गरीबी, जेंडर और डोपिंग: देश की सबसे तेज़ भागने वाली महिला दुती चंद अब दौड़ने के लिए लड़ रही हैं लड़ाई
अपने जेंडर को साबित करने से लेकर निजी जीवन केे फैसलों तक, दुती चंद ने कई लड़ाइयां लड़ी हैं और उन्हें भरोसा है कि इस बार भी वह जीत जाएंगी|
भुवनेश्वर: भारत की सबसे तेज़ दौड़ने वाली महिला दुती चंद ने पिछले महीने जूते, हैंडबैग और कपड़े खरीदे थे लेकिन शॉपिंग बैग उनके भुवनेश्वर स्थित फ्लैट के बेडरूम में खुले पड़े हैं. उन्होंने “पैसे बचाने के लिए”अब कार से स्कूटर का रुख किया है . दुती अब ट्रेनिंग नहीं ले रही हैं. अब उनका एकमात्र मिशन है अपना नाम डोपिंग के आरोपों से मुक्त कराना. वह इस कलंक को मिटाना चाहती हैं और अपनी विरासत को स्वर्णिम बनाए रखना चाहती हैं क्योंकि वह 2024 में पेरिस ओलंपिक के बाद रिटायर होने की तैयारी कर रही थीं|
अगस्त में 100 मीटर में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाने वाली और एशियाई खेलों में रजत पदक जीतने वाली दुती चंद पर दिसंबर 2022 में लिए गए नमूनों में प्रतिबंधित पदार्थ पाए जाने के बाद राष्ट्रीय डोपिंग रोधी एजेंसी (NADA) द्वारा चार साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया गया है. वह इस प्रतिबंध को चुनौती देने की योजना बना रही हैं. दुती चंद स्विट्जरलैंड के लॉज़ेन में खेल पंचाट न्यायालय में इसे चुनौती देने की योजना बना रही हैं|
दुती लड़ाई से पीछे नहीं हटती और उनके पास इसे साबित करने के लिए लड़ाइयों से मिले कई निशान हैं|
किसी खिलाड़ी के संघर्ष के बारे में बात करना घिसी-पिटी बात है, लेकिन राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में चंद का सफल करियर कानूनी और व्यक्तिगत दोनों तरह की लड़ाइयों से भरा हुआ है. बहुत गरीबी से लड़ने (बचपन में वह कई दिनों तक भोजन के बिना रहा करती थीं) से लेकर, अपने लिंग को साबित करने तक (वह हाइपरएंड्रोजेनिज्म परीक्षण में विफल रही और उन पर ‘पुरुष’ होने का आरोप लगाया गया), और अपनी साथी को लेकर अपने परिवार के साथ संघर्ष तक (वह भारत की पहली समलैंगिक एथलीट हैं जो खुलकर सामने आई हैं); हर बार जब वह दुनिया के टॉप पर होती हैं, तो कुछ न कुछ उन्हें नीचे खींच लेता है|
चंद ने कहा, “मेरा जीवन ऐसा ही रहा है, मैंने अपने देश के लिए पदक जीते और कड़ी मेहनत की, लेकिन लड़ाइयां हमेशा मेरा इंतजार करती रहीं.”
एक एथलीट के रूप में 10 साल और 1,500 पदकों के बाद, चंद अगले साल पेरिस ओलंपिक के बाद रिटायर होने के लिए तैयारी में थीं. लेकिन चार साल का प्रतिबंध एक कड़वी गोली की तरह है. 5 और 26 दिसंबर को लिए गए नमूनों में “एनाबॉलिक एजेंट/एसएआरएमएस” शामिल थे. ये चयनात्मक एण्ड्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर हैं, जो विश्व एंटी-डोपिंग एजेंसी की 2023 की गैर-निर्दिष्ट पदार्थों की निषिद्ध सूची के तहत सूचीबद्ध हैं. वह 3 जनवरी 2027 तक खेल से बाहर रहेंगी.
दुती चंद ने कहा, “मैंने बहुत मेहनत से अपना नाम बनाया और अब इस टेस्ट ने सब कुछ बर्बाद कर दिया. स्पॉन्सर्स से लेकर ट्रेनिंग मैदानों और शिविरों तक, मेरे पास कुछ भी नहीं है.”
