गुजरात में ग़रीबी रेखा के नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों की संख्या बढ़ रही है: रिपोर्ट
बीते महीने ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बच्चूभाई मगनभाई खाबड़ ने बताया था कि गुजरात में कुल 31,61,310 बीपीएल परिवारों की पहचान की गई है. इनमें 16,28,744 परिवार बेहद ग़रीब और 15,32,566 परिवार ग़रीब की श्रेणी में हैं. आंकड़ों से पता चलता है कि राज्य में बीपीएल श्रेणी में परिवारों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही है|
नई दिल्ली: गुजरात की एक तिहाई आबादी, जिसमें 31 लाख से अधिक परिवार शामिल हैं, गरीबी रेखा के नीचे (बीपीएल) जीवन यापन कर रही है| सरकार घरेलू आय और खपत के स्तर के आधार पर गरीबी रेखा का अनुमान लगाने के लिए कई सामाजिक और आर्थिक कारकों को ध्यान में रखती है और एक सीमा निर्धारित करती है, जो परिवारों की आर्थिक स्थिति को दर्शाती है. सरकार इसका उपयोग यह निर्धारित करने के लिए करती है कि किसी परिवार को राज्य से वित्तीय सहायता की आवश्यकता है या नहीं|
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, बीपीएल ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 816 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति माह और शहरी क्षेत्रों के लिए 1,000 रुपये प्रति व्यक्ति प्रति माह निर्धारित की गई है, जो शहरी निवासियों के लिए प्रति दिन 32 रुपये और ग्रामीण निवासियों के लिए 26 रुपये है|
बीते 14 सितंबर को कांग्रेस विधायक तुषार चौधरी के एक सवाल के जवाब में ग्रामीण विकास राज्य मंत्री बच्चूभाई मगनभाई खाबड़ ने बताया था कि गुजरात में कुल 31,61,310 बीपीएल परिवारों की पहचान की गई है. इनमें 16,28,744 परिवार बेहद गरीब और 15,32,566 परिवार गरीब की श्रेणी में हैं|
इसके अलावा आंकड़ों से पता चलता है कि बीपीएल श्रेणी में परिवारों की संख्या पिछले कुछ वर्षों में बढ़ रही है|
साल 2020-21 में 1,047 परिवार बीपीएल श्रेणी में आ गए थे और केवल 14 परिवार इससे बाहर निकलने में कामयाब रहे. 2021-22 में बीपीएल श्रेणी में 1,751 नए परिवार जुड़े और केवल दो परिवारों की स्थिति में सुधार हुआ. 2022-23 में बीपीएल श्रेणी में 303 परिवारों की वृद्धि देखी गई और केवल एक परिवार गरीबी से बच पाया|
अहमदाबाद स्थित अर्थशास्त्री हेमंत कुमार शाह ने अखबार को बताया कि ‘अगर हम 31.64 लाख गरीब परिवारों में प्रति गरीब परिवार में औसतन छह सदस्यों का मान लें, तो इसका मतलब है कि गुजरात में बीपीएल आबादी कुल 1 करोड़ 89 लाख है,’ यह दर्शाता है कि लगभग राज्य की एक तिहाई आबादी गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रही है|
सौजन्य :द वायर
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