इंदौर के सामाजिक राजनीतिक कार्यकर्ताओं ने न्यूजक्लिक पर हुई कार्रवाई की तुलना की भीमा कोरेगांव मामले में लेखकों-कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों से
वरिष्ठ अर्थशास्त्री जया मेहता ने कहा, न्यूज़क्लिक जैसे वेबपोर्टल में यदि सरकार की गलत नीतियों की आलोचना की जाती है या वर्तमान सरकार से जुड़े कुछ लोगों की आपराधिक गतिविधियाँ जनता के सामने रखी जाती हैं तो इसे किसी भी तरह से राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं कहा जा सकता|
इंदौर। समाचार वेबसाइट न्यूज़क्लिक से जुड़े लोगों की गिरफ़्तारी के विरोध में 5 अक्टूबर 2023 को इंदौर में कई सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संगठनों ने विरोध प्रदर्शन कर प्रधानमंत्री के नाम संभाग आयुक्त को ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारियों ने मंगलवार 3 अक्टूबर को दिल्ली पुलिस के न्यूज़क्लिक से जुड़े हुए पत्रकारों और अन्य सामाजिक कार्यकर्ताओं, वैज्ञानिकों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं पर हमले को संविधान द्वारा मीडिया और व्यक्ति विशेष को दी गई अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया। उन्होंने कहा – न्यूज़क्लिक से जुड़े हुए पत्रकार ईमानदार हैं और अपनी विचारधारा के लिए प्रतिबद्ध हैं। वे देश की स्वतंत्रता और सम्प्रभुता के प्रति भी कटिबद्ध हैं साथ ही वे धर्मनिरपेक्षता और देश की संप्रभुता का भी सम्मान करते हैं। वे देश के साधारण लोगों की ज़िन्दगियों और उनके संघर्ष को सही परिप्रेक्ष्य में हमारे सामने रखते हैं।
वरिष्ठ अर्थशास्त्री जया मेहता ने कहा, “न्यूज़क्लिक जैसे वेबपोर्टल में यदि सरकार की गलत नीतियों की आलोचना की जाती है या वर्तमान सरकार से जुड़े कुछ लोगों की आपराधिक गतिविधियाँ जनता के सामने रखी जाती हैं तो इसे किसी भी तरह से राष्ट्रविरोधी गतिविधि नहीं कहा जा सकता।” प्रदर्शनकारियों ने कहा, न्यूज़क्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ और उनके साथी अमित चक्रवर्ती को यूएपीए के काले कानून के तहत हिरासत में लेना कानून का दुरुपयोग है। ये गिरफ्तारियाँ आज से चार साल पहले भीमा कोरेगाँव मामले में हुई लेखकों-कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारियों की तरह ही हैं, जिनकी चार्जशीट आज तक दाखिल नहीं हो पायी है। उनमें से ज्यादातर लेखक-कार्यकर्ता या तो जेल में हैं या नजरबंद हैं। न्यूज़क्लिक के खिलाफ की गयी कार्यवाही भी कुछ इसी तरह की कार्यवाही है।
दिल्ली पुलिस द्वारा न्यूज़क्लिक पर की गयी कार्यवाही को यह आरोप लगाकर सही ठहराया जा रहा है कि न्यूज़क्लिक अपरोक्ष या परोक्ष रूप से चीन से फंडिंग ले रहा है और चीन के कहने पर हिन्दुस्तान के ख़िलाफ़ प्रचार करता है। यह आरोप न्यूयॉर्क टाइम्स में लिखे एक लेख पर आधारित है। संगठनों ने ज्ञापन में निवेदन किया कि सरकार हमारे मौलिक लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा करे। मीडिया के और जनता के यह मौलिक अधिकार हैं कि वे सरकार से असहमत हो सकते हैं और अपने वैकल्पिक दृष्टिकोण को जनता के सामने रख सकते हैं। प्रगतिशील लेखक संघ के राष्ट्रीय सचिव विनीत तिवारी ने ज्ञापन का वाचन किया। उन्होंने कहा कि इस तरह की दमनकारी नीति अपनाकर भाजपा की सरकार लोगों का ध्यान असल मुद्दों से भटकाना चाहती है और अपने विरोधियों का मुँह बंद करना चाहती है लेकिन ऐसा न कभी हुआ है। सरकार अपने मंसूबों में कामयाब नहीं हो सकेगी और यह प्रदर्शन केवल एक शुरुआत है। देशभर में पत्रकार और अन्य सामाजिक, राजनीतिक प्रगतिशील संगठन विरोध के लिए आगे आ रहे हैं और जल्द ही इस मुद्दे पर और भी आंदोलन किए जाएँगे।
ज्ञापन में यह माँग रखी गई है कि न्यूज़क्लिक और उससे जुड़े लोगों पर जो भी कार्यवाही की जा रही है, उसे अविलम्ब वापस लें तथा प्रबीर पुरकायस्थ और उनके साथी अमित चक्रवर्ती को तत्काल रिहा करें। स्टेट प्रेस क्लब के अध्यक्ष प्रवीण खारीवाल ने भी इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए सत्ता द्वारा पत्रकारिता के दमन पर चिंता जतायी। उन्होंने कहा कि चुनावों के पहले इस तरह की कार्रवाई सरकार की घबराहट को दिखाती है। इसमें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, सोशलिस्ट पार्टी, समाजवादी पार्टी, आम आदमी पार्टी, ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन काँग्रेस (एटक), सेंट्रल ट्रेड यूनियन (सीटू), सन्दर्भ केन्द्र, भारतीय महिला फेडरेशन (मध्य प्रदेश), स्टेट प्रेस क्लब, हिन्द मज़दूर सभा, भारतीय जन नाट्य संघ (इप्टा), प्रगतिशील लेखक संघ (प्रलेस), अखिल भारतीय शांति एवं एकजुटता संगठन (एप्सो), हाउल ग्रुप, मेहनतकश, एसयूसीआई, बिहान संवाद एवं अन्य संगठन शामिल थे।
सौजन्य : जनज्वार
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