नवंबर 2021 में कैंसर का पता चलने के बाद से वह लगभग लगातार दर्द में हैं और इससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ा है. यह एक और युद्ध है जो वह अपनी ही कोशिकाओं के खिलाफ लड़ रही हैं, जो उनकी ही मांसपेशियों और आत्मा को तोड़ने की धमकी दे रही हैं| वो कहती हैं, “दौड़ना ही मेरा जीवन है. मैंने आखिरी बार गुजरात में 2022 के भारत के राष्ट्रीय खेलों में भाग लिया था. मैंने 5वां स्थान हासिल किया. मैं दर्द के कारण बेहतर नहीं कर सकी.”
चंद को कमर से नीच के जगह में असहनीय दर्द के वे भयानक दिन याद आते हैं. उन्होंने डॉक्टर से सलाह ली, लेकिन एक्स-रे में कुछ भी नहीं दिखा| तभी वह एमआरआई के लिए गई और पता चला कि उन्हें स्टेज 1 कैंसर है|
बैन के बाद से वह अब नेशनल कैंप और बैठकों में भाग नहीं ले सकेंगी. उनके स्पॉन्सर्स ने उन्हें हटा दिया है. उन्हें पैसों की चिंता है. और सबसे बढ़कर अपने ट्रेनिंग सेशन्स सत्रों को याद करती हूं.
चंद ने कहा, “मैं पेरिस ओलंपिक के लिए अपनी ट्रेनिंग शुरू करने वाली थी. मुझे नहीं पता कि दौड़ और ट्रेनिंग के बिना मैं क्या हूं.”और इसलिए वह सुबह होते ही उठ जाती है.
वो कहती हैं, “मैं हर सुबह 4.30 बजे उठती हूं लेकिन मेरे पास जाने के लिए कोई जगह नहीं है. आदत है. मेरी आँखें अब भी सुबह खुलती हैं.” इसलिए वह बुनियादी एक्सरसाइज़ करने और फिट रहने के लिए अपने पड़ोस के जिम में जाती हैं.
इंस्टाग्राम स्टार
चांद अभी भी उन्हें याद दिलाने के लिए खेल के कपड़े पहनती हैं कि वह कौन है. वह गुलाबी टी-शर्ट के साथ काले प्यूमा लोअर्स की एक जोड़ी में भुवनेश्वर में अपने दो कमरे के फ्लैट का दरवाजा खोलती हैं. यह उनकी गुलाबी लिपस्टिक के साथ मेल खाते हैं. उन्होंने अपने बाल छोटे कर लिए हैं, और वह अधीरता से अपने चेहरे के बालों को ब्रश करती हैं|
चार साल के बैन का नोटिस मिलने के बाद से उन्हें सोने में परेशानी हो रही है. लेकिन उनकी मां, पिता, दो बहनें और उनका भाई जो जजपुर में अपने गांव में घर वापस आ गए हैं उनके लिए ताकत बन रहे हैं|
उन्होंने कहा, “मैंने गांव का दौरा किया और उनके साथ मंदिर गई.”
कमरे में कपड़ों के बंद बैगों पर प्यूमा का लोगो लगा हुआ है.
वो कहती हैं, “प्यूमा मुझे स्पॉन्सर कर रहा था लेकिन इस बैन के बाद कॉन्ट्रैक्ट रिन्यू किया गया. मुझे बहुत उम्मीद थी कि नाडा का फैसला मेरे पक्ष में होगा और मैं यह सब ट्रेनिंग के लिए लाई थी.”
चंद ने बॉक्स से बिल्कुल नए, काले और गुलाबी जूतों की एक जोड़ी निकालते हुए कहा कि राज्य और केंद्र सरकार ने समय-समय पर उनकी आर्थिक मदद की है, लेकिन डोपिंग कांड के बाद से वह भी बंद हो गई है.
