छात्रवृत्ति घोटाले में चार निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी
बहुचर्चित 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने चार निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी की है। हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने चार निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी की है। अभियोजन मंजूरी के बाद अब इन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाना है। ये शिक्षण संस्थान पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से संबंधित हैं।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सीबीआई की ओर से दर्ज मामले की जांच को आगे बढ़ा रहा है। घोटाले को लेकर हर स्तर पर अनियमितताएं बरती गईं हैं। आपसी मिलीभगत से निजी संस्थानों को छात्रवृत्ति के लिए बजट जारी हुआ है। यही कारण रहा है कि छात्रवृत्ति का 80 प्रतिशत बजट निजी और मात्र 20 प्रतिशत बजट सरकारी संस्थानों को जारी किया गया। मामले में शामिल शिक्षण संस्थानों के आरोपी प्रबंधकों और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम-2002 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
हिमाचल प्रदेश के बहुचर्चित 250 करोड़ रुपये के छात्रवृत्ति घोटाले में सीबीआई ने चार निजी शिक्षण संस्थानों के खिलाफ चार्जशीट पेश करने की तैयारी की है। अभियोजन मंजूरी के बाद अब इन्हें सीबीआई कोर्ट में पेश किया जाना है। ये शिक्षण संस्थान पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश से संबंधित हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी सीबीआई की ओर से दर्ज मामले की जांच को आगे बढ़ा रहा है। घोटाले को लेकर हर स्तर पर अनियमितताएं बरती गईं हैं। आपसी मिलीभगत से निजी संस्थानों को छात्रवृत्ति के लिए बजट जारी हुआ है। यही कारण रहा है कि छात्रवृत्ति का 80 प्रतिशत बजट निजी और मात्र 20 प्रतिशत बजट सरकारी संस्थानों को जारी किया गया। मामले में शामिल शिक्षण संस्थानों के आरोपी प्रबंधकों और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ धन शोधन निवारण अधिनियम-2002 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।
इन आरोपियों की संपत्ति का ब्योरा, उनके बैंक खातों से लेनदेन, कैसे छात्रवृत्ति को इधर से उधर किया, की जानकारी जुटाई गई है। ईडी की ओर से गिरफ्तार किए गए एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप के पार्टनर राजदीप जोसन और कृष्ण कुमार, केसी ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूट पंडोगा के उपाध्यक्ष शामिल हैं। आरोप है कि प्रदेश उच्च शिक्षा निदेशालय की छात्रवृत्ति शाखा के तत्कालीन अधिकारी अरविंद राजटा के साथ मिलीभगत के चलते करोड़ों के इस घोटाले को अंजाम दिया गया है। ईडी की जांच में सामने आया है कि मैसर्स एएसएएमएस एजुकेशन ग्रुप एंड स्किल डेवलपमेंट सोसायटी के माध्यम से फर्जी दस्तावेज पेश करके अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग से संबंधित विद्यार्थियों के लिए पोस्ट-मैट्रिक योजना में छात्रवृत्ति घोटाला किया।
सौजन्य- अमर उजाला
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