सिस्टम से हार गईं देश की बेटियां, साक्षी मलिक ने कुश्ती को कहा अलविदा!
नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती महासंघ के चुनाव में एक बार फिर से बृज भूषण शरण सिंह को जीत हासिल हो गई है। इस प्रकार देश की महिला पहलवान खिलाड़ियों की पिछले 2 साल से जारी लड़ाई एक बेहद निराशाजनक अंत के साथ समाप्त हो गई है। उप राष्ट्रपति जगदीप धनकड़ की मिमिक्री करने पर निलंबित सांसदों पर देश का मीडिया, सरकार, पीएम और राष्ट्रपति बेहद व्याकुल हैं, और इसे जाट समुदाय के अपमान से जोड़ा जा रहा है।
लेकिन स्त्री को देवी का दर्जा देने वाले हमारे देश के नीति-नियंताओं को इन्हीं जाट महिला पहलवान खिलाड़ियों के द्वारा कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष बृज भूषण सिंह के खिलाफ लगाए गये यौन शोषण के मुद्दे पर जाट बिरादरी के अपमान की गंध तक नहीं आई थी? 40 दिनों तक दिल्ली की सड़कों पर धरना करने को विवश इन अंतर्राष्ट्रीय स्तर की खिलाड़ियों को किन-किन मानसिक यंत्रणाओं से गुजरना पड़ा, देश ही नहीं पूरी दुनिया ने इसे देखा था। लेकिन चूंकि बृज भूषण शरण सिंह कोई मामूली आदमी नहीं हैं, वरन भाजपा के उस राज्य से सांसदी का प्रतिनिधित्व करते हैं, जो देश की 80 लोकसभा सीटों के माध्यम से ‘कौन बनेगा प्रधानमंत्री’ का फैसला करता है, महिला सम्मान की बात घूरे के ढेर में फेंक दी जाती है।
आज जब कुश्ती महासंघ में अध्यक्ष पद का नतीजा सामने आया तो साफ़ हो गया कि कुश्ती संघ पर आज भी पूरी तरह से सासंद और यूपी में बाहुबली कहे जाने वाले भाजपा सांसद बृज भूषण का ही एकछत्र राज्य चलने वाला है। उनके खास संजय सिंह को भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष पद के लिए कुल 47 वोटों में से 40 वोट प्राप्त हुए, जबकि महिला खिलाड़ियों का प्रतिनिधित्व कर रहीं कॉमनवेल्थ खेलों की गोल्ड मेडलिस्ट अनीता श्योराण के साथ फेडरेशन कहीं नजर नहीं आया। यह लड़ाई भले ही देखने में संजय सिंह बनाम अनीता श्योराण लड़ रहे थे, लेकिन असल में मुकाबले में बृज भूषण शरण सिंह और सामने साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया और विनेश फोगाट जैसे भारत के अंतर्राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी आमने-सामने थे। इस जीत पर अपनी मुहर लगाते हुए महासंघ के पूर्व चीफ बृज भूषण शरण सिंह के दावे से पूरा मामला स्पष्ट हो जाता है। उन्होंने ऐलानिया लहजे में कहा है कि “दबदबा था, और दबदबा रहेगा”। इसका आशय यह हुआ कि भले ही उन्हें महासंघ के सर्वेसर्वा के पद से हटना पड़ा हो, लेकिन उनका दबदबा उसी तरह जारी रहने वाला है। इसके साथ ही उनका कहना है कि यह जीत देश के पहलवानों की हुई है, और वे आशा करते हैं कि उनके खिलाफ आंदोलन के चलते देश में कुश्ती से जुड़ी जो गतिविधियां पिछले 11 महीने से ठप पड़ी हुई थीं, वे अब फिर से सुचारू रूप से शुरू हो जाएंगी।
