7 साल का वो बच्चा जिसकी आंखों के सामने जिंदा जल गया पूरा परिवार, पढ़ें इस दलित नेता की अनसुनी दास्तां.
एक 7 साल का बच्चा और उसके सामने जलता हुआ उसका पूरा परिवार, ऐसी भयानक घटना से उभरना आपने आप में एक संघर्ष है. जो बच्चा अपने बचपन में इतने बड़े भावनात्मक आघात से गुजर चुका हो, वो अपने जीवन में आगे आने वाली परेशानियों से कैसे डर सकता है. जी हाँ.. हम बात कर रहे है मल्लिकार्जुन खरगे… वह कांग्रेस के दलित नेता के साथ कांग्रेस के अध्यक्ष भी है. खरगे के हाथों में पार्टी की कमान ऐसे समय आई है जब हर कदम पर चुनौती और संघर्ष है. हालांकि खरगे के लिए ये कोई नई बात नहीं है, संघर्षो में जीने का तजुर्बा तो उन्हें बचपन से ही है. दोस्तों, आईए आज हम आपको एक दलित नेता के जीवन के संघर्ष के बारे में बताते है|
जीवन की नई शुरुआत दलित नेता मल्लिकार्जुन खरगे कांग्रेस के पहले गैर-गाँधी अध्यक्ष है, इस दलित नेता ने एक राजनेता के रूप में कई उतार-चढ़ाव देखे है. लेकिन उनके जीवन का संघर्ष तो बचपन से ही शुरू हो गए थे. दलित नेता खरगे ने अपनी मां और बहन को आंखों के सामने जिंदा जलते हुए देखा, लेकिन वह कुछ नहीं कर सके थे. हैदराबाद के निजाम के रजाकारों ने उनके घर में आग लगा दी थी. लेकिन 1948 की इस दुखद घटना का खुलासा आज तक नहीं हुआ है. 1942 में, इस कांग्रेस नेता खरगे का जन्म कर्नाटक के बीदर जिले के एक छोटे से गांव वरावट्टी में एक दलित के घर हुआ था. एक बार मीडिया से बात करते हुए खरगे के बेटे प्रियांश ने खरगे के साथ बचपन में हुई दुखद घटना का जिक्र भी किया था कि कैसे उनपे पिता और दादा इस हादसे में बचे थे. इस घटना में खरगे की माँ और बहन की मौत हो गई थी. उनके बेटे प्रियांश उस हादसे के बाद मेरे दादा जी ने, अपने भाई से मिलने का फैसला किया था, जो सेना में सेवारत थे, उनकी ड्यूटी पुणे में थी. जहाँ पहुंचने के लिए बैलगाड़ी से एक सप्ताह का सफ़र करके मेरे दादा और पापा वहां पहुंचे थे. उनसे मिलने के बाद मेरे दादा और पापा वापिस गुलबर्गा चले गए थे, और अपने जीवन को नए सिरे से शुरू किया. प्रियांश ने बताया कि मेरे पिता जी को कुछ समय बाद एक कपड़े की मिल में एमएसके की नौकरी मिल गई जिसके साथ उन्होंने अपनी पढाई भी पूरी की. उसी कॉलेज से बीए करने के बाद गुलबर्गा लॉ कॉलेज से वकील की डिग्री हासिल की. दलित नेता खरगे राजनीति में आने से पहले एक पेशेवर वकील थे, साथ ही वह बौद्ध धर्म के अनुयायी हैं. और खरगे कलबुर्गी में बुद्ध विहार परिसर में सिद्धार्थ विहार ट्रस्ट के संस्थापक भी हैं. खरगे ने 3 मई, 1968 को राधाबाई से विवाह किया था जिनकी दो बेटियां और तीन बेटे है|
सौजन्य : नेडरिक
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