प्रतिबंध से लड़ना उनके लिए सबसे कठिन लड़ाइयों में से एक हो सकता है, लेकिन चंद तैयार है. उनकी मुस्कान उज्ज्वल और दृढ़ है – और आशा से भरी है. वह वरिष्ठ अधिकारियों से लेकर किरण रिजिजू और अनुराग ठाकुर जैसे मंत्रियों तक मदद के लिए हर दरवाजा खटखटा रही हैं. लेकिन अभी तक उन्हें केवल अस्पष्ट आश्वासन ही मिले हैं|
चंद ने उदास मुस्कान के साथ कहा, “जब तक हम जीतते हैं, हर कोई हमारी मदद करता है, लेकिन जब बुरा समय आता है, तो हमें अकेले ही लड़ना पड़ता है.” लेकिन वह तुरंत कहती हैं, “लेकिन मेरे साथ लोगों का पूरा समर्थन है, मैंने कुछ भी गलत नहीं किया है और अब मुझे मदद मिलेगी.”
इसी सकारात्मक सोच के साथ वह रोजाना जिम जाती हैं और सुबह 5:30 से 9 बजे तक ट्रेनिंग करती हैं. और सालों में पहली बार, उसके पास रील्स और सोशल मीडिया में शामिल होने का समय है. इंस्टाग्राम उनकी पसंद का प्लेटफॉर्म है जहां वह अपने एक मिलियन फॉलोअर्स के लिए रील्स बनाती हैं|
हाल ही में अपने वर्कआउट के बारे में इंस्टाग्राम पर एक क्लिप पोस्ट करने वाली चंद ने कहा, “अब मेरे पास समय है, इसलिए मैं इसे सोशल मीडिया पर खर्च करती हूं, प्रशंसकों के संदेशों का जवाब देती हूं और कभी-कभी रील बनाती हूं.”
एक दूसरे में वह अपनी नई बीएमडब्ल्यू दिखा रही हैं. उनकी साथी जो उसके साथ रहती है वह चीज़ों को थोड़ा बेहतर बनाती हैं. जब भी वह इंस्टाग्राम पर अपनी तस्वीरें पोस्ट करती हैं, तो उनके प्रशंसक प्रोत्साहन और प्यार के साथ प्रतिक्रिया देते हैं. कमेंट सेक्शन दिलों से भरा है, “अच्छी जोड़ी” जैसे कमेंट पढ़े जा सकते हैं|
उनका इंस्टाग्राम हैंडल उनकी उपलब्धियों का संग्रह है. 2021 में, पटियाला में इंडियन ग्रां प्री IV में, चंद ने 11.17 सेकंड में 100 मीटर दौड़कर एक नया राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया था.
उन्होंने एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप 2014 में दो स्वर्ण पदक जीते, 2016 में एशियाई इंडोर चैंपियनशिप में 60 मीटर की दौड़ में कांस्य पदक जीता, और 7.28 सेकंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाया|
जब वह 2019 ग्रीष्मकालीन यूनिवर्सियड में स्वर्ण पदक लाने वाली एकमात्र एथलीट थीं, तो उन्होंने राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों के पहले पन्ने पर जगह बनाई. पिछले वर्ष, उन्होंने एशियाई खेलों में दो रजत पदक जीते थे. वास्तव में, 1986 में पीटी उषा के स्वर्ण पदक के बाद से 2018 एशियाई खेलों में उनकी 200 मीटर दौड़ ने इस स्पर्धा में भारत का पहला पदक जीता.
अब तक 2022 या 2023 में?, दुती चंद ने दो प्रमुख 100 मीटर दौड़ जीती हैं, फरवरी में राष्ट्रीय अंतर-विश्वविद्यालय चैंपियनशिप में 11.44 सेकंड (नाम और महीना दोबारा जांचें) और फेडरेशन कप (डबल) में 11.49 सेकंड का समय लिया. नाम और महीना जांचें) मार्च में. ग्राफिक्स के लिए इन्हें एक्सेल शीट में भी जोड़ें
लेकिन अब, लगभग हर कोई उनकी उपलब्धियों को भूल गया है या उन्हें नज़रअंदाज़ करना पसंद कर रहा है – लोग बैन के बारे में ही बात कर रहे हैं.
