Gonda News: मृतक अभियुक्त के खिलाफ आरोप पत्र देने में फंसे क्षेत्राधिकारी
गोंडा। दलित बालिका से छेड़छाड़, दलित उत्पीड़न व पाॅक्सो एक्ट के मामले में मृतक अभियुक्त के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र वापस करते हुए विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट) ने विवेचना में लापरवाही के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को नोटिस देने व सचेत करने का आदेश पुलिस अधीक्षक को दिया है।
गोंडा। दलित बालिका से छेड़छाड़, दलित उत्पीड़न व पाॅक्सो एक्ट के मामले में मृतक अभियुक्त के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र वापस करते हुए विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट) ने विवेचना में लापरवाही के लिए जिम्मेदार पुलिस अधिकारी को नोटिस देने व सचेत करने का आदेश पुलिस अधीक्षक को दिया है। खरगूपुर थानाक्षेत्र के ग्राम फत्तेगढ़ निवासी भुर्रे उर्फ रामसुंदर के खिलाफ साल 2018 में एक नाबालिग दलित बालिका से छेड़खानी, एससीएसटी एक्ट व पाॅक्सो एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ था। विवेचना तत्कालीन पुलिस क्षेत्राधिकारी कृपाशंकर कनौजिया ने की और आरोप पत्र दाखिल किया।
20 नवंबर 2019 को तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक ने विवेचना में कमियों को दर्शाते हुए अग्रिम विवेचना का आदेश दिया।
इसके बाद विवेचना तत्कालीन क्षेत्राधिकारी लक्ष्मीकांत गौतम ने की। विवेचना के दौरान पता चला कि अभियुक्त भुर्रे की मृत्यु हो चुकी है, जिसका उल्लेख पत्रावली में संलग्न नोटिस में भी है। इसके अलावा केस डायरी में ग्राम प्रधान द्वारा 29 जुलाई 2021 को जारी मृत्यु प्रमाण पत्र का भी उल्लेख किया गया। इस क्रम में तत्कालीन अपर पुलिस अधीक्षक ने 13 अक्तूबर 2022 को पुलिस क्षेत्राधिकारी लक्ष्मीकांत गौतम को निर्देश देते हुए कहा कि अभियुक्त की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए अभियुक्त भुर्रे के विरुद्ध प्रेषित आरोप पत्र सक्षम अधिकारी से खारिज कराया जाना विधिसम्मत होगा, लेकिन आदेश को नजरंदाज कर एक वर्ष बाद आरोप पत्र न्यायालय भेज दिया गया।
अभिलेखों के परीक्षण के दौरान पाॅक्सो कोर्ट ने माना कि विवेचक क्षेत्राधिकारी ने उपेक्षापूर्ण रवैया अपनाते हुए चार साल की विवेचना के बाद काफी विलंब से मृत अभियुक्त भुर्रे के विरुद्ध आरोप पत्र भेजा और देरी का कोई कारण भी नहीं बताया।
सुनवाई के दौरान विशेष न्यायाधीश (पाॅक्सो एक्ट) मोहम्मद नियाज अहमद अंसारी ने विवेचना के प्रपत्र और आरोप पत्र अपर पुलिस अधीक्षक कार्यालय को वापस करने और मृत व्यक्ति के विरुद्ध आरोप पत्र प्रेषित करने के मामले में एएसपी व क्षेत्राधिकारी सदर को नोटिस देने का आदेश दिया है। न्यायालय ने मनमाने ढंग से आरोप पत्र प्रेषित करने वाले अधीनस्थ पुलिस अधिकारी को सचेत करने का आदेश पुलिस अधीक्षक को दिया है।
सौजन्य : अमर उजाला
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