अनुसूचित जातियों में 99.49 फीसदी के पास नहीं है कंप्यूटर, नौकरी पानेमेंदुसाध 22 दलित जातियों मेंसबसेआगे
दलित जातियों मेंसबसेअधिक सरकारी नौकरी पाने वाले दुसाध जाति के, दूसरे नंबर पर चमार,तीसरेपर धोबी और चौथे नंबर पर पासी जाति के लोग हैं, जबकि पांचवेंनंबर पर पान और मुसहर जाति इस मामले में छठे पायदान पर है | राज्य में जातीय गणना के अनुसार अनुसूचित जाति में 22 जातियांशामिल हैं|
पटना. राज्य की दलित जातियों में सबसेअधिक सरकारी नौकरी पाने वाले दुसाध जाति के, दूसरेनंबर पर चमार,तीसरेपर धोबी और चौथे नंबर पर पासी जाति के लोग हैं, जबकि पांचवेंनंबर पर पान और मुसहर जाति इस मामलेमेंछठे पायदान पर है| राज्य में जातीय गणना के अनुसार अनुसूचित जाति में 22 जातियांशामिल हैं. इसमें दुसाध, धारी, धरही जाति की सबसेअधिक संख्या करीब 69 लाख 43 हजार है. वहीं दूसरेनंबर पर चमार-मोची, चमार-रबिदास, चमार-रविदास, चमार-रोहिदास और चर्मकार की संख्या 68 लाख 69 हजार 664 है. तीसरेनंबर पर मुसहर की संख्या 40 लाख 35 हजार 787 है. सबसेकम संख्या घासी जति की 1462 है|
हालांकि अनुसूचित जाति वर्गके सभी व्यक्तियों की संख्या दो करोड़ 56 लाख 89 हजार 820 है. यह कुल आबादी का करीब 19.65फीसदी है|
0.14 फीसदी लोग बिना इंटरनेट के कंप्यूटर इस्तेमाल करते
इस वर्गके 95 हजार 490 यानी 0.37 फीसदी लोग इंटरनेट के साथ कंप्यूटर का इस्तेमाल करतेहैं. वहीं, 34 हजार 237 यानी 0.14 फीसदी लोग बिना इंटरनेट के कंप्यूटर इस्तेमाल करतेहैं.दो करोड़ 55 लाख 59 हजार 507 यानी 99.49 फीसदी के पास कंप्यूटर या लैपटॉप नहीं है. आंकड़ों के अनुसार अनुसूचित जाति में 54 लाख 72 हजार 24 परिवार हैंइसमेंसे 23 लाख 49 हजार 111 परिवार यानी 42.93 फीसदी गरीब हैं. इनकी मासिक आय छह हजार रुपये तक है. वहीं, छह से दस हजार रुपये मासिक आय वाले 16 लाख 10 हजार 922 यानी 29.44 फीसदी परिवार हैं. 10 से 20 हजार रुपयेमासिक आय वालेआठ लाख 38 हजार 563 यानी 15.32 फीसदी परिवार हैं. 20 से 50 हजार रुपयेमासिक आय वालेतीन लाख 22 हजार 718 यानी 5.90 फीसदी परिवार हैं| 50हजार रुपये सेअधिक मासिक आय वाले 94 हजार 351 यानी 1.72 फीसदी परिवार हैं|
1.13 फीसदी लोग सरकारी नौकरी
सरकारी नौकरी में 1.13 फीसदी इस वर्गके दो लाख 91 हजार चार यानी 1.13 फीसदी लोग सरकारी नौकरी मेंहैं. एक लाख 30 हजार 390 यानी 0.51 फीसदी संगठित क्षेत्र में प्राइवेट नौकरी में हैं| तीन लाख 33 हजार 836 यानी 1.30 फीसदी असंगठित क्षेत्र में प्राइवेट नौकरी में हैं| स्वरोजगार वाले तीन लाख 39 हजार 616 यानी 1.32 फीसदी हैं|कृषकों या खेतिहरों की संख्या 19 लाख 77 हजार 838 यानी 7.70 फीसदी है| मिस्त्री, मजदूर की संख्या 54 लाख 93 हजार 434 यानी 21.38 फीसदी है| भिखारियों की संख्या सात हजार 666 यानी 0.03 फीसदी है. कचरा बीननेवालों की संख्या 12 हजार 698 यानी 0.05 फीसदी है. वहीं, गृहिगृणी, विद्यार्थी एवंअन्य की संख्या एक करोड़ 71 लाख तीन हजार 344 यानी 66.58 फीसदी है|
पासी समाज के 51.96 फीसदी लोगों के पास दो कमरों वाला पक्का मकान
दो या दो सेअधिक कमरे वाले पक्के मकान 24.26 फीसदी को दलित जातियों में पासी समाज के 51.96 फीसदी लोगों के पास दो या दो सेअधिक कमरों वाला पक्का मकान है. सबसेकम सात फीसदी मुसहर जाति के लोगों के पास दो कमरों का पक्का मकान है|