कभी न ख़त्म होने वाली लड़ाइयां
ऐसे पल आते हैं जब चांद की मुस्कुराहट निराशा का रास्ता दे देती है. नाडा के डोपिंग रोधी अनुशासन पैनल ने एक लंबा आदेश जारी किया, जिसमें एथलीट की प्रस्तुति और मामले में प्रस्तुत गवाही के बीच कई विसंगतियों का हवाला दिया गया है.
चंद भारत के पेरिस ओलंपिक दल में जगह बनाने की कोशिश कर रही थीं जब उन्हें कैंसर का पता चला. वह डरी हुई थी कि इससे ओलंपिक में उनका आखिरी मौका पटरी से उतर जाएगा और उसने केवल अपने परिवार और ट्रेनिंग से जुड़े लोगों को ही इस बारे में बताया.
उन्होंने कहा, “डॉक्टर ने कुछ दवा सुझाई और मैंने अपने फिजियोथेरेपिस्ट और कोच से चर्चा करने के बाद उन्हें ले लिया.”
उनका दावा है कि उन्होंने दस दिनों तक खुराक ली, जिसके बाद उनका दर्द कम हो गया. लेकिन फिर नाडा ने उन्हें डोपिंग टेस्ट के लिए बुलाया. दुती चंद ने कहा, “यह टेस्ट अचानक से सामने आया. मैंने अपने जीवन में हजारों डोप परीक्षण दिए हैं. ”
रिपोर्टों के मुताबिक, उनका चयनात्मक एण्ड्रोजन रिसेप्टर मॉड्यूलेटर के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया, जो गैर-स्टेरायडल पदार्थ हैं जो आमतौर पर रोगियों में ऑस्टियोपोरोसिस, एनीमिया और घाव भरने के इलाज के लिए उपयोग किए जाते हैं. 5 दिसंबर 2022 तक दुती चंद की सभी प्रतियोगिता जीतें रद्द कर दी जाएंगी.
दुती पूछती हैं, “एक खिलाड़ी का काम बेहतर प्रशिक्षण लेना, बेहतर प्रदर्शन करना और इन सबके बारे में कोच और फिजियोथेरेपिस्ट से पूछना है और मैंने वही किया. मेरी गलती क्या है.”
उनके साथी और सहकर्मी और नाडा के लोग भी उन्हें कबूल करने की सलाह दे रहे हैं कि डोपिंग के आरोपों को स्वीकार कर लें|वो कहती हैं, “कोई भी डोपिंग से वापस नहीं आया है, मैंने प्रतिबंध का सामना करने वाले कई लोगों को फोन किया और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं यह स्वीकार कर लूं कि मैंने ड्रग्स लिया है और फिर वे प्रतिबंध की अवधि कम कर देंगे.”
उनका दावा है कि नाडा ने कहा कि अगर वह स्वीकार कर लें कि उन्होंने ड्रग्स लिया है तो वह प्रतिबंध की अवधि को घटाकर तीन साल कर देंगे.
वो कहती हैं, “लेकिन मैं उस चीज़ को स्वीकार नहीं करूँगी जो मैंने नहीं किया है. मैं इससे लड़ूंगा.”
उन्होंने कई लड़ाइयां लड़ी और जीती हैं. साल 2014 में, एशियाई जूनियर एथलेटिक्स चैंपियनशिप में 200 मीटर और 4-बाय-400-मीटर रिले में दो स्वर्ण पदक जीतने के बाद वह दुनिया में टॉप पर थीं. लेकिन कुछ महीने बाद, एथलेटिक फेडरेशन ऑफ इंडिया ने घोषणा की कि उनके ‘हाइपरएंड्रोजेनिज्म’ या टेस्टोस्टेरोन के उच्च प्राकृतिक स्तर ने उन्हें 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में एक महिला एथलीट के रूप में प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति नहीं दी|
बाद में उन्हें अंतिम समय में टीम से बाहर कर दिया गया और 2014 एशियाई खेलों से भी बाहर कर दिया गया. उस समय वह 18 वर्ष की थी| दुती चंद बताती हैं, “मैं टूट गई थी, एक लड़की के रूप में मैंने पूरी जिंदगी समाज, माता-पिता और पितृसत्ता के खिलाफ लड़ाई लड़ी. लेकिन जब मैं जीत रही थी और पदक घर ला रही थी, तो वे मुझ पर इस तरह का आरोप लगा रहे थे.”
