उत्तराखण्ड में दलित महिलाओं को रोका पूजा करने से तो मचा बवाल, पुलिस में मामला पहुंचने पर पुजारी को मांगनी पड़ी माफी
उत्तराखण्ड के हरिद्वार जनपद के रुड़की स्थित गंगनहर कोतवाली क्षेत्र स्थित पश्चिमी अंबर तालाब में एक मंदिर चर्चा का विषय बना हुआ है। आरोप है कि इस मंदिर के पुजारी ने शुक्रवार 3 जनवरी की सुबह वाल्मीकि समाज की कुछ महिलाओं को मंदिर में नहीं घुसने दिया। जब दलित महिलाओं ने इसका विरोध किया तो पुजारी बदतमीजी पर उतर आया। इस घटना की सूचना वाल्मीकि समाज के अन्य लोगों को हुई तो सभी मंदिर के बाहर एकत्रित होकर पुजारी का विरोध करने लगे और भारी हंगामे के बाद पुलिस के पास पुजारी की शिकायत लेकर पहुंचे। वाल्मीकि जाति की महिलाओं का आरोप है कि मंदिर के पुजारी ने जातिसूचक शब्दों का प्रयोग करते हुए उनके साथ बदतमीजी की थी, इसलिए पुलिस से मांग की कि आरोपी पुजारी के खिलाफ एक्शन लिया जाये। पुलिस ने मामले की जांच करते हुए आरोपी पुजारी को थाने बुलाया और पूछताछ की। पुलिसिया पूछताछ में पुजारी ने अपनी गलती स्वीकारते हुए कहा कि वह आगे से ऐसी कोई गलती नहीं दोहरायेगा।
आरोपी पुजारी द्वारा अपनी गलती मान लेने के बाद वाल्मीकि समाज शांत हुआ और अपने घरों को वापस लौट गया। हालांकि किसी भी तरह की हिंसा की आशंका को देखते हुए पुलिस ने चेतावनी दी है कि कोई भी अब इस मामले को मुद्दा बनाकर माहौल खराब करने की कोशिश करेगा तो उसके खिलाफ एक्शन लिया जायेगा। वाल्मीकि समाज की महिलाओं को पूजा करने से रोकने के मामले को प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष मथुरादत्त जोशी ने दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए इसकी कड़ी निंदा की। प्रेस को दिये बयान में उन्होंने कहा संविधान में सभी को बराबरी का हक मिला हुआ है, बावजूद इसके अगर किसी को मंदिर में प्रवेश करने से रोका जा रहा है तो यह दुखद है। प्रदेश की धामी सरकार को इस मामले में तुरंत कार्रवाई करते हुए जिस जाति के लोगों ने वाल्मीकि समाज की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोका है, उन्हें दंडित किया जाये।
इस मामले को इंसानियत को शर्मसार करने वाला बताते हुए कांग्रेस ने बयान जारी किया है कि जब ईश्वर किसी के साथ भेदभाव नहीं करते तो पुजारी कौन होता है किसी के साथ भेदभाव करने वाला। इस प्रकरण से यह स्पष्ट हो गया है कि भाजपा राज में एससी/एसटी वर्ग किस हाल में है।
सौजन्य : Janjwar
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