मेहतर और भंगी जातियों के 0.59 प्रतिशत लोगों के पास अपना आवास नहीं है| 27.36 प्रतिशत दुसाध, 26.43 प्रतिशत चमार, 37.91 प्रतिशत धोबी समाज के लाेगों के पास पक्का दो या दो सेअधिक कमरेका मकान है. ओवरऑल दलित वर्गके 13 लाख 27 हजार 257 यानी 24.26 फीसदी को दो या दो सेअधिक कमरे वाले पक्के मकान हैं| एक कमरा वाला पक्का मकान 12 लाख 96 हजार 574 यानी 23.69 फीसदी को है. खपरैल या टीन छत वालेमकान 15 लाख 50 हजार 936 यानी 28.34 फीसदी के पास है|झोपड़ी में रहने वालों की संख्या 12 लाख 83 हजार 215 यानी 23.45 फीसदी है. साथ ही 14 हजार 42 यानी 0.26 फीसदी के पास अपना मकान नहीं है|
0.02फीसदी दुषाध,चमार,पासी,धोबी,रजवार,डोम,नट जाति के पास छह पहिया वाहन हैं| ट्रैक्टर रखने के मामले में धोबी समाज के पांच प्रतिशत लोग हैं| जबकि चार प्रतिशत दुषाध, चौपाल,भोगता परिवार के पास ट्रैक्टर है.वहीं 03.16प्रतिशत पासी समाज के पास दो पहिया गाड़ी है.वहीं 03.68 प्रतिशत धोबी जाति के लोगों के पास दो पहिया वाहन हैं. दुषाध जातिके 02.19,चमार जाति के 02.09 लोगों के पास दोपहिया वाहन उपलब्ध है.इस वर्गके 97.83 फीसदी यानी दो करोड़ 51 लाख 32 हजार 162 व्यक्तियों के पास अपना वाहन नहीं है. वहीं छह पहिया या अधिक वाहन करीब चार हजार अनठानबेयानी 0.02 फीसदी के पास है. ट्रैक्टर करीब सात हजार चार सौ पनचानबेयानी 0.03 फीसदी के पास है. चार पहिया वालेवाहन 31 हजार 145 यानी 0.12 फीसदी के पास है|तीन पहिया वालेवाहन 18 हजार 978 यानी 0.07 फीसदी के पास है. साथ ही दो पहिया वालेवाहन चार लाख 95 हजार 942 यानी1.93 फीसदी के पास है| पढ़े-लिखे 24.31 फीसदी दलित जातियों में धोबी और पासी समाज के लोग
पहली से पांचवीं तक पढ़े-लिखे 24.31 फीसदी दलित जातियों में धोबी और पासी समाज के लोग दूसरी दलित जातियों की तुलना में अधिक पढ़े लिखे हैं|अपनी जातिकी आबादी के 0.5 फीसदी धोबी और 0.4 फीसदी पासी समाज के लोग डाक्टर हैं. 0.5प्रतिशत धोबी जाति के और 0.4प्रतिशत पासी समाज केलोग डाक्टरेट और सीए की डिग्रीधारी हैं.जबकि दुसाधऔर चमार जाति के0.2फीसदी लोगों के पास ऐसी उच्चतरडिग्री है. चमार जाति मेंकोई डाक्टरेट और सीए नहीं है. दलित वर्गके 62 लाख 46 हजार
358 यानी 24.31 फीसदी लोग पहली से पांचवीं तक पढ़े-लिखे हैं| छठी सेआठवीं तक पढ़े-लिखे 35 लाख 42 हजार 750 यानी 13.79 फीसदी लोग हैं. वहीं 28 लाख 50 हजार 643 यानी 11.10 फीसदी लोग नौवीं और दसवीं तक पढ़े-लिखेहैं. 11वीं और 12वीं की पढ़ाई 14 लाख 80 हजार 345 यानी 5.76 फीसदी लोगों ने की है|
ग्रेजुएट सात लाख 83 हजार 50 यानी 3.05 फीसदी डिप्लोमा या आइटीआइ की पढ़ाई 72 हजार 256 यानी 0.28 फीसदी नेकी है. इंजीनियरिंग ग्रेजुएट 18 हजार 500 यानी 0.07 फीसदी हैं. मेडिकल ग्रेजुएट 3870 यानी 0.02 फीसदी हैं. अन्य ग्रेजुएट सात लाख 83 हजार 50 यानी 3.05 फीसदी हैं. स्नातकोत्तर की संख्या 72 हजार 267 यानी 0.28 फीसदी है. डॉक्टरेट या सीए की पढ़ाई करनेवालेचार हजार तीन सौ तिरेपन यानी 0.02 फीसदी है. वहीं अन्य कैटेगरी मेंपढ़ाई नहीं करनेवालेएक करोड़ छह लाख 15 हजार 428 यानी 41.32 फीसदी हैं|0.04 फीसदी दलित विदेशों में प्रवासी 96.10 फीसदी गणना स्थल पर ही स्थायी रूप सेरहतेहैं. इस वर्गके दो करोड़ 46 लाख 89 हजार 100 यानी 96.10 फीसदी गणना स्थल पर ही स्थायी रूप सेरहतेहैं. दो लाख 42 हजार 910 यानी 0.95 फीसदी राज्य के अन्य स्थान पर नौकरी या रोजगार करते हैं| राज्य मेंही अन्य स्थान पर पढ़ाई के लिए 63 हजार 954 यानी 0.25 फीसदी रहतेहैं. अन्य राज्य मेंनौकरी या रोजगार के लिए छह लाख 41 हजार 765 यानी 2.50 फीसदी रहतेहैं| अन्य देश मेंनौकरी या रोजगार वाले 11 हजार 24 यानी 0.04 फीसदी हैं| अन्य राज्य मेंपढ़ाई के लिए 38 हजार 700 यानी 0.15 फीसदी रहतेहैं. अन्य देश मेंपढ़ाई के लिए इस वर्गके दो हजार 367 यानी 0.01 फीसदी रहतेहैं|
सौजन्य : प्रभात खबर
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