दबंग चाहते थे सामने न बसे दलित परिवार, इसलिए पहले धमकाया और बाद में गोली मार दी
14 सितंबर..शाम करीब 6 बजे। कौशांबी के 62 साल के होरीलाल अपने घर पर बैठे थे। पत्नी ने कहा, ‘बेटी-दामाद के पास चले जाइए। बेटी 6 महीने की गर्भवती है।’ होरीलाल ने पत्नी की बात मानी और घर से करीब 2 किलोमीटर दूर बेटी के पास चले आए। बेटी ने खाना बनाया। होरीलाल और दामाद ने साथ बैठकर खाया और फिर सभी सो गए। सुबह 5 बजे सबको उठना था, लेकिन कोई नहीं उठा। खाट के नीचे खून ही खून था। कुत्ते खून चाट रहे थे।
असल में तीनों की मौत हो चुकी थी। गोलियां शरीर को छलनी कर गई थीं। आसपास जो लोग थे, वे घरों में ताला लगाकर फरार हो चुके थे। पुलिस तक सूचना पहुंची, उसके पहले ही दूसरे गांव के लोग इकट्ठा हुए और फरार हो चुके लोगों के घरों को फूंक दिया। अगले एक घंटे में जितना उपद्रव किया जा सकता था…वह किया गया। पुलिस पहुंची। फिर अधिकारी। हालात कंट्रोल से बाहर थे, इसलिए PAC बुलाकर इलाके को छावनी में बदल दिया गया।
असल में यह सिर्फ हत्या की घटना नहीं थी। जातीय श्रेष्ठता और आर्थिक संपन्नता के चलते किया गया अपराध था। यह दिखाने की कोशिश थी कि हमारे सामने घर मत बनाओ।
दैनिक भास्कर की टीम इस पूरे मामले की कवरेज के लिए ग्राउंड पर पहुंची। पीड़ित परिवार से बात की। आरोपियों के जलाए घर को देखा। उस घटना को जाना, जो इस हत्याकांड की वजह बनी। आइए सब कुछ एक तरफ से जानते हैं। सबसे पहले होरीलाल के परिवार में सात साल पहले हुई एक घटना को जान लेते हैं…
6 साल के बेटे को गन्ना चुराने के इल्जाम में पीट-पीटकर मार डाला था
कहानी शुरू होती है 7 साल पहले, यानी साल 2016 से। होरीलाल का 7 साल का बेटा घर के बाहर खेल रहा था। बच्चे हर रोज उसी जगह पर खेला करते थे। दौड़ते-दौड़ते बच्चे एक गन्ने के खेत के पास पहुंचे। बच्चों के कहने पर होरीलाल के बेटे ने उस खेत से गन्ना तोड़ लिया। यह खेत गांव के ही चौहान बिरादरी के लोगों का था। बच्चे को गन्ना तोड़ते हुए उन्होंने देख लिया। उस पर गन्ना चुराने का इल्जाम लगाया। उन्होंने बच्चे से कहा कि तू दलित बिरादरी का है। तू हमारे खेत से गन्ने कैसे छू सकता है?
मामले ने तूल पकड़ा, तो उन्होंने बच्चे को पीटना शुरू कर दिया। बच्चे के सिर पर गहरी चोट आई। उसे आनन-फानन में अस्पताल ले जाया गया। लेकिन बच्चे की मौत हो गई। इस वाकए के पहले भी गांव में चौहान-यादव और दलित बिरादरी के बीच छोटे-मोटे विवाद होते रहते थे। लेकिन इसके बाद तो आए दिन कोई ना कोई विवाद होने लगा।
यह तो थी 7 साल पहले की कहानी। अब अभी की घटना पर लौटते हैं…
बेटी की तबीयत खराब थी, इसलिए पिता उसके पास रहने आ गया
कौशांबी का मोहिद्दीनपुर गौसपुर चरवा गांव। यहां होरीलाल का टीन, तिरपाल और कच्चे ईंटों से बना एक कमरे का घर था। इस झोपड़ी में उसकी बेटी बृजकली और दामाद शिवशरन रहते थे। होरीलाल अपनी पत्नी और बाकी बच्चों के साथ यहां से करीब 2 किलोमीटर की दूरी पर रहते थे। बृजकली मां बनने वाली थी। उसके पेट में 6 महीने का बच्चा था। 14 सितंबर की दोपहर शिवशरन ने होरीलाल की पत्नी यानी अपनी सास को फोन किया। बताया कि बृजकली की तबीयत थोड़ी खराब है। बेटी के बीमार होने का पता चला, तो उसकी मां ने होरीलाल को उस रात बेटी के पास जाकर रुकने के लिए कहा।
शाम करीब 6 बजे वो अपनी बेटी के पास आ गए। उसका हाल-चाल लिया। फिर सब रात का खाना-खाकर सोने चले गए। घर छोटा था। अंदर बस एक ही चारपाई पड़ी थी, तो उस पर बृजकली लेट गई। जबकि होरीलाल घर के बाहर पड़ी चारपाई और उनका दामाद पास में पड़े तख्त पर लेट गया। तख्त के नीचे काले रंग का कुत्ता भी सो रहा था।