संजय सिंह के बारे में जो जानकारी मिल रही है, उसके अनुसार वे लंबे समय से बृज भूषण शरण सिंह के ख़ास रहे हैं। उत्तर प्रदेश से 6 बार के भाजपा सांसद बृज भूषण पिछले 12 वर्षों से कुश्ती महासंघ के प्रमुख थे, और इस 12 वर्षों के कार्यकाल में उनके खिलाफ कई महिला कुश्ती खिलाड़ियों ने यौन शोषण के आरोप लगाये हैं, जिनपर देश की अदालत में मुकदमा चल रहा है। कुश्ती महासंघ के चुनाव परिणामों पर जब मीडिया ने राष्ट्रमंडल एवं एशियाई खेलों की स्वर्ण पदक विजेता विनेश फोगाट से उनकी प्रतिक्रिया जाननी चाही तो वे रो दी और उन्होंने बेहद हताशा के साथ कहा, “अब जबकि संजय सिंह को फेडरेशन का मुखिया चुन लिया गया है, तो महिला पहलवानों को आगे भी उत्पीड़न का सामना करना पड़ता रहेगा।” विनेश फोगाट के अनुसार, “अब उन्हें इस देश में न्याय कैसे पाया जाए, को लेकर कोई राह नहीं सूझ रही है। हमारे कुश्ती करियर का भविष्य अंधकारमय है। हमें नहीं मालूम कि अब किस दिशा में जाना है।”
ओलंपिक कांस्य पदक विजेता बजरंग पुनिया ने इस जीत को बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा है कि “सरकार ने हमसे जो वादा किया था वह पूरा नहीं हुआ। हम सच्चाई के लिए लड़ रहे थे, लेकिन आज बृजभूषण शरण सिंह का एक सहयोगी डब्ल्यूएफआई अध्यक्ष बन गया है।”
बता दें कि महिला खिलाड़ियों के जंतर-मंतर पर जारी धरने को तब खत्म किया गया था, जब सरकार द्वारा इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच का आश्वासन दिया गया था। इस आश्वासन में यह भी वादा किया गया था कि बृजभूषण शरण सिंह के किसी भी सहयोगी या रिश्तेदार को कुश्ती संघ के अगले चुनाव में खड़े होने की अनुमति प्रदान नहीं की जाएगी। यही कारण था कि बृजभूषण के बेटे प्रतीक और दामाद विशाल सिंह इस बार चुनावी मैदान में नहीं उतरे, लेकिन उनके निकट सहयोगी संजय सिंह के लिए नामांकन का रास्ता बना दिया गया था। संजय सिंह का रिकॉर्ड बताता है कि इससे पहले वे उत्तर प्रदेश कुश्ती फेडरेशन के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। इसके अलावा वे डब्ल्यूएफआई की कार्यकारी परिषद का हिस्सा रहे हैं और 2019 से इसके संयुक्त सचिव के रूप में कार्यरत थे। अपनी जीत के बाद संजय सिंह ने इसे झूठ पर सच्चाई की जीत करार दिया है। उन्होंने दावा किया, “उन्होंने एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ आरोप लगाए हैं, जिसके चरित्र में ऐसे लक्षणों के लिए कोई स्थान ही नहीं है।” बीजेपी सांसद के करीबी होने की बात पर संजय सिंह का जवाब था कि, ”बेशक, इस बात में कोई शक नहीं कि मैं उनका करीबी व्यक्ति हूं।”
मीडिया के साथ अपने साक्षात्कार में पूरी तरह से हताश साक्षी मलिक के लिए 40 दिनों तक देश की राजधानी की सड़कों पर महिला खिलाड़ियों के सम्मान की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली हजारों बूढ़ी महिलाओं, छात्राओं और युवा महिला खिलाड़ियों की उम्मीदों का गला घोंट दिए जाने को लेकर हताशा झलक रही थी। साक्षी मलिक ने भावुक होते हुए उन सभी लोगों का धन्यवाद किया जो इस लड़ाई में उनके समर्थन में जंतर-मंतर पर साथ खड़े हुए, जिनमें से कई लोग उनके अनुसार आर्थिक रूप से बेहद कमजोर तबकों का प्रतिनिधित्व करते थे। साक्षी मलिक ने रुंधे गले से अपने खेल के सफर को आज से खत्म करते हुए अपने जूते मेज पर रखते हुए ऐलान किया, “हमने लड़ाई लड़ी, दिल से लड़ी। लेकिन अगर इस फेडरेशन का अध्यक्ष बृज भूषण शरण सिंह जैसा रहेगा जो उसका बिजनेस पार्टनर है तो मैं आज से खेल को अलविदा कहती हूं। सभी देशवासियों को धन्यवाद, जिन्होंने आजतक इस मुकाम पर मेरा सहयोग किया।”
सौजन्य :जनचौक
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