मायावती के दलित वोट पर I.N.D.I.A की नजरें, UP की इस सीट से लड़ सकते हैं मल्लिकार्जुन खड़गे
नई दिल्ली. यूपी में दलित वोटरों के मायावती से छिटककर बीजेपी में जाने की संभावना के मद्देनजर इंडिया गठबंधन कांग्रेस अध्यक्ष और दलित चेहरे मल्लिकार्जुन खड़गे को यूपी से 2024 का चुनाव लड़वाने के प्रस्ताव पर विचार कर रहा है. हालांकि अब तक खड़गे या उनकी पार्टी की तरफ से खुलकर ये नहीं कहा जा रहा लेकिन कांग्रेस के एक सूत्र के मुताबिक खड़गे के यूपी से चुनाव लड़ने का प्रस्ताव समाजवादी पार्टी की तरफ से दिया गया है.
अगर ये योजना परवान चढ़ती है और खड़गे मान जाते हैं तो कर्नाटक के अलावा वो यूपी की बाराबंकी या इटावा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. पार्टी के कई नेता ये मानते हैं कि इसके जरिए कांग्रेस अपना दलित/मुस्लिम वोट बैंक का खोया जनाधार वापस पा सकती है. हालांकि मुस्लिम वोटरों के छिटकने के डर ने ही सपा को इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ चलने को मजबूर किया है और संभवतः लोकसभा चुनाव में सीट शेयरिंग भी हो. अखिलेश यादव जानते हैं कि लोकसभा चुनाव में मुस्लिम कांग्रेस की तरफ जा सकता है इसलिए वो कांग्रेस के साथ गठबंधन ही नहीं बल्कि दलित वोटरों को खींचने के लिए खड़गे वाला दांव चलना चाहते हैं.
सपा और इंडिया गठबंधन के अन्य दलों की सोच है कि यूपी में योगी और मोदी फैक्टर के चलते बीजेपी को 70 सीटों से कम पर रोकना असंभव है. ये विजयरथ रोकने के लिए मजबूत गठबंधन चाहिए जो मुस्लिम/यादव/कांग्रेस के वोट बैंक के साथ दलितों में भी सेंध लगाए. मायावती की निष्क्रियता से नाराज दलित वोट बीजेपी की तरफ जा सकता है, ऐसा गठबंधन के रणनीतिकारों का सोचना है जिससे विपक्ष को दोहरा नुकसान होगा. इसी वजह से दलित वोटों को बीजेपी में जाने से रोकने और कांग्रेस के दलित चेहरे खड़गे के सहारे पाने की चाह में खड़गे के यूपी से चुजाव लड़ने का दांव चला जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक इटावा कांग्रेस जिलाध्यक्ष मलखान सिंह यादव की तरफ से जिला कांग्रेस कमेटी ने पार्टी नेतृत्व को दो महीने पहले एक चिट्ठी लिखी है, जिसमें कहा गया था कि कांग्रेस की स्थापना के समय से ही इटावा का जुड़ाव कांंग्रेस से रहा है और लंबे समय तक यहां कांग्रेस का अच्छा भला आधार रहा है, लिहाजा यहां से पार्टी को किसी बड़े नेता को मैदान में उतारना चाहिए, यही सपा भी चाहती है क्योंकि इटावा उसका गढ़ है लेकिन यहां बीजेपी ने अखिलेश की नाक में दम कर रखा है. अखिलेश एक तीर से दो निशाना साधना चाहते हैं.
वो खड़गे के दलित चेहरे के सहारे एक तरफ उनके घर से बीजेपी भागे और इंडिया गठबंधन के नाम पर आसपास के दलित बीजेपी की बजाए सपा को वोट दें. वैसे पार्टियों के स्थाई वोटरों के अलावा कौन वोटर किसके साथ जायेगा, ये ऐन चुनाव के वक्त ही तय होता है लेकिन राजनीतिक दल अपने अपने हिसाब से रणनीति बनाते हैं. बीजेपी भी मजबूत वोट बैंक के बावजूद तमाम क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ने के लिए लगातार गठबंधन कर रही है. वो किसी भी हालत में 80 लोकसभा सीटों वाले प्रदेश में इंडिया गठबंधन को पर पसारने की जगह नहीं देना चाहती.
जाहिर है बिहार के सीएम नीतीश कुमार फूलपुर से चुनाव लड़ने की सुगबुगाहट हो या खड़गे के किसी सुरक्षित सीट से या फिर राहुल गांधी के अमेठी और प्रियंका के रायबरेली या प्रयागराज से, संदेश ऐसा देने की कोशिश की जा रही है कि मोदी-योगी की जोड़ी और उनके चुनावी करिश्में के रथ को यूपी में ही रोकने के लिए विपक्षी गठबंधन ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहा है.
सौजन्य : News18
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