्षेत्रों की 154 पंचायतें आएंगी, जिसमें विकास खंड राजगढ़ की 33 पंचायतें और एक नगर पंचायत कुल 34 पंचायतें, शिलाई विकास खंड की 35, संगड़ाह की 44, पांवटा की 18 और तिरलोरधार की 23 पंचायतें हैं। अनुसूचित जाति के करीब 87,000 लोगों को छोड़कर एक 1.60 लाख लोगों को मिलेगा जनजाति का दर्जा मिला है।
खुशी में पटाखे फोड़े, बांटे लड्डू
प्रदेश सरकार की ओर से सोमवार को एसटी की अधिसूचना जारी होते ही समूचा गिरिपार क्षेत्र खुशी से झूम उठा। हरिपुरधार में लोगों ने पटाखे फोड़े और पूरे बाजार में लोगों में लडडू बांटे। हरिपुरधार के अलावा नौहराधार, संगड़ाह, रोनहाट, शिलाई, कफोटा, टिंबी व सतौन आदि क्षेत्रों में लोगों ने अधिसूचना जारी होने की खुशी में जमकर जश्न मनाया। दोपहर बाद हरिपुरधार में लोग मुख्य चौराहे में एकत्रित हुए और मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह के नारे लगाए। लोगों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व सीएम जयराम ठाकुर और शिलाई के पूर्व भाजपा विधायक बलदेव तोमर के पक्ष में भी नारे लगाए।
जिला भाजपा प्रवक्ता मेलाराम शर्मा, प्रदेश भाजपा कार्यकारिणी के विशेष आमंत्रित सदस्य बलबीर ठाकुर, हाटी समिति हरिपुरधार इकाई के अध्यक्ष मदन राणा ने कहा कि प्रदेश की सुक्खू सरकार की ओर से लगभग चार महीने तक लटकाने और भटकाने के बाद अंतत: केंद्र सरकार का स्पष्टीकरण आने के बाद उसे उसी तरह अक्षर लागू किया गया, जिस प्रकार उसे लोकसभा और राज्यसभा की ओर से पारित किया गया था। प्रदेश के पूर्व जीआर मुसाफिर, जिला परिषद की पूर्व उपाध्यक्ष परीक्षा चौहान, पूर्व सदस्य देवेंद्र शास्त्री, जय पच्छाद के अध्यक्ष बेलीराम शर्मा, मिल्क फेडरेशन के पूर्व निदेशक सुंदर सिंह ठाकुर,नगर पंचायत राजगढ़ के पूर्व अध्यक्ष दिनेश आर्य, पूर्व आईएमसी अध्यक्ष विवेक शर्मा ने हाटी समुदाय को बधाई दी।
आसान नही थी डगर, सहयोग करने वाले हर शख्स का आभार : अतर
केंद्रीय हाटी समिति के कोषाध्यक्ष अतर सिंह नेगी ने कहा कि साढ़े पांच दशकों का काफी संघर्षपूर्ण सफर रहा है। तीन पीढि़यों का संघर्ष आज अंजाम तक पहुंच सका है। इस संघर्ष में साथ देने वाले हर व्यक्ति का आभार प्रकट करते है। आने वाली युवा पीढ़ी अब अपने हक को प्राप्त कर सकेगी। गिरिपार क्षेत्र के आंजभोज की ग्राम पंचायत शिवा की प्रधान बबीता देवी ने कहा कि इस मुहिम में बुजुर्गों, महिलाओं व युवाओं को विशेष सहयोग रहा है। मुद्दा सिरे चढऩे पर अब सभी हाटियों को एकजुट होने की जरुरत है, जिससे पहले की तरह आपसी सौहार्द भी बना रहे।
हाटी समिति पांवटा साहिब इकाई महासचिव गुमान सिंह वर्मा ने कहा कि लंबी लड़ाई के बाद गिरिपार के हाटियों को हक मिल रहा है। इस संघर्ष में शामिल कई लोग आज दुनिया में नहीं हैं। संघर्ष में शामिल रहने वाले ऐसे लोगों कि पवित्र आत्माओं को भी शांति मिल रही होगी। लंबे संघर्ष के बाद हक मिलने से आज सभी बेहद खुश है। गिरिपार आंजभोज की ग्राम पंचायत टोरुं डांडा की प्रधान कमला तोमर ने कहा कि हाटियों के लंबे संघर्ष में शामिल रहे हैं। महिलाओं व युवाओं का भी संघर्ष में बराबर सहयोग रहा है। हाटियों को जायज हक मिलने से उत्साहित हैं। अब तक गिरिपार हाटी समुदाय जिस हक से वंचित रहा है, आने वाली पीढि़यों को वो हक मिल सकेगा।
केंद्रीय कानून पर पांच महीनों तक कुंडली मार कर बैठी रही राज्य सरकार : सिंगटा