आरोपी आए और तीनों को गोलियों से भून दिया
सुबह करीब 5 बजे। बृजकली, जो रात को घर के अंदर सोई थी, सुबह वो बेसुध बाहर अपने पति के ऊपर गिरी हुई थी। खटिया और तख्त के नीचे से खून टपक रहा था। कुत्ते खून चाट रहे थे, जबकि एक कुत्ता बेहोश पड़ा था। सब गांव वाले आस-पास इकट्ठा हो गए। घर के बाहर होरीलाल, उसकी बेटी और दामाद की लाश पड़ी थी। गांव वालों ने गोलियों की आवाज सुनी, लेकिन किसी को समझ नहीं आ रहा था कि हुआ था। तभी एक गांव वाले ने बताया कि कुछ लोग घर के पीछे से आए थे। कितने लोग थे, यह कोई नहीं देख पाया।
उन लोगों ने सबसे पहले होरीलाल को गोली मारी। उसके बाद पास में लेटे उसके दामाद को गोलियों से भूना। आवाज सुनकर बेटी बाहर आई, तो उन लोगों ने उसे भी मार डाला। बेटी झटका खाकर अपने पति के ऊपर गिर पड़ी। जब गांव वालों ने आवाज सुनी और सब वहां इकट्ठा हुए, तब तक आरोपी वहां से भाग चुके थे। गांव वालों को शक हुआ कि वो सामने रहने वाले चौहान और यादव बिरादरी के लोग हो सकते हैं। सब उनके घर की तरफ भागे, तो वहां कोई नहीं था। सब आरोपी पहले ही भाग चुके थे।
गुस्साई भीड़ ने घर जला दिए, बाइक फूंक दीं
दलित बिरादरी के 3 लोगों की हत्या की बात तेजी से आसपास के गांव में पहुंची। वहां से लोगों की भीड़ मोहद्दीनपुर की तरफ बढ़ने लगी। अचानक यह संख्या 1 हजार के पार पहुंच गई। जहां हत्या हुई, उसी के सामने चौहान बिरादरी के करीब 15 घर हैं। भीड़ घरों में घुस गई। जो सामान मिला, उसे तोड़ दिया। घर के सामने गाड़ी मिली, उसे जला दी। कुल करीब 10 बाइक को इस हालत में कर दिया कि उन्हें पहचानना मुश्किल हो गया।
तीन हत्या की जानकारी मिलते ही कौशांबी पुलिस पहुंची। लेकिन उस वक्त तक स्थिति कंट्रोल से बाहर हो चुकी थी। क्योंकि भीड़ आक्रोशित होकर लोगों के घरों की छत तक पहुंच गई थी। उन सबका कहना था कि दलित होने के चलते मारा गया है, इसलिए यहां इन सबका सब कुछ बर्बाद कर देना है। लगातार आगजनी और तोड़-फोड़ के बीच प्रयागराज के साथ फतेहपुर और बांदा जिले की पुलिस टीम भी पहुंच गई। दमकल की 5 गाड़ियां आग बुझाने में जुट गईं। पुलिस ने भीड़ को खदेड़ा, तब जाकर स्थिति थोड़ी-सी सामान्य हुई।
जब हमने होरीलाल के परिवार वालों से बातचीत की, तो इस ट्रिपल मर्डर की दो वजहें हमारे सामने आईं। पहला: जमीन विवाद। दूसराः 7 साल पहले हुई बेटे की हत्या। पहले उस जमीन के विवाद को जानते हैं।
पहली वजह: सामने वाले नहीं चाहते थे कि दलित सामने बसें
मोहद्दीनपुर में जमीन की कीमत पहले ज्यादा नहीं थी, लेकिन तीन साल पहले इसी गांव के ठीक सामने ITI संस्थान बन गया। इससे यहां की जमीन की कीमत लाखों रुपए पहुंच गई। ITI संस्थान के ठीक सामने करीब 15 बीघे सरकारी जमीन है। 2009 में इस जमीन को उन लोगों खेती करने के लिए पट्टा दिया गया, जिसके पास खेती करने के लिए जमीन नहीं थी। जमीन पाने वालों में लालचंद भी एक थे।
13 जुलाई, 2009 में उस वक्त के लेखपाल वासुदेव ने लालचंद को 10 बिस्वा जमीन का पट्टा दे दिया। लालचंद ने अगले साल उस जमीन पर उग आए जंगली पेड़-पौधों को साफ किया और उसे इस तरह बना दिया कि अगले साल से उस पर खेती की जा सके। लेकिन उसके बाद लालचंद का एक्सीडेंट हो गया। पैर में गंभीर चोट आई। जिसके बाद वह उस जमीन पर खेती नहीं कर सके। लंबे वक्त तक वह उस जमीन की तरफ नहीं गए, तो सामने के ही दशरथ लाल ने उस जमीन के कुछ हिस्से पर कब्जा कर लिया।
