अंदर फंसे श्रमिक बोले- तुम काम कर भी रहे या झूठ बोल रहे हो…41 जिंदगियां कैद
दिवाली के दिन उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सुरंग में हुए हादसे में फंसे 41 श्रमिकों को अभी तक बाहर नहीं निकाला जा सका है। रेस्क्यू का आज आठवां दिन है। और अब फंसे श्रमिकों का धैर्य भी जवाब देने लगा है|
विदेशी विशेषज्ञों की मदद से जुटेंगी छह टीमें
सिलक्यारा सुरंग में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए अब पहाड़ के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग होगी। वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चार स्थानों की पहचान की गई है, वहां तक पहुंचने के लिए ट्रैक बनाने का काम सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) को सौंपा गया है। विदेशी विशेषज्ञों की मदद से पांच विकल्पों पर केंद्र और राज्य की छह टीमें रविवार से काम शुरू करेंगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी भी सीएम पुष्कर सिंह धामी के साथ सिलक्यारा पहुंचेंगे।
संसाधनों की कमी नहीं सभी विकल्प तलाश रहे
मजदूरों को बचाने के लिए हम सभी विकल्पों की तलाश कर रहे हैं। हमारे पास संसाधनों, विकल्पों और तौरतरीके की कमी नहीं है। वर्टिकल ड्रिलिंग का विकल्प भी खुला है। हम विदेशी सलाहकारों की मदद ले रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संदेश है इस अभियान को जितना जल्दी हो सके पूरा करना है। -भास्कर खुल्बे, पीएमओ के पूर्व सलाहकार
आधुनिक तकनीक की मदद रहे हैं : सीएम धामी
श्रमिकों को निकालने के लिए दुनिया में खोजी गई आधुनिक तकनीक की मदद ली जा रही है। हम जल्द उन्हें निकाल लेंगे। मैं खुद मौके पर जा रहा हूं। – पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री
नई राह पर चल रहा काम, पुरानी भी बंद नहीं
एक ओर जहां वर्टिकल सुरंग बनाकर मजदूरों को बाहर निकालने के विकल्प पर विचार चल रहा है, वहीं दूसरी ओर पुरानी ऑगर मशीन को भी चलाने की तैयारी चल रही है। शुक्रवार को मशीन में कंपन आने के कारण उसे बंद कर दिया गया था। लेकिन शनिवार को मशीन पर दबाव बनाने के लिए बड़े-बड़े बोल्डर मंगाए हैं। रविवार को इस पर भी ड्रिलिंग शुरू हो सकती है।
अंदर फंसे श्रमिक बोले- तुम काम कर भी रहे या झूठ बोल रहे हो…41 जिंदगियां कैद
सिलक्यारा सुरंग के अंदर फंसे 41 मजदूरों को शनिवार को सातवें दिन भी बाहर नहीं निकाला जा सका। रेस्क्यू का आज आठवां दिन है। अंदर फंसे श्रमिकों का धैर्य भी अब जवाब दे रहा है। बोले कि तुम काम कर भी रहे हो रहे है या झूठ बोल रहे हो। रेस्क्यू के दौरान सुरंग में कंपन और मलबा गिरने के खतरे पर ऑगर मशीन से ड्रिलिंग बंद कर दी गई है।
अब सुरंग के ऊपर और साइड से ड्रिलिंग की तैयारी है। उधर, बैकअप के तौर पर इंदौर से मंगवाई गई एक और ऑगर मशीन शुक्रवार देर रात जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंची और शनिवार दोपहर तीन ट्रकों से मशीनों को सिलक्यारा साइट पर पहुंचा दिया गया। 12 नवंबर को यमुनोत्री हाईवे पर निर्माणाधीन सिलक्यारा से पोल गांव जाने वाली सुरंग में भारी भूस्खलन हुआ था, जिसके चलते मुहाने के पास सुरंग बंद होने से 41 मजदूर अंदर फंसे हैं।
41 जान बचाने के लिए विदेशी विशेषज्ञों की मदद से आज उत्तरकाशी में ‘सिक्सर’
सिलक्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए अब विदेशी विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। शनिवार को इंजीनियरिंग विशेषज्ञ अरमांडो कैपेलन और माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर भी बचाव कार्य में मदद के लिए मौके पर पहुंच गए हैं। पांच योजनाओं पर आज केंद्र और राज्य की छह टीम शुरू करेगी। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में उपसचिव मंगेश घिल्डियाल, पूर्व सलाहकार भास्कर खुल्बे, सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव महमूद अहमद और भूविज्ञानी वरुण अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और मैराथन बैठक की। भास्कर खुल्बे ने मीडिया को बताया कि अब पांच प्लान पर एक साथ काम शुरू होगा। इसमें राज्य व केंद्र की छह एजेंसियां मिलकर काम करेंगी। इन पांच प्लान में सुरंग के सिलक्यारा छोर, बड़कोट छोर और सुरंग के ऊपर तथा दाएं और बाएं से ड्रिलिंग कर रास्ता तैयार किया जाएगा। जिससे अंदर फंसे सभी मजदूरों को बचाया जा सके।
सौजन्य : अमर उजाला
नोट : समाचार मूलरूप से amarujala.com में प्रकाशित हुआ है मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !