राजस्थान के दलितों ने जारी किया ‘दलित घोषणा पत्र’, कहा– हक है, खैरात नहीं
अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान के सह संयोजक भंवर मेघवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि हम इस ऐतिहासिक दस्तावेज को राजस्थान के हर विधानसभा तक लेकर जाएंगे। चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार की समाज के लिए जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करेंगे।
राजस्थान के दलितों ने जारी किया ‘दलित घोषणा पत्र’, कहा– हक है, खैरात नहीं
अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान के सह संयोजक भंवर मेघवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि हम इस ऐतिहासिक दस्तावेज को राजस्थान के हर विधानसभा तक लेकर जाएंगे। चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार की समाज के लिए जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करेंगे।
घोषणा पत्र में उल्लेखित मांगों में शामिल हैं– 2 अप्रैल, 2018 को भारत बंद के मौके पर राजस्थान में दर्ज सभी मुकदमे वापिस लिये जाएं, राज्य में अनुसूचित जाति आयोग और राज्य सफाई कर्मचारी आयोग को संवैधानिक दर्जा दिया जाए, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम को कारगर तरीके से लागू करने के लिए राज्य, जिला और उपखंड स्तरीय समितियों का गठन हो और ये समितियां हर तीन महीने के अंतराल पर मामलों की समीक्षा करें, पीड़ितों को नि:शुल्क विधिक सहायता उपलब्ध कराया जाए व राज्य के 32 जिलों में स्थापित अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति प्रकरण विशेष न्यायालयों में पीड़ितों की प्रभावी पैरवी करने के लिए नियमित कैडर के विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किए जाएं ना कि राजनीतिक नियुक्तियों के द्वारा।
इस घोषणा पत्र में इन मांगों के अलावा कई अन्य मांगे भी शामिल हैं। घोषणा पत्र को राज्य भर से आईं दलित महिलाओं के एक पैनल के माध्यम से सुमन देवठिया और कांता सिंह के नेतृत्व में जारी किया गया।
इस संबंध में अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के संयोजक पूर्व पुलिस महानिरीक्षक सत्यवीर सिंह ने बताया कि राजस्थान के 18 प्रतिशत अनुसूचित जाति की आबादी के मुद्दों को लेकर दलित घोषणा पत्र बनाया गया तथा उस मसौदे को लेकर राज्य भर में एक माह तक सामाजिक न्याय यात्रा निकाली गई, जिसमें पचास जिलों के 100 स्थानों पर जन-संवादों के ज़रिए विस्तृत विचार-विमर्श के बाद यह घोषणा पत्र तैयार किया गया।
अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान द्वारा इंदिरा गांधी पंचायती राज संस्थान में आयोजित जन मंच के दौरान आयोजकों ने राजनीतिक दलों के साथ संवाद भी किया। इस दौरान कांग्रेस की घोषणा पत्र समिति के सदस्य एवं युवा बोर्ड के अध्यक्ष सीताराम लांबा, राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के युवा प्रदेशाध्यक्ष रणदीप सिंह चौधरी, आम आदमी पार्टी के जयपुर लोकसभा क्षेत्र के अध्यक्ष अर्चित गुप्ता, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के डॉ. संजय माधव और भाकपा माले की नेता मंजु लता मौजूद रहीं। इस अवसर पर मज़दूर किसान शक्ति संगठन से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ता निखिल डे भी मौजूद रहे।
राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों ने इस दलित घोषणा पत्र में शामिल सभी मुद्दों को अपने-अपने दल के चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करने का आश्वासन दिया। इस अवसर पर घोषणा पत्र के मुख्य बिंदुओं पर अधिवक्ता सतीश कुमार और डॉ. नवीन नारायण ने बात रखी। जबकि निखिल डे ने दलित संगठनों द्वारा राज्य भर में घोषणा पत्र निर्माण हेतु की गई प्रक्रिया की सराहना करते हुए इस दस्तावेज को ऐतिहासिक बताया। उन्होंने कहा कि चुनाव के दरमियान निगरानी रखनी होगी। हर क्षेत्र में ऐसे ही जनमंच आयोजित करने होंगे। उन्होंने कहा कि अधिकार मांगना हम सबका हक़ है। सरकारें इन्हें देकर कोई ख़ैरात नहीं करती हैं।
अनुसूचित जाति अधिकार अभियान राजस्थान के सह संयोजक भंवर मेघवंशी ने अपने संबोधन में कहा कि हम इस ऐतिहासिक दस्तावेज को राजस्थान के हर विधानसभा तक लेकर जाएंगे। चुनाव लड़ रहे हर उम्मीदवार की समाज के लिए जिम्मेदारी व जवाबदेही तय करेंगे। हम राजस्थान के इतिहास में पहली बार सभी विधानसभा क्षेत्र में चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की सोशल स्क्रीनिंग करेंगे और देखेंगे कि जो भी व्यक्ति दलित अत्याचार के प्रकरणों में शामिल रहा है या उसने किसी भी तरह आरोपियों की मदद की है, हम ऐसे व्यक्ति को कतई स्वीकार नही करेंगे और सभी दलों को अवगत करवाकर ऐसे व्यक्ति को उम्मीदवार नही बनाने की मांग करेंगे।
अनुसूचित जाति अधिकार अभियान के सह संयोजक तारा चंद वर्मा ने बताया कि अधिकांश वक्ताओं ने इस घोषणा पत्र को राजस्थान का ही नहीं, पूरे देश के अनुसूचित जाति वर्ग का घोषणा पत्र बताया औऱ आश्वस्त किया कि इस दस्तावेज को लागू करने के संघर्ष में हम सब साथ हैं।
जन मंच में डॉ. महेंद्र कुमार आनंद, गणपत लाल मेहरा, कंचन वर्मा, विनोद वर्मा, ग्रीजेश दिनकर, कैप्टन के.एल. सिरोही, पूरण मल बेरी, मांगी लाल बुनकर, बजरंग मनोहर, मांगी लाल भूतिया, डॉ. सतीश, घनश्याम बोयत, मोहन लाल यादव, वसंत जी रॉयल, इंजिनियर देव कृष्ण, हरी मंडावरा आदि ने अपनी बातें रखीं।
सौजन्य : फॉरवर्ड प्रेस
नोट : समाचार मूलरूप सेforwardpress.in में प्रकाशित हुआ है ! मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !