गोपालपुरा में गुरुजी बच्चों को खुले में बैठा सीखा रहे अंग्रेजी
गांव गोपालपुरा के महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय में संसाधनों के अभाव में पढाई बेपटरी है। गांव के बाणिया बास के नाम बसी दलित परिवारों की बस्ती में स्कूल की हालत खस्ता है। शिक्षकों व कक्षा- कक्षाें की कमी के चलते बच्चों की पढाई खुले आसमान के तले हो रही है। वो भी कई कक्षाओं की एक साथ। लोग बोले जिम्मेदारों की अनदेखी ग्रामीण परिवेश के बच्चोें के अंग्रेजी सीखने के मंसूबों पर पानी फेर रही है।
चूरू. जिले के सुजानगढ़ उपखंड में द्रोणगिरी की पहाडि़यों की तलहटी में बसे बेहद खूबसूरत गांव गोपालपुरा के महात्मा गांधी अंग्रेजी विद्यालय में संसाधनों के अभाव में पढाई बेपटरी है। गांव के बाणिया बास के नाम बसी दलित परिवारों की बस्ती में स्कूल की हालत खस्ता है। शिक्षकों व कक्षा- कक्षाें की कमी के चलते बच्चों की पढाई खुले आसमान के तले हो रही है। वो भी कई कक्षाओं की एक साथ। लोग बोले जिम्मेदारों की अनदेखी ग्रामीण परिवेश के बच्चोें के अंग्रेजी सीखने के मंसूबों पर पानी फेर रही है। बस्ती के ग्रामीण बोले तीन साल से इस स्कूल के यही हाल हैं। लोगों ने बताया कि गांवों में शिक्षा की सुलभता के दावों के घोड़े केवल महकमे के दस्तावेजों में ही दौड़ रहे हैं। जबकि धरातल पर इनकी हकीकत किसी से छुपी नहीं है। इधर, महकमे के जिम्मेदार बोले स्टॉफ व भाैतिक सुविधाएं देने का काम सरकार का है। शिक्षा विभाग इसमें कुछ नहीं कर सकता।
विभाग की मजबूरी, बच्चों को सजा
शिक्षा विभाग की मजबूरी की सजा गांव के बच्चों को मिल रही है। स्कूल में कुल 11 कमरें हैं, जबकि कक्षा एक से दस तक के बच्चों की पढाई के लिए 13 कमरों की जरूरत है। इन कमरों में भी एक कक्ष प्राचार्य के लिए आवंटित है। इसके अलावा पौषाहार, लैब व पुस्ताकलय के लिए एक – एक कमरे आरक्षित हैं। ऐसे में छात्र- छात्राओं के लिए महज 7 कमरे शेष होने के चलते चार कक्षाओं के बच्चों को एक ही कमरे में बैठ पढना पड़ रहा है। इसके अलावा नर्सरी कक्षाओं के बच्चों को तो खुले आसमान के तले बैठ पढाई करनी पड़ रही है। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि स्कूल में बच्चे अंग्रेजी कितनी सहजता से सीख रहे हैं।
संविदा पर टिका है तीन सौ बच्चों का भाग्य
ग्रामीणों ने बताया कि तीन साल पहले शुरू किए गए अंग्रेजी स्कूल में कुल 313 बच्चों का नामांकन है। वहीं शिक्षकों व अन्य स्टॉफ के 23 पद स्वीकृत हैं। वर्तमान में संविदा कर्मियों सहित 14 शिक्षक बच्चों को पढा रहे हैं। ऐसे में बस्ती के 300 से भी अधिक बच्चों की पढाई का जिम्मा संविदा पर चल रहा है। ग्रामीणों ने बताया कि गांव से करीब एक किमी दूर अर्हम आश्रम के सामने मुख्यमंत्री जनसहयोग योजना के तहत स्कूल का नया भवन निर्माणाधीन है। करीब एक करोड़ की लगात से बन रहे भवन में भी कुल नौ कमरे होंगे। जिसमें से चार कमरे स्कूल प्रशासन के काम आएंगे। ऐसे में पांच कमरों में बच्चों की पढाई कैसे होगी ये समझ से परे है।
ग्रामीण बोले…
स्कूल में कक्षा कक्षों व स्टाफ की कमी चिन्ताजनक है। राज्य सकरार को नए भवन में 5 कमरों का निर्माण ओर कराना चाहिए। घोषणा के साथ-साथ संसाधन व पूरा स्टाफ दिया जाएगा इसके बाद ही गुणात्मक अंग्रेजी शिक्षा मिलेगी।
एडवोकेट सुनील शर्मा, गोपालपुरा
सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी स्कूल तो खोल दिए। जबकि स्टाफ नहीं दिया तो बच्चों को पूरा ज्ञान कौन देगा। बिना कमरों के बच्चों का बाहर बैठ पढाई करना चिंताजनक है। इसके लिए शिक्षा विभाग को उचित कदम उठाने चाहिए।
राजकुमार बागड़ा, गोपालपुरा
इनका कहना है :
अभी यह भवन पुराने स्कूल में होने से कक्षा कक्षों की कमी है। जब नया भवन तैयार हो जाएगा तब यह कमी नहीं रहेगी। क्योंकि नये कमरे काफी बड़े होंगे। कमरों की कमी दूर करने के लिए अन्य प्रयास जारी रखेंगे।
भागीरथ गर्ग, प्रधानाचार्य, महात्मा गांधी राजकीय विद्यालय गोपालपुरा
ग्रामीणों की मांग पर सरकार ने गोपालपुरा में अंग्रेजी माध्यम का स्कूल तो खोल दिया। मगर, वहां की बिल्डिंग पुरानी है। मैंने स्कूल का निरीक्षण किया था। वहां पर भौतिक संसाधनों की कमी है। स्कूल के चारों तरफ गंदगी का आलम है। स्टॉफ की कमी सरकार पूरी करतीहै। शिक्षा विभाग इसमें कुछ नहीं कर सकता।
निसार अहमद खां, जिला शिक्षा अधिकारी ( माध्यमिक ) चूरू
सौजन्य : Patrika
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