लालचंद ने इसकी लिखित शिकायत अलग-अलग अधिकारियों से की। लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। दशरथ ने लालचंद को ऑफर दिया कि तुम यह जमीन मेरे हाथ बेच दो। लेकिन लालचंद इसके लिए तैयार नहीं हुआ। इसी बीच 2020 में होरीलाल के दामाद शिवशरन ने अपने घर काकरबाद के बजाय मोहद्दीनपुर में रहने का फैसला किया। उन्होंने लालचंद से बात की और 25 सितंबर, 2022 को 3 लाख रुपए में करीब दो बिस्वा जमीन को ले लिया। यहां खरीदने से ज्यादा कब्जे का मामला था। क्योंकि, जो सामने रहते हैं उनका साफ कहना था कि यहां दलितों को नहीं बसने देंगे।
शिवशरन ने ITI कॉलेज के बगल में जनसेवा केंद्र खोला और यहीं रहने लगे। यहां रहने को लेकर विवाद था। शिवशरन को कई बार धमकियां मिलीं। मगर, उन्होंने जगह छोड़ने के बजाय पुलिस के पास जाना उचित समझा। पुलिस ने कोई प्रभावी कार्रवाई नहीं की। यही कारण है कि 14 सितंबर की रात तीन लोगों की हत्या कर दी गई।
दूसरी वजह: सात साल पहले बेटे की हत्या
आज से सात साल पहले होरीलाल के बेटे को मार दिया गया था। घरवालों ने बताया कि उसे मारने वाले भी इसी बिरादरी के लोग थे। दोनों ही मामले में जो आरोपी है, उनका साथ में उठना-बैठना था। हालांकि उस वक्त जिन लोगों ने बेटे की हत्या की थी, उन्हें गिरफ्तार कर लिया था। लेकिन उसकी सुनवाई अब तक चलती आ रही है। बेटे की हत्या के वक्त होरीलाल भी वहां मौजूद था। इसलिए इस घटना में मुख्य गवाह वही था। कुछ दिन बाद इस घटना की सुनवाई की डेट लगी थी। इसलिए संभव है कि होरीलाल और उसके परिवार की हत्या उसी सात साल पुराने विवाद की वजह से की गई हो।
यहां तक हमने ट्रिपल मर्डर की वजह और पुराने विवाद को जाना। आगे इस वक्त के हालात को जानते हैं…
कढ़ाई में सब्जी और आधी रोटी छोड़कर भागे हैं लोग
हम पीड़ित परिवार से मिलने के बाद आरोपियों के टूटे और जलाए गए घरों के बीच पहुंचे। हमें एक घर मिला। जहां कूकर में आधा पका चावल और कढ़ाई में सब्जी मिली। पास में ही रोटी का टुकड़ा था। भीड़ जब गांव में पहुंची, तो उस घर के लोग जान बचाने के लिए खाना छोड़कर भाग गए। घर के बाहर जो जानवर बंधे थे, पुलिस ने उन्हें खोल दिया। वे गांव में ही टहल रहे हैं।
इस मामले में मुख्य आरोपी बताए जा रहे सुरेश सिंह PAC में तैनात हैं। भीड़ सुरेश के घर में घुसी और कमरे में आग लगा दी। अंदर किचन के सामने और किताबें बिखरी थीं। पुलिस ने किसी तरह से घर के अंदर से गैस सिलेंडर निकालकर बाहर फेंका। ऐसे ही हालात वहां के सभी 15 घरों के थे। भीड़ ने सब कुछ तोड़ दिया है। हमने मौके पर मौजूद पुलिस अधिकारियों से लूट की बात पूछी, तो उन्होंने इस तरह की संभावना से इनकार कर दिया।
होरीलाल की पत्नी, पति और बेटी के गम में बेसुध पड़ी थीं
जब हम होरीलाल की पत्नी से मिले, तो वो जमीन पर बेसुध लेटी थीं। जैसे ही कुछ बात करने की कोशिश करतीं, बेहोश हो जातीं। गांव वाले उन्हें पानी पिलाकर जैसे-तैसे होश में लाने की कोशिश कर रहे थे। हमारे साथ बातचीत में उन्होंने बताया कि उनकी बेटी ने बीए की पढ़ाई की है। इसके अलावा मेडिकल का कोर्स भी किया है। पास के अस्पताल में वो नर्स का काम करती थी।
मां आगे कहती हैं कि हमने अपने परिवार के चार लोग खो दिए। मेरी बेटी मां बनने वाली थी। उसके बच्चे ने तो अभी तक दुनिया भी नहीं देखी थी, पर उससे पहले ही उन लोगों ने उसे मार डाला।
आखिर में,
होरीलाल के परिवार वालों ने 8 लोगों पर मुकदमा दर्ज कराया है। जिनमें से दो को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। परिवार का बस इतना ही कहना था कि हम चाहते हैं कि सभी आरोपी पकड़े जाएं और उन्हें फांसी की सजा मिले।
सौजन्य : Dainik bhaskar
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