कांग्रेस में दलित उत्पीड़न, केंद्रीय कार्यालय में ही महिला नेत्री की पिटाई से सकते में खड़गे

बिहार में दलित नरसंहार के सजायाफ्ता अभियुक्त के बाद प्रियंका की चहेती पर हमला कांग्रेस में दलित उत्पीड़न, केंद्रीय कार्यालय में ही महिला नेत्री की पिटाई से सकते में खड़गे
यूपी में कांग्रेस की बागडोर संभालने के बाद प्रियंका गांधी ने महिलाओं को आगे लाकर पार्टी को मजबूत करने की कोशिशों में जहां सुप्रिया श्रीनेत, पूनम पंडित को आगे करते हुए कई महिलाओं को प्रदेश भर से बड़ी पहचान की। बिग बास, खतरों के खिलाड़ी से मशहूर हुई मेरठ जिले के गांव नंगला हरेरू की निवासी अर्चना गौतम पश्चिम यूपी में प्रियंका की खोज थी जो इन दिनों खासी सुर्खियां बटोर रही हैं। प्रियंका गांधी के अत्यंत विश्वासपात्र अगड़ी जाति विशेष के संदीप सिंह व अपनी उदंडता की वजह से चर्चित हुए धीरज गुर्जर इस प्रकरण में खासी भूमिका में हैं। अर्चना गौतम जब प्रियंका के नारे को सार्थक करते हुए लड़की हूं लड़ सकती हूं पर अपनी बात केंद्रीय कार्यालय तक रखने पहुंची तभी इन दोनों के निर्देश पर महिला कांग्रेस की की कुछ पदाधिकारियों ने अर्चना पर हमला कर दिया और उनके बुजुर्ग पिता को भी बख्शा नहीं गया।
अब मेरठ कांग्रेस से उनको 6 साल के लिए बिना कारण बताए निष्कासित भी कर दिया गया। अनाप-शनाप आरोप मेरठ से लगाए जा रहे हैं जिसमें एक आरोप बेहद हास्यास्पद है। मेरठ कांग्रेस कमेटी के नेताओं ने पिछले शनिवार को अर्चना गौतम के खिलाफ शिकायत दर्ज कराते हुए कड़ी कार्रवाई की मांग की। मेरठ के कांग्रेस नेताओं ने पुलिस में दर्ज शिकायत में कहा कि अर्चना गौतम ने चुनाव के समय कई गाड़ियां किराए पर ली थीं लेकिन उनका किराया नहीं दिया था। मजे की बात है कि जिन्होंने गाड़ी किराए पर दी थी, उन्होंने न तो अर्चना से पैसे मांगे, न ही किराया के बकाया संबंधित नोटिस उन्हें दिया गया। अर्चना एक गाड़ी पर तो घूम सकती थी तो कई गाड़ियों पर कौन सवारी कर रहा था, इस संबंध में मेरठ के कांग्रेसी नेता कन्नी काट रहे हैं।
मिस बिकिनी 2018 इंडिया रह चुकी अर्चना गौतम ग्रेट ग्रैंड मस्ती में अपने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए पहचान बनाने के बाद बिग बॉस में भागीदार रही हैं व मेरठ के आईआईएमटी से पत्रकारिता और जनसंचार में स्नातक भी हैं। अर्चना पर संदीप-धीरज अपनी नजरें गड़ाए थे और उन्हें अपने राजनीतिक दांव में फांसने में फेल रहे जिसकी भड़ास निकालने में इन दोनों ने अपना पूरा राजनीतिक कौशल दिखा दिया। अर्चना को अब तक किसी दलित नेता का साथ नहीं मिला। हालांकि देश-प्रदेश के हर जाति के कांग्रेसी बड़े नेताओं की उनसे सहानुभूति है, लेकिन प्रियंका से जुड़े और कांग्रेस के नाम पर गैंग चला रहे संदीप सिंह, धीरज गुर्जर, नरवाल और तौकीर महिला उत्पीड़न मामले में यूपी में खासे चर्चित रहे हैं। मामला एक बरेली का भी है जिसमें एक अल्पसंख्यक महिला नेत्री जो महिला कांग्रेस की महासचिव भी है, उनके साथ भी बदसलूकी का मामला उछला था, जिसे प्रदेश के एक पूर्व महासचिव जो फिलहाल निष्कासित हैं व शहर अध्यक्ष, बरेली के द्वारा शांत करा दिया गया था।
अर्चना प्रियंका गांधी को नेता मानते हुए पार्टी में शामिल हुई थीं, मगर संदीप-धीरज उन्हें अन्य महिलाओं की तरह दुमछल्ला बनाने में जुटे थे। दिल्ली, मुंबई जैसे महानगरों में अपना लोहा मनवा लेने वाली अर्चना को फांसने में ये दोनों नाकामयाब रहे। बस यहीं से अर्चना पर कहर टूट पड़ा। उन्हें समय-समय पर मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जाने लगा। हर तरह की बदसलूकी के बाद कांग्रेस के केंद्रीय कार्यालय में जब बात रखने पहुंची तो उन्हें परिवार समेत पीटा गया। ये सब खड़गे के उस कार्यालय में हो रहा था जहां दलित नेता के तौर पर उन्हें कांग्रेस का अध्यक्ष पद मिला है। अध्यक्ष खड़गे महासचिव केसी वेणुगोपाल, दलित नेता मुकुल वासनिक, के राजू जैसे बड़े नेताओं की खामोशी ने दलितों में खासा डर पैदा कर दिया है। पार्टी में आधिकारिक तौर पर दलितों की रहनुमाई कर रहे और हर चुनावी प्रदेशों में बेहतर दलित उम्मीदवारों को टिकट मिले, यह सुनिश्चित करने में जुटे राजेश लिलोठिया जरूर अर्चना गौतम मामले में दुखी दिखाई दिए। उन्होंने ये जरूर कहा कि ये बात वे उचित जगह पर जरूर रखेंगे।
आपको बता दें कि प्रदेश कांग्रेस ने अर्चना पर अनुशासनहीनता के कई गंभीर आरोपों को लेकर 31 मई को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में स्पष्टीकरण मांगा था। अनुशासन समिति के सदस्य व पूर्व विधायक श्याम किशोर शुक्ला की ओर से 8 जून को अर्चना गौतम के निष्कासन संबंधी पत्र जारी किया गया था। इस पत्र के जवाब में अपना पक्ष रखने के लिए अर्चना बीते शुक्रवार को दिल्ली में कांग्रेस के नेताओं से मिलने पहुंची थीं। वहां उन्होंने पार्टी से जुड़े लोगों पर बदसलूकी का आरोप लगाया था। उसके बाद महिला कार्यकर्ताओं के साथ उनकी तीखी झड़प भी हुई थी। कांग्रेस के बड़े नेताओं ने इस पर बड़ी प्रतिक्रिया देने से इंकार किया।
बिहार के जहानाबाद के जिलाध्यक्ष गोपाल शर्मा मामले में भी प्रभारी और प्रदेश अध्यक्ष पर इस पर स्पष्टीकरण मांगा है। प्रभारी भक्तचरण दास भी दलित समुदाय से हैं। उनकी चुप्पी भी प्रदेश के नेताओं के साथ-साथ केंद्रीय नेतृत्व को भी चुभ रही है। गोपाल शर्मा के साथ प्रदेश अध्यक्ष और प्रभारी बदले जाएंगे, यही वजह थी कि बिहार के नेताओं के साथ एआईसीसी में प्रस्तावित बैठक को ऐन वक्त पर हंगामें के डर से रद्द कर दिया गया था। अब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है। कांग्रेस अध्यक्ष के सूत्रों के हवाले से खबर मिली है कि इस मामले को खड़गे ने गंभीरता से लिया और अपनी भावनाओं से प्रियंका और राहुल को अवगत कराएंगे, साथ ही धीरज को कारण बताओ नोटिस के बाद जारी किया जाएगा। संदीप की भूमिका भी सीमित करने की तैयारी है। ऐसे नेताओं पर लगाम लगाने की कवायद तेज होगी। कम बोलने वाले खड़गे पवन बंसल को भी बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं जिन्हें गांधी परिवार का खास माना जाता है। उनकी जगह दिल्ली के अजय माकन आ चुके हैं और अपना कार्यभार भी संभाल चुके हैं। देखना है कि खड़गे की अगली किश्त में कौन कटता है।
सौजन्य : एरा
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