उन्होंने ‘हाइपरएंड्रोजेनिज्म’ पर एएफआई और इंटरनेशनल एसोसिएशन ऑफ एथलेटिक्स फेडरेशन के नियमों से लड़ने के लिए वैश्विक खेलों के लिए अपील की सर्वोच्च अदालत – लॉज़ेन, स्विट्जरलैंड में खेल के लिए मध्यस्थता अदालत का रुख किया. 2015 में, CAS ने फैसला सुनाया कि एक एथलीट के शरीर में प्राकृतिक टेस्टोस्टेरोन का स्तर कुछ महिलाओं को महिलाओं के खिलाफ प्रतिस्पर्धा करने से रोकने के लिए अपर्याप्त था. इसने हाइपरएंड्रोजेनिज्म विनियमों को दो साल की अंतरिम अवधि के लिए निलंबित कर दिया. यह निर्णय एक गेम-चेंजर था जिसने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं.
इस बाधा के दूर होने के साथ ही वह भारतीय एथलीटों के बीच एक अजेय शक्ति बनकर उभरीं. उन्होंने 2016 फेडरेशन कप नेशनल एथलेटिक्स चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीता. उन्होंने महिलाओं की 100 मीटर स्प्रिंट में 11.33 सेकेंड का समय लेकर राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़ते हुए ऐसा किया|
फिर 2019 में दुती चंद ने अपने माता-पिता को बताया कि वह एक लड़की से प्यार करती हैं. उन्होंने कहा, “2018 में समलैंगिक यौन संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुझे अपने रिश्ते के बारे में सार्वजनिक रूप से बोलने के लिए प्रोत्साहित किया.”
उनके पारंपरिक परिवार को उनकी पसंद को स्वीकार करने में थोड़ा समय लगा, लेकिन उनकी बड़ी बहन सरस्वती के साथ संबंध खराब हो गए और अभी तक उनमें सुधार नहीं हुआ है.
चंद ने कहा, “मैंने सभी को मना लिया लेकिन उन्हें मेरी पसंद मंजूर नहीं थी और उनके बाद हमारे बीच अच्छे संबंध नहीं थे. उन्होंने ही ये खबर मीडिया में लीक की थी और इसके बाद मैंने अपने रिश्ते के बारे में खुलकर बात की थी.”
अपने रिश्ते के बारे में खुलकर बात करने के बाद दुती चंद अपनी साथी मोनालिसा दास को लेकर भारत दर्शन पर जाती रहती हैं|उन्होंने बताया, “हम कर्नाटक में मैसूर महल, आगरा में ताज महल, अमृतसर में स्वर्ण मंदिर गए. हम दिल्ली और मुंबई गए. ”
उनकी साथी दास शर्माते हुए बताती हैं, “मुझे गोल्डन टेंपल सबसे ज्यादा पसंद आया.”
चंद की साथी दास उनके पूरे परिवार के लिए खाना बनाती हैं. दोनों ही एक ही थाली में साथ खाना खाते हैं और हंसी-मजाक करते हैं. “इसे इंस्टग्राम पर रील बनाना बहुत पसंद है, मैं उसी को लेकर इसे चिढ़ा रही थीं.”
दास उनके समर्थन का स्तंभ रही हैं, और उनके रिश्ते ने समलैंगिक विवाह पर उनके विचारों को मजबूत किया है.
दुती चंद कहती हैं, “पहले विधवाओं को दोबारा शादी करने की अनुमति नहीं थी और जातिगत भेदभाव कानूनी था. बदलाव धीरे-धीरे आएगा. मुझे पूरा विश्वास है कि समलैंगिक विवाह को वैध बनाया जाएगा.”