हाटी विकास मंच शिमला के पदाधिकारियों ने हाटी को अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने के मामले को सुलझाने के लिए केंद्र सरकार का आभार जताया है। सोमवार को मंच के मुख्य प्रवक्ता डॉ. रमेश सिंगटा, अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा, कानूनी सलाहकार श्याम चौहान और महासचिव अतर तोमर ने प्रेसवार्ता कर कहा कि पांच महीने तक राज्य सरकार केंद्रीय कानून पर कुंडली मारकर बैठी रही। कानून को लटकाने, भटकाने और अटकाने का काम किया गया। राज्य सरकार देर आई दुरुस्त आई। उन्होंने अधिसूचना जारी करने के लिए मुख्यमंत्री सुखविंद्र सिंह सुक्खू और उनकी पूरी टीम का आभार जताया। मंच के मुख्य प्रवक्ता डॉ. रमेश सिंगटा और अध्यक्ष प्रदीप सिंगटा ने कहा कि अनुसूचित जाति को अनुसूचित जनजाति के दायरे से बाहर रखा गया है। अनुसूचित जाति की मांग पर ऐसा किया गया है। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के सिरमौर के सतौन में दिए गए उस बयान को दोहराया, जिसमें अमित शाह ने कहा था कि हमने अपनी कलम से लिख दिया है कि अनुसूचित जाति के हित पूरी तरह से सुरक्षित हैं। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि यह जनता के आंदोलन और केंद्र की मोदी सरकार की मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति की जीत है। हाटी मामले की गूंज राष्ट्रपति भवन तक सुनाई दी थी। मंच के पदाधिकारियों ने इस बाबत राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से शिमला में राष्ट्रपति निवास रिट्रीट में अप्रैल में मुलाकात की थी।
सिंगटा ने कहा कि इसी मुलाकात का असर हुआ कि जैसे ही पिछले वर्ष 26 जुलाई को राज्यसभा से बिल पारित हुआ, राष्ट्रपति ने चार अगस्त को इस पर अपनी सहमति दे दी थी। उसी दिन राजपत्र में भी अधिसूचना जारी हुई थी। मंच के पदाधिकारियों ने कहा कि यह संयोग ही है कि दो वर्ष पूर्व पहली जनवरी को रोनहाट में महाखुमली की शुरुआत हुई थी। तब आंदोलन का आगाज हुआ था और 2 वर्ष बाद नए साल के पहले दिन यह मुद्दा तार्किक अंत तक पहुंचा है। इसके लिए उन्होंने केंद्रीय हाटी समिति के शीर्ष नेतृत्व से लेकर राजनीतिक विचारधाराओं से ऊपर उठकर हाटी के मुद्दे पर एकता के पक्षधर के सभी लोगों का आभार जताया। प्रेस वार्ता में मंच के पदाधिकारी मदन तोमर, कपिल चौहान, बीएन भारद्वाज, गोपाल ठाकुर, सुरेश सिंगटा, रमेश राणा, आशु चौहान, प्रताप ठुंडू, अनुज शर्मा, गोविंद राणा, दीपक चौहान, दलीप सिंगटा और खजान ठाकुर भी मौजूद रहे।
कांग्रेस ने हक छीनने की हर कोशिश की : बलदेव
पांवटा साहिब। शिलाई के पूर्व विधायक बलदेव तोमर ने हाटी समुदाय को एसटी का दर्जा दिए जाने की अधिसूचना जारी होने पर कहा कि 6 दशक से ज्यादा लंबी लड़ाई आज निर्णायक स्थिति में पहुंची और हमें हमारा हक मिला। उन्होंने कहा कि यह लड़ाई प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के हर प्रकार के सहयोग और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह के सहयोग के बिना असंभव नहीं थी। कांग्रेस ने हमें हमारे हक से दूर रखने का हर संभव प्रयास किया, लेकिन इस मामले में सरकार को कामयाबी हाथ नहीं लगी और आखिरकार सरकार को अधिसूचना लागू करनी पड़ी।
सौजन्य: अमर उजाला
नोट: यह समाचार मूल रूप से amarujala.comमें प्रकाशित हुआ था और इसका उपयोग पूरी तरह से गैर-लाभकारी/गैर-व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए विशेष रूप से मानव अधिकार के लिए किया गया था।