ख़ुशी वाली जगह
जब भी चांद को कोई परेशानी होती है तो वह पुरी में श्रीजगन्नाथ मंदिर और गोल्डन बीच के दर्शन करने जाती हैं. इन दिनों वह कभी-कभी मशहूर समुद्र तट के किनारे टहलते हुए समय बिता रही हैं. वह बिना एक शब्द कहे दस मिनट तक चलती रहती हैं, लेकिन उनके पास मौन आत्मनिरीक्षण की सुविधा नहीं है|
अपनी पत्नी के साथ चूड़ियाँ खरीद रहा एक आदमी उन्हें पहचानता है. “आप दुती चंद हैं ना?” वह उत्साह से पूछता है. वह पुष्टि में सिर हिलाती है और वह तुरंत सेल्फी के लिए अपना फोन निकालता है.
ऐसा नियमित रूप से होता रहता है, लेकिन चंद ने कभी ना नहीं कहा. वह मुस्कुराते हुए कैमरे के सामने पोज़ देती हैं. एक विक्रेता ने कहा, “ओडिशा में हर कोई उन्हें जानता है.” लेकिन जैसे ही उनके प्रशंसक चले जाते हैं, वह अपने विचारों में डूब जाती हैं|
चंद ने धीरे से कहा, “2014 में जब मेरा लिंग एक मुद्दा बन गया, तो मैं यहां आई और भगवान से पूछा, ‘अगर चीजें इसी तरह खत्म होनी थीं तो आपने मुझे यह रास्ता क्यों दिखाया’.”
कुछ दिनों बाद, उन्हें अमेरिका से एक “वैज्ञानिक महिला” का फोन आया, जिन्होंने उनकी मदद करने की पेशकश की. वो बताती हैं, “मुझे इस पर विश्वास नहीं हुआ लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि हम इसे स्विट्जरलैंड में खेल पंचाट न्यायालय में चुनौती दे सकते हैं.”
उस समय उनके बैंक खाते में केवल 20,000 रुपये थे लेकिन उन्होंने उम्मीद नहीं खोई और राजनीतिक नेताओं से संपर्क किया. भारतीय खेल प्राधिकरण ने घोषणा की कि वह इसकी कानूनी लागत वहन करेगा.
वो कहती हैं, “वह समय सचमुच कठिन था और मुझे मदद मिली. इस बार भी मुझे निश्चित रूप से मदद मिलेगी.”
जब दुती चंद सोशल मीडिया पर या समुद्र तट पर प्रशंसकों के साथ बातचीत नहीं कर रही होती है, तो चंद वर्षों में हासिल की गई अपनी उपलब्धियों और सम्मानों को याद करती है. उनका फोन बॉलीवुड सितारों और राजनीतिक नेताओं के साथ बातचीत के वीडियो और तस्वीरों से भरा हुआ है. वह तस्वीरें देखती हैं- एक तस्वीर अमिताभ बच्चन के साथ है, दूसरी तस्वीर रणवीर सिंह के साथ है. वह कैटरीना कैफ के साथ अपनी फोटो देखने के लिए रुकती हैं.
वो कहती हैं, “मैं लगभग हर बॉलीवुड स्टार से मिली हूं. लगभग सभी ने मुझसे कहा कि मैं ‘देश की असली हीरो हूं, जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को गौरवान्वित करती हैं’,’ चंद ने झलक दिखला जा, कौन बनेगा करोड़ पति और अन्य शो के मंच से अपनी तस्वीरें दिखाते हुए कहा.
लेकिन उनका पसंदीदा वीडियो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ उनकी बातचीत है.
2021 में जब चंद ने टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई किया तो मोदी ने कहा, “दुती आपके नाम का मतलब चमक है और आप अपने खेल के माध्यम से रोशनी बिखेर रही हैं.”
दुती चंद कहती हैं, “उन्होंने मुझसे कहा कि मैं रोशनी हूं और यह रोशनी आसानी से खत्म नहीं होगी.”
सौजन्य :द प्रिंट
नोट : समाचार मूलरूप से hindi.theprint.in में प्रकाशित हुआ है ! मानवाधिकारों के प्रति सवेदनशीलता व जागरूकता के उद्देश्य से प्